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धर्मेन्‍द्र प्रधान ने इस्पात उद्योग से अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की अपील की

नई दिल्ली: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस्पात उद्योग को आश्वासन दिया है कि सरकार उसकी मित्र और मददगार है। सरकार इस्‍पात उद्योग के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। आज नई दिल्ली में तीसरे अंतर्राष्ट्रीय गैल्वनाइजिंग सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की ऊर्जा की जरूरतों में बढ़ोतरी से इस्‍पात की खपत में भी वृद्धि होगी। पीएम आवास योजना, हर घर जल योजना, 400 शहरों में पाइप से प्राकृतिक गैस उपलब्‍ध करने की योजना इस्पात क्षेत्र के लिए शानदार अवसर उपलब्‍ध करा रही हैं। उन्होंने उद्योग से अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की अपील की, ताकि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया जा सके। भारत में कच्चे माल की उपलब्धता, जनसांख्यिकीय लाभांश, विशाल समुद्र तट और बड़े बाजार उपलब्‍ध हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बेंचमार्क का मुकाबला करने के लिए सभी प्रकार की सामग्री उपलब्‍ध है।

श्री प्रधान ने कहा कि उद्योग को अच्‍छी गुणवत्ता और कम लागत वाले उत्पादों के उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए। इस्पात उद्योग को आम नागरिकों के जीवन में पहुंच बनानी चाहिए। गैल्वनाइज्ड इस्‍पात लागत प्रभावी होने से महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हमें अपनी आकांक्षाओं को विश्‍व बाजार से जोड़ना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्‍यवस्‍था का विजन केवल एक नारा मात्र नहीं है, हमें इस विजन को प्राप्‍त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। इस्‍पात उद्योग को एक वैश्विक नेता के रूप में स्‍थापित होने के लिए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। जिंक उद्योग भी  प्रगति के लिए तैयार है, यह क्षय को कम करके इस्‍पात की आयु बढ़ाता है। इस प्रकार यह देश के सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में योगदान दे रहा है।’

इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि जस्‍ते की मदद से इस्‍पात के गैल्वनीकरण से यह क्षय रोधी हो जाता है। इस प्रकार स्‍टेनलैस स्‍टील की तुलना में यह कम लागत में क्षय रोधी बनाता है। इसका जितना अधिक उपयोग किया जाएगा, यह देश के लिए उतना ही बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि उद्योग को जनता और उन स्थानों के विकास में सकारात्मक योगदान देना चाहिए, जो आर्थिक विकास से कम लाभान्वित हुए हैं। इस्पात उद्योग को आम नागरिकों के जीवन में पहुंच बनानी चाहिए।

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