उत्तर प्रदेश

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं अन्य शिक्षाविदों के साथ विचार-विमर्श करते हुएः सीएम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्य सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में नीति के क्रियान्वयन के लिए सभी सम्बन्धित विभागों द्वारा कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने के लिए पूरा देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आभारी है। यह नीति शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधार की बड़ी पहल है। इसके क्रियान्वयन से विद्यार्थी सैद्धान्तिक ज्ञान तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उनका व्यावहारिक व तकनीकी ज्ञान भी समृद्ध होगा।
मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं अन्य शिक्षाविदों के साथ विचार-विमर्श कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 1.34 करोड़ विद्यार्थी अध्ययनरत थे। राज्य सरकार के निरन्तर प्रयास से वर्तमान में 1.80 करोड़ विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस प्रकार विगत 03 वर्षों में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में लगभग 50 लाख की वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के 1.58 लाख विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं को आॅपरेशन कायाकल्प के माध्यम से सुदृढ़ किया गया है। इससे  शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है। परिषद के इन स्कूलों में विद्यार्थियों को यूनीफाॅर्म, स्कूल बैग, पुस्तकें, जूता-मोजा, स्वेटर आदि निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। कोविड-19 के बावजूद छात्र-छात्राओं को घर जाकर यूनीफाॅर्म उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की व्यवस्था को सुदृढ़ और सुचारु बनाने के लिए तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा पहली बार प्राथमिक शिक्षण व्यवस्था को बेहतर ढंग से संचालित करने हेतु महानिदेशक बेसिक शिक्षा का पद सृजित किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा निरन्तर प्रयास करके माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था को भी बेहतर बनाया गया है। माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित की जाने वाली बोर्ड परीक्षाओं को नकलविहीन बनाया गया है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है। हाईस्कूल तथा इण्टरमीडिएट की परीक्षाओं को सीमित समयावधि में सम्पन्न कराकर परीक्षा फल भी घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए भी प्रदेश सरकार द्वारा निरन्तर कदम उठाए गए हैं। निजी क्षेत्र में विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए एक्ट बनाया गया है। शिक्षा से जुड़े सभी विभागों में शिक्षकों के निष्पक्ष और पारदर्शी चयन के लिए शिक्षा सेवा आयोग का गठन प्रक्रियाधीन है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में व्यावसायिक और औपचारिक शिक्षा को जोड़ने के लिए कार्य किया गया है। इस उद्देश्य से यू-राइज पोर्टल प्रारम्भ किया गया है। प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों को सभी जनपदों में स्थापित कृषि विज्ञान केन्द्रों से जोड़ा गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों से जुड़े हुए हैं। कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से विकासखण्डों में एफ0पी0ओ0 के गठन का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक जनपद-एक उत्पाद योजना के माध्यम से सभी जनपदों के विशिष्ट उत्पादों की तकनीक, डिजाइन, मार्केटिंग, ब्राण्डिंग आदि में सहायता की जा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के माध्यम से परम्परागत हस्तशिल्पियों को प्रशिक्षण, टूल किट एवं बैंक के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया गया है। माटी कला बोर्ड के माध्यम से मिट्टी के कारीगरों की कला को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्पियों एवं कारीगरों की हर स्तर पर स्किल मैपिंग करायी गयी है। लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश में 40 लाख से अधिक श्रमिक अन्य राज्यों से आए। इनकी स्किल मैपिंग करते हुए इन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार से जोड़ा गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण में व्यापक सुधार के लिए बड़े पैमाने पर जनसहभागिता के आधार पर कार्यक्रम संचालित किए गए। विगत 04 वर्षों में क्रमशः 05 करोड़, 11 करोड़, 22 करोड़ तथा 25 करोड़ वृक्षारोपण कराया गया। प्रत्येक वृक्ष को जियो टैग भी कराया गया। वृक्षारोपण के लिए पौधों की नर्सरी तैयार की गयी, जिसमें पीपल, बरगद, बीजू आम, नीम जैसे वृक्षों की पौध तैयार करने पर बल दिया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश में निर्मित 30 लाख आवासों के परिसर में सहजन के पौधे का रोपण कराया गया। सहजन के पौधे के फल और पत्तियां भी पौष्टिकता से युक्त होते हैं।
उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन हेतु किए गए कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि नीति के क्रियान्वयन हेतु शिक्षा से जुड़े सभी विभागों के समन्वय से टास्क फोर्स का गठन किया गया है। टास्क फोर्स की अब तक 03 बैठकें सम्पन्न हो चुकी हैं। शिक्षा से सम्बन्धित सभी विभागों में स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया है। हर हफ्ते स्टीयरिंग कमेटी की बैठक होती है।
उप मुख्यमंत्री डाॅ0 शर्मा ने कहा कि कोरोना कालखण्ड में विद्यार्थियों को आॅनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए कई चैनल संचालित किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों को आॅनलाइन पाठ्य सामग्री सुलभ कराने के लिए डिजिटल लाइब्रेरी तैयार की गयी है। 02 माह से भी कम समय में इसमें 53 हजार ई-कन्टेन्ट उपलब्ध करा दिए गए हैं। राज्य सरकार द्वारा नकलविहीन परीक्षा करायी गयी है। प्रदेश में एन0सी0ई0आर0टी0 पाठ्यक्रम लागू किए जाने के साथ ही सस्ते मूल्य पर पुस्तकें उपलब्ध करायी जा रही हैं। फीस को नियंत्रित करने के लिए शुल्क विनियमन अधिनियम लागू किया गया। संस्कृत शिक्षकों की पूर्णकालिक भर्ती होने तक तदर्थ भर्ती की व्यवस्था की गयी है। माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा हेतु केन्द्र बनाने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनायी गयी है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के लिए सबसे पहले समिति का गठन करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी ने कहा कि 150 वर्षों बाद भारतीयता के मूल आधार की शिक्षा नीति बनी है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को विचार, बौद्धिकता और कार्य व्यवहार से भारतीय बनाना है। वर्तमान में सबसे बड़ा प्रश्न नीति के क्रियान्वयन का है। नीति के क्रियान्वयन के लिए न्यास द्वारा भी समिति गठित की गयी है। शीघ्र ही समिति की रिपोर्ट आ जाएगी। उन्होंने कहा कि नीति में पहली बार भारतीय भाषाओं को अत्यन्त महत्व दिया गया है। शिक्षा नीति आत्मनिर्भरता की बात करती है। इसमें प्रधानमंत्री जी के लोकल के लिए वोकल की भावना भी सन्निहित है।
श्री कोठारी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन हेतु समाज की सहभागिता और सहयोग उपयोगी हो सकता है। नीति को लागू करने में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के साथ ही विश्वविद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर नीति के क्रियान्वयन हेतु कमेटियों का गठन भी उपयोगी होगा। जनपद स्तर पर भी नीति को लागू करने के लिए कमेटी का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए विद्यालय स्तर पर परामर्श केन्द्र का गठन उपयोगी हो सकता है, जिसमें कॅरियर काउन्सिलिंग के साथ ही उनकी व्यक्तिगत और किशोरवय की समस्याओं का निदान किया जाए।
श्री कोठारी ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए विशेष तौर पर कार्य किए जाने की जरूरत है। कोरोना महामारी के दौर में शिक्षा के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों को अवसर में बदलने का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि 02 दिन आॅनलाइन, 02 दिन आॅफलाइन तथा 01 दिन प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर शिक्षण कार्य प्रारम्भ किया जाए। इससे अधिक से अधिक संख्या में विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने मध्यान्ह भोजन योजना को बच्चों में कुपोषण दूर करने के उद्देश्य से संचालित किए जाने का सुझाव भी दिया।
परिचर्चा में श्रीमती पंकज मित्तल, श्री संजय स्वामी, श्रीमती नीलिमा गुप्ता, श्री ओम प्रकाश आदि शिक्षाविद ने भी प्रतिभाग किया। परिचर्चा के दौरान नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास विभाग तथा नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग द्वारा भी प्रस्तुतीकरण दिया गया।
इस अवसर पर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सतीश द्विवेदी, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक श्री मुकुल सिंघल, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा श्रीमती रेणुका कुमार, अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा श्रीमती अनुराधा शुक्ला, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्रीमती मोनिका एस0 गर्ग, अपर मुख्य सचिव प्राविधिक, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग श्रीमती राधा एस0 चैहान, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं श्री सुरेश गुप्ता, श्री देवेन्द्र सिंह, श्री एडवर्ड मेंढे़, श्री विवेकानन्द उपाध्याय, श्री विकास जैन, डाॅ0 वृषभ प्रसाद जैन, श्री समीर कौशिक आदि शिक्षाविद उपस्थित थे।

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