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अहमदाबाद, लखनऊ और मेंगलुरू एयरपोर्ट को सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश के लिए तैयार करने के लिए पीपीपी मोड में लाया गया

नई दिल्ली: नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने किफायती उड़ान और स्वस्थ विमानन क्षेत्र के विकास की दिशा में पिछले 100 दिनों में कई पहल शुरू की हैं। इस संबंध में हुई कुछ प्रमुख पहल हैं –

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर इस महीने की शुरुआत में भारत के सबसे ऊंचे हवाई यातायात नियंत्रण टॉवर का उद्घाटन किया गया है, जो कुशल, सुचारू और निर्बाध हवाई यातायात प्रबंधन के लिए ऊंचे दर्जे की सेवाएं एवं प्रणालियां सुनिश्चित करेगा।

अहमदाबाद, लखनऊ और मेंगलुरू हवाईअड्डों को सार्वजनिक क्षेत्र में आवश्यक निवेश का दोहन करने के अलावा डिलीवरी, कार्यक्षेत्र, उपक्रम और व्यावसायिकता में दक्षता लाने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत निजी रियायत हासिल करने वालों को सौंपा गया है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 29 अगस्त, 2019 को एक अनोखा वेब आधारित पोर्टल ‘एविएशन जॉब्स’ शुरू किया है। यह भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र के संभावित नियोक्ताओं और रोजगार चाहने वालों को एक साथ लाएगा। यह विभिन्न उप-क्षेत्रों में अपनी रुचि की नौकरियों में पंजीकरण के लिए उम्मीदवारों को सक्षम बनाने वाला एक संयुक्त मंच है। इसके साथ ही यह संभावित नियोक्ताओं को नागरिक उड्डयन पारिस्थितिकी तंत्र में रोजगार या फिर से रोजगार की संभावनाओं में सुधार करने की दृष्टि से बाजार में उपलब्ध उम्मीदवारों के बारे में जानकारी के स्रोत की सुविधा प्रदान करता है।

पहले, दूसरे और तीसरे दौर अथवा पर्यटन क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) के तहत दिए गए 34 मार्गों पर संचालन शुरू हो गया है। इस योजना के तहत ये 34 आरसीएस मार्ग चार गैर-सेवारत (झारसुगड़ा, मैसूर, कोल्हापुर और जलगांव) और चार कम-सेवारत (ग्वालियर, बेलगाम, दुर्गापुर और शिलांग) हवाईअड्डों  को 10 सेवारत (रायपुर, भुवनेश्वर, कोलकाता, बेंगलुरू, मुंबई, हैदराबाद, गोवा, कोच्चि, राजामुंदरी और वाइजैग यानी विशाखापट्टनम) हवाईअड्डों को संपर्क उपलब्ध कराएंगे।

डिजिटल पहल के तहत मंत्रालय की ओर से उठाए गए कदम

·         ईडीजीसीए परियोजना डीजीसीए और इसके संघटक निदेशालयों की प्रक्रियाओं और कार्यों को पूरी तरह से स्वचालित करने के साथ-साथ आईटी ढांचे और सेवा वितरण तंत्र को एक मजबूत आधार प्रदान करने के लिए संकल्पित है। पायलटों के लाइसेंस सहित विभिन्न मॉड्यूल के विकास पर भी काम चल रहा है।

·         डिजीस्काई – यह दूर से संचालित विमान प्रणाली (आरपीएएस)/ मानव रहित विमान वाहन (यूएवी)/ड्रोन के संचालन और इससे संबंधित संपूर्ण गतिविधियों को नियमन के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल है। इसे शुरू कर दिया गया है। ड्रोन संचालन के दौरान बचाव एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही यह ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने में भी मदद देता है।

·         ईसहज – नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ईसहज ऑनलाइन पोर्टल पर मंत्रालय से संबंधित सुरक्षा मंजूरी को 100% ऑनलाइन किया गया है। यह पोर्टल 24 श्रेणियों में सुरक्षा मंजूरी देने का काम करता है।

·         डिजीयात्रा – डिजीयात्रा पहल को शुरू करने के लिए बेंगलौर और हैदराबाद एयरपोर्ट पर परीक्षण चल रहा है।  यात्रा अनुभव में सुधार, कतार प्रतीक्षा समय घटाने के लिए इस पहल में बायोमेट्रिक तकनीकों का उपयोग करते हुए सहज और परेशानी मुक्त यात्रा की परिकल्पना की गई है। इसमें उन्नत सुरक्षा समाधानों का उपयोग करके यात्री ई-गेट से जा सकते हैं। यह जांच बिंदुओं पर अतिरेक को दूर करेगा और संसाधनों का उपयोग बढ़ाएगा।

यात्री सेवा शुल्क (पीएसएफ) को अब विमानन सुरक्षा शुल्क (एएसएफ) कहा जाएगा। इसे यात्री किराए के हिस्से को तौर पर एयरलाइनों की ओर से वसूला जाएगा। इसे संबंधित जेवी या एएआई खाते के एस्क्रो (निलंब संपत्ति) खाते में जमा किया जाता है। इसे युक्तिसंगत बनाया गया है। हवाईअड्डों के सभी एएसएफ संग्रह को एक साथ लाने के लिए नेशनल ट्रस्ट बनाया गया है। इस ट्रस्ट का प्रबंधन भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा। पीएसएफ (एससी)/एएसएफ का एकल पूल खाते में संग्रह से कम पीएसएफ (एससी)/एएसएफ संग्रह वाले एएआई के छोटे हवाई अड्डों को सब्सिडी देने का उद्देश्य पूरा हो सकेगा। इससे फंडिंग में अंतर को पाटा जा सकेगा।

अपनी सुरक्षा निगरानी की कमियों को दूर करने और प्रभावी कार्यान्वयन (ईआई) में सुधार के लिए भारत की प्रगति को मान्यता देते हुए अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) ने उसे काउंसिल प्रेसीडेंट सर्टिफिकेट देने की घोषणा की है। इसे मांट्रियल स्थित आईसीएओ मुख्यालय में सभा के 40वें सत्र के दौरान एक विशेष कार्यक्रम के दौरान प्रदान किया जाएगा।

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