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डॉ. हर्ष वर्धन ने 8 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कोविड-19 को लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य की प्रतिक्रिया और टीकाकरण की प्रगति की समीक्षा की

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज 8 राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रधान सचिवों/अतिरिक्त मुख्य सचिवों के साथ चर्चा की। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी उपस्थित रहे। ये राज्य/केंद्र शासित प्रदेश दैनिक मामलों में उच्च वृद्धि दर, उच्च मृत्यु दर, बहुत ऊंची और लगातार बढ़ने वाली पॉजिटिविटी रेट दर्शा रहे हैं।

 

इनमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना राज्य शामिल थे। इस बैठक में श्री तीरथ सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड, श्री अनिल विज, स्वास्थ्य मंत्री (हरियाणा), श्री बलबीर सिंह सिद्धू, स्वास्थ्य मंत्री (पंजाब), श्री नाबा किशोर दास, स्वास्थ्य मंत्री (ओडिशा), श्री बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य मंत्री (झारखंड), श्री मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री (बिहार) वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इन राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में कोविड के मामलों को रेखांकित किया और इसकी वजह से चिकित्सा के बुनियादी ढांचे पर आने वाले दबाव की तरफ ध्यान दिलाया। उन्होंने महामारी के खिलाफ लड़ाई और साथ ही साथ जन कल्याण सुनिश्चित करने के लिए राज्य प्रशासन की ओर दिखाए गए समर्पण और धैर्य की सराहना की। उन्होंने कहा, “भले ही पिछले 24 घंटों में, 3.48 लाख नए मामले दर्ज किए गए हों, लेकिन सक्रिय मामलों की संख्या में 11,122 की स्पष्ट गिरावट आई है। यह सक्रिय मामलों में गिरावट का लगातार दूसरा दिन है।” उन्होंने कोविड मामलों में आए मौजूदा उछाल से निपटने के लिए नियंत्रणकारी उपायों पर नए और सख्त तरीके से ध्यान देने के अलावा कोविड से सुरक्षा देने वाले उपयुक्त व्यवहार को लगातार अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि छोटे कंटेंटमेंट जोन को सख्ती से लागू करने से भी मदद मिली है।

टीकाकरण अभियान के गंभीर महत्व को रेखांकित करते हुए, मंत्री ने कहा, “कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में टीकाकरण हमारा बड़ा हथियार है।” उन्होंने आगे कहा कि 114 दिनों में टीके की 17 करोड़ खुराक लगाने की उपलब्धि पाने वाला भारत दुनिया का सबसे तेज देश है। उन्होंने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को इस उपलब्धि को पाने में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी बताया कि पहली खुराक 13.66 करोड़ लोगों को, जबकि दूसरी खुराक सिर्फ 3.86 करोड़ लोगों को दी गई है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम दूसरी खुराक के टीकाकरण पर सबसे पहले ध्यान दें। राज्यों को उन लोगों की अनदेखी नहीं चाहिए, जिन्हें कोविड टीके की दूसरी खुराक लगनी हैं, इसलिए 70 फीसदी टीका दूसरी खुराक के लिए और 30 प्रतिशत टीका पहली खुराक के लिए आवंटित होना चाहिए। डॉ. हर्ष वर्धन ने राज्यों से यह भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि स्वास्थ्य सेवाओं के कर्मचारियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स का पूरी तरह से टीककरण किया जाए, क्योंकि वे सबसे ज्यादा जोखिम वाले वर्ग निर्मित करते हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि भारत सरकार (जीओआई) के माध्यम से नि:शुल्क टीकाकरण के साथ-साथ उदारीकृत मूल्य निर्धारण और त्वरित राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण रणनीति (लिबरलाइज्ड प्राइसिंग एंड एक्सीलरेटेड नेशनल कोविड-19 वैक्सीनेशन स्ट्रेटजी) के तहत, राज्य अपने निवासियों के संपूर्ण टीकाकरण के लिए गैर-जीओआई माध्यम का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रत्येक महीने सभी निर्माता की वैक्सीन की 50% खुराक राज्य सरकार और निजी अस्पतालों की ओर से सीधी खरीद के लिए उपलब्ध होगी, जबकि भारत सरकार टीकों की अपनी 50% हिस्सेदारी की खरीद करती रहेगी और पहले की तरह राज्यों को नि:शुल्क उपलब्ध कराती रहेगी।

डॉ. हर्ष वर्धन ने यह भी बताया कि देश में टीके का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार कई कदम उठा रही है। कोविड-19 के उन टीकों को, जिन्हें विदेशों में विकसित किया गया है और वहां उत्पादन हो रहा है, और जिन्हें यूएसएफडीए, ईएमए, यूके एमएचआरए, पीएमडीए जापान ने सीमित उपयोग के लिए आपातकालीन अनुमति दी है या जिन्हें डब्ल्यूएचओ में (आपातकालीन उपयोग) सूचीबद्ध किया गया है, भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति दी जा सकती है। टीका निर्माताओं की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाया जा रहा है। यह मई 2021 तक 8 करोड़ खुराक हो जाएगी, जो जून 2021 में 9 करोड़ खुराक तक पहुंच जाएगी।

डॉ. सुजीत के. सिंह, निदेशक एनसीडीसी ने राज्यों में कोविड प्रक्षेपपथ (कोविड ट्रजेक्टरी) का बहुत सूक्ष्म विश्लेषण को सामने रखा। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के स्पष्ट रूप से कम आयु वर्ग की तरफ बढ़ने के पीछे तथ्य यह है कि आज उच्च आयु वर्ग का उल्लेखनीय अनुपात में टीकाकरण हो चुका है। उन्होंने शहरों के आसपास के क्षेत्रों में जांच और टीकाकरण बढ़ाने का सुझाव दिया, क्योंकि संक्रमण अब शहरों के आसपास और ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि कोविड का कोई भी वेरिएंट हो, लेकिन तैयारियों और सुरक्षा के उपाय एक समान हैं। उन्होंने राज्यों से जांच और टीकाकरण के लिए बुनियादी चिकित्सा ढांचे को विस्तार देने का अनुरोध किया, ताकि महामारी के खिलाफ एक मजबूत प्रतिक्रिया पैदा की जा सके।

इस बैठक में कोविड प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक और विस्तार से चर्चा की गई। इसमें अस्पतालों के बुनियादी ढांचे में सुधार, जांच में बढ़ोतरी, संक्रमण के प्रसार का क्रम तोड़ने के लिए सख्त पाबंदियां लागू करना; और जनता के बीच कोविड से बचाव करने वाले उपयुक्त व्यवहार को अपनाने पर जोर देने जैसी बातें शामिल रहीं। टीके की खरीद करने और उसे लगाने में आने वाली गंभीर बाधाओं पर भी चर्चा की गई।

इस बैठक में प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य), अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) और संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य सर्तकता अधिकारियों के साथ-साथ सुश्री वंदना गुरनानी, एएस और एमडी (एनएचएम), सुश्री आरती आहूजा, एएस (स्वास्थ्य), एमओएचएफडब्ल्यू, डॉ. सुजीत के. सिंह, निदेशक, एनसीडीसी उपस्थित रहे।

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