उत्तर प्रदेश

भू-जल संरक्षण, संवर्धन के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार मुहैया करायेगा अमृत सरोवर

लखनऊ: इस धरती पर मानव सहित जीव-जन्तुओं, पेड-पौधे के लिए पानी की कितनी आवश्यकता है,यह हम सभी जानते है। कि ब्रहमाण्ड के जिन ग्रहों पर पानी है, उसी ग्रह पर जीवन है। पृथ्वी पर विचरण करने वाले सभी जीव-जन्तु, पेड़-पौधो की हरियाली, रमणीयता, प्राकृतिक सौन्दर्य जल पर ही निर्भर है। जल हाइड्रोजन के दो और ऑक्सीजन के एक अणु से मिलकर बनता है। पानी मनुष्य पशु-पक्षी, जीव-जन्तु के पीने, घरेलू उपयोग, कृषि, उद्योगों के लिए अति आवश्यक है। पृथ्वी पर दो तिहाई हिस्से में पानी है, उसमें मात्र 2.7 प्रतिशत जल ही ऐसे रूप में है,जिसका पूरी दुनिया के लोग उपयोग में लाते है। जल का उपयोग प्रत्येक दिन बड़ी मात्रा में विभिन्न कार्यो के निर्माण, कृषि उत्पादन, कल कारखानों, पीने आदि विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है। विभिन्न कार्यो के लिए प्रतिदिन भारी मात्रा में जल का उपयोग/दोहन हो रहा है, जिससें जल स्रोत सूखते जा रहे है और भू-जल स्तर नीचे चला जा रहा है। इसलिए वर्षा जल को संरक्षित करना अति आवश्यक हो गया है।
पूरे देश में आजादी के 75वें वर्ष के सुअवसर पर आजादी का ‘‘अमृत महोत्सव‘‘ मनाया जा रहा है ऐसे में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भू-जल की कमी दूर करने, वर्षा जल के संरक्षण, संर्वधन एवं भण्डारण हेतु 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर योजना का पूरे देश में शुभारम्भ किया है। इस योजना के अन्तर्गत देश के प्रत्येक जिले में 75-75 अमृत सरोवर का विकास किया जायेगा।देश के मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा संचालित कार्यक्रमों में यह योजना बहुत ही कल्याणकारी योजना है जो जल संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरण को संतुलित करने पशु-पक्षियों, जीवों को पानी पाने एवं ग्राणीण प्राकृतिक सौन्दर्य को बनाये रखने व ग्रामीण रोजगार सृजन में सहायक होगी।
अमृत सरोवर योजनान्तर्गत बनाये जा रहे, तालाबों का मुख्य उद्देश्य गॉवों के तालाबों केा पुनर्जीवित करना, उसका सौन्दर्यीकरण कर पर्यटन के रूप में विकसित करना और गिरते हुये भूजल के स्तर को वर्षा जल का संचयन कर भू-जल स्तर को बढ़ाना है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में 75 अमृत सरोवर के साथ-साथ प्रत्येक ग्राम पंचायत में अब दो-दो अमृत सरोवरो का विकास किया जायेगा। प्रत्येक ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवरो का चिन्हांकन किया जा रहा है। अब तक हजारो तालाबों को चिन्हित कर व कार्ययोजना बना कर कार्य आरम्भ कर दिया गया है। अमृत सरोवरो के विकास का कार्य ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायतों केा केन्द्रीय वित्त आयोग (टाइड़/अनटाइड़) राज्य वित्त आयोग व मनरेगा में प्राप्त होने वाली धनराशि से कराया जायेगा।
प्रदेश में बनायेे जा रहे अमृत सरोवर केा इस मानक से बनाया जा रहा है कि उसमें वर्ष भर जल की उपलब्धता बनी रहें। अमृत सरोवर का न्यूनतम रकबा 1.00 एकड से कम न हो और सरोवर के तटबन्ध पर आवश्यकतानुसार वॉकिंग पथ विकसित किया जायेगा। साथ ही उचित स्थान पर बैठने के लिए बेंच की भी स्थापना की जायेगी। जिससे ग्रामीण सुबह-शाम सैर करने के लिए इसका उपयोग कर सके। अमृत सरोवर में लम्बाई एवं गहराई तक सीढियों का भी निर्माण किया जायेगा। अमृत सरोवर के किनारे, आस-पास परम्परागत नीम, पीपल, बरगद, कटहल, जामुन, सहजन पाकड़, महुआ बेल आदि के पौधे भी लगाये जायेगे। जिससे भविष्य के लिए घनी छाया भी ग्रामीणों/पर्यटकों को मिले। अमृत सरोवरो के चयन में स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों, आजादी के बाद के शहीदों के गॉवो को वरीयता दी गई है। अमृत सरोवरों के उचित स्थान पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा रोहण की भी व्यवस्था की जायेगी, जिससे राष्ट्रीय पर्वों पर गॉव के लोग झण्ड़ारोहण कार्यक्रम कर सके।
प्रदेश में बनाये जा रहें अमृत सरोवर के निर्माण में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी दशा में गॉव का गन्दा पानी गॉव की नालियों से होता हुआ सरोवर में न पहुँचे। अमृत सरोवर में गन्दा जल न जाये, इसके लिए डायबर्जन नाली/नाला का निर्माण किया जा रहा है।वर्षा जल अमृत सरोवर में आये इसके लिए आवश्यक इनलेट की व्यवस्था की जा रही है। सरोवर में साफ पानी ही अन्दर जाय, इसके लिए पानी के इन्ट्री प्वाइन्ट पर आवश्यक स्क्रीन एवं सिल्ट चैम्बर की व्यवस्था की जा रही है। अमृत सरोवर में क्षमता से अधिक पानी आने पर जल निकासी की भी समुचित व्यवस्था बनाई जा रही है। सरोवर के किनारे/आस-पास लगाये गये पौधो की सुरक्षा हेतु आवश्यक बाड़ भी लगाया जायेगा। अमृत सरोवर के रख रखाव की जिम्मेदारी सम्बन्धित ग्राम पंचायत की होगी। ग्राम पंचायत ग्रामवासियों व स्वयं सहायता समूहों से सहयोग ले सकती हैं।
अमृत सरोवर के विकास/निर्माण से प्रदेश के लाखों परिवारों को रोजगार मिलेगा। मनरेगा के अन्तर्गत करोड़ो मानव दिवस सृजित होगें और मनरेगा मजदूरो को लगातार काम मिल रहा है। जिससे उनको आर्थिक परेशानी नही होगी। अमृत सरोवर को रोजगार परक बनाने के लिए भविष्य में अन्य उपयोग में भी लाया जा सकता है।

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