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श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए शिक्षा जगत, उद्योग जगत और नीति निर्माण के बीच बेहतर समन्वय का आह्वान किया

नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम और इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी), दिल्ली में आयोजित भारतीय रसायन इंजीनियर संस्थान के 72वें वार्षिक सत्र- केमकॉन 2019 में शामिल हुए।

इस अवसर पर श्री प्रधान ने कहा कि असफलता के साहस के बिना नवोन्मेष हासिल नही किया जा सकता। हमें यथास्थिति की संस्कृति से आगे जाना होगा। कोई भी अर्थव्यवस्था वैज्ञानिक समुदाय द्वारा किये गये नवोन्मेष के बिना तेजी से विकास नही कर सकती। हम लोग ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की और बढ़ रहे है। भारत वैश्विक नवोन्मेष का केंद्र बनेगा। चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे पास पर्याप्त बौद्धिक क्षमता है। आईआईटी हमारे देश के गौरव हैं। ये संस्थान शैक्षिक उत्कृष्टता के केंद्र हैं और अपार अवसर प्रदान करते है।

उद्योग 4.0 के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि औद्योगिक क्रांति 4.0 भारत के लिए अपार अवसर प्रस्तुत करती है। हमे अपनी असफलताओं को स्वीकार करना चाहिए और उत्साही नवोन्मेषी बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप कंपनियों को सहायता प्रदान करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल और गैस कंपनियों ने 300 करोड़ रूपये का कोष बनाया है। मैंने इन कंपनियों को सलाह दी है कि उन्हें अपने कर्मचारियों के नवोन्मेष और उद्यमिता को सहायता प्रदान करनी चाहिए।

वैज्ञानिक समुदाय से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि हम आकांक्षाओं के राष्ट्र है। हमारे वैज्ञानिक  समुदाय को युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए योगदान देना चाहिए।

छात्रों से बातचीत करने हुए श्री प्रधान ने उन्हें सफलता के पारंपरिक मानकों को छोड़कर उद्यमी बनने की प्रेरणा दी ताकि उनका भविष्य और देश का भविष्य बेहतर हो सके। छात्रों से मुलाकात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि ये युवा कई मामलों में हमे शिक्षा दे सकते है। युवा  विपरित परिस्थितियों में ऊर्जा तथा इच्छा शक्ति से सफल होने का उदाहरण पेश करते है। देश के प्रखर और मेधावी युवाओं से मिलकर में खुश हूं।

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