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कोविड-19 सावधानियों के बीच वर्चुअल सेलिब्रेशन के साथ गंगा उत्सव प्रारंभ

बहुप्रतीक्षित गंगा उत्सव 2020 की आज से शुरुआत हुई है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा, ने माहिया के साथ बातचीत के दौरान बचपन से गंगा के साथ अपने लगाव को साझा किया। उन्होंने कहा, “यह त्योहार राष्ट्रीय नदी गंगा की महिमा का उत्सव मनाने के लिए है। अगर युवा पीढ़ी को उसके प्राचीन इतिहास और सांस्कृतिक महत्व से अवगत कराया जाता है, तो वह उसे न केवल पानी के स्रोत के रूप में बल्कि हमारी सभ्यता के अभिन्न अंग के रूप में प्रतिष्ठित करेंगे।” हमें अपनी गहन आस्था के साथ गंगा के प्रति अपने कर्त्तव्य को निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गंगा सभी नदियों और जल के स्रोतों का प्रतिनिधित्व करती है और इस त्योहार को नदी का त्योहार भी माना जाता है।

उत्सव के पहले दिन विविध कार्यक्रम आयोजित किये गए। भारतीय अर्ध-शास्त्रीय गायिका डॉ. रेवती साकलकर की आवाज़ में माँ गंगा की भक्ति से सभी मंत्रमुग्ध हुए। काशी कोकिला ने अपने भजनों के माध्यम से श्रोताओं के सामने नदी का स्वरूप प्रस्तुत किया जिसकी शुरुआत उन्होंने “चलो मन गंगा यमुना तीर” से की।

कहानी जंक्शन में, प्रसिद्ध कथाकार रितुपर्णा घोष की “हूज़ रिवर इस इट एनीवे?” का संदेश स्पष्ट था कि यदि आप प्रकृति की देखभाल नहीं करेंगे, तो प्रकृति आपकी देखभाल नहीं करेगी। लोकप्रिय उपन्यास लेखक आनंद नीलकांतन ने महाभारत और प्राचीन पुराणों से गंगा की आकर्षक पौराणिक कहानियों को साझा किया। समारोह में कपिल पांडेय एक अन्य प्रसिद्ध कथाकार थे।

उत्सव शुरू होने से दो दिन पहले ट्री क्रेज फाउंडेशन के सहयोग से शुरू होने वाली लघु गंगा प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी किया गया। अब तक इस प्रश्नोत्तरी में 4000 से अधिक छात्रों ने भाग लिया है। यह क्विज़ युवाओं और छात्रों को पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरूक करने और संरक्षण में उनकी भूमिका के बारे में बताने के लिए आयोजित किया गया है। मिनी गंगा क्वेस्ट पूरे उत्सव के दौरान जारी रहेगा और उत्सव के अंतिम दिन इसके परिणाम घोषित किए जाएंगे। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के साथ भावना शर्मा की अगुवाई में ट्री क्रेज फाउंडेशन अप्रैल-मई के दौरान सालाना गंगा क्वेस्ट का आयोजन करता है, जिसने इस वर्ष बड़े पैमाने पर लाखों प्रतिक्रियाएँ प्राप्त की हैं।

गंगा उत्सव को विभिन्न देशों से समर्थन भी मिला है। भारत में कोरिया के राजदूत शिन बोंगकिल ने कहा कि गंगा न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए भारतीय आध्यात्मिक रहस्यवाद के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण है। भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे. लिंडनर ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के प्रयासों की प्रशंसा की और गंगा उत्सव की बधाई दी। भारत में नीदरलैंड के राजदूत मार्टिन वैन डेन बर्ग ने गंगा उत्सव के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “नीदरलैंड की सरकार भारत के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम सब मिलकर गंगा को साफ और स्वच्छ रख सकते हैं।”

रिंटू थॉमस, सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित पुरस्कार विजेता फिल्म “द मिरेकल वॉटर विलेज”, में दिखाया गया कि कैसे अकाल से त्रस्त एक गावं वर्षा-जल संचयन की क्रांति शुरू करने के लिए एक साथ आया। उषा दीवानी और नीलुतपाल दास द्वारा निर्देशित “लोकल्स बिकम जियोहाइड्रोलॉजिस्ट इन रापर” से एक और प्रेरक कहानी सामने आई, जहां कच्छ के एक दूर-दराज के शुष्क गांव में ग्रामीणों के प्रयासों से पानी की सुलभता सुनिश्चित हुई। इस दौरान शिवानागेश्वर राव की थ्रसट, आदित्य सेठ द्वारा एंजियोप्लास्टी ऑफ ड्रीम्स, नूतन मनमोहन की वाटर वॉरियर्स और सौमित्रदेई द्वारा रिवाइवल ऑफ़ आहारपीनेस सिस्टम्स अन्य उल्लेखनीय फिल्में थीं। गंगा फिल्म महोत्सव के पीछे का विचार था कि पारिस्थितिकी और पर्यावरण के प्रति आलोचनात्मक सोच और सहानुभूति पैदा करने के लिए एक माध्यम के रूप में फिल्मों का उपयोग किया जाए।

प्रसिद्ध लेखक और शोधकर्ता राजीव मल्होत्रा ने वैष्णव विद्वान श्री सत्यनारायण दास के साथ गंगा संवाद, जो प्रख्यात व्यक्तित्वों के साथ चर्चाओं की एक श्रृंखला है, शुरू किया। अपनी आनेवाली पुस्तक संस्कृत नॉन-ट्रांसलेटेबल्स से एक पत्ता निकालते हुए, उन्होंने गंगा के विचार को गंगा की तुलना में अधिक प्रासंगिक होने के बारे में चर्चा की क्योंकि यह इसकी विशिष्टता और पवित्र प्रकृति को व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि गंगा एक जीवित संस्था है। उन्होंने कहा कि गंगा का अनुवाद उसे सिर्फ एक जल निकाय बनाती है जो उसे शोषण और उपेक्षा का शिकार बनाती है।

नमामि गंगे में अभिनव तरीकों को साझा करते हुए, मीनाक्षी पायल ने गंगा घाटों के साथ कला और भित्ति चित्र परियोजनाओं के बारे में बात की। उन्होंने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के साथ मोजार्टो पर अपनी टीम द्वारा बड़े पैमाने पर बनाए गए डिजाइनों की झलक दिखाई। यह परियोजना यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा समर्थित नमामि गंगे के तहत एक सीएसआर पहल है। अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकारों ने इस परियोजना में भित्ति चित्र बनाने और नयापन लाने में अपना योगदान दिया है, जिसमें चंडीघाट, हरिद्वार में क्लॉक टॉवर क्षेत्रों और वाराणसी के कई प्रतिष्ठित घाटों पर उल्लेखनीय योगदान दिया है।

भोजन के बिना कोई भी उत्सव पूरा नहीं होता है। लेकिन एक आभासी त्योहार में भोजन करने के लिये नए तरीके खोजना आसान नहीं था। अनुभव सप्रा, “ज़ायका गंगा किनारे वाला”, “दिल्ली के फूड वॉक” और “भारतीय पाक संस्कृति” के फूड-इन-चीफ, ने यह सुनिश्चित किया है कि दर्शकों को गंगा के तट पर विभिन्न शहरों के स्वादिष्ट व्यंजनों का अनुभव हो। उन्होंने 100 से अधिक वर्षों से प्रसिद्ध भोजन की खोज की, जो कि लक्ष्मण झूला के रामफल, प्रयागराज का पालक हलवा और पटना में भुजा जैसे दुर्लभ व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध थे। कोलकाता में, वह पैरामाउंट रेस्तरां में पहुंचे, जहां सुभाष चंद्र बोस अन्य राष्ट्रवादी नेताओं के साथ मिलते थे और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गुप्त योजना बनाते थे।

गंगा उत्सव समारोह को ले कर कई जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। गंगा टास्क फोर्स ने परियोजना क्षेत्र में एनसीसी कैडेटस के साथ मिल कर युवाओं के लिए शैक्षिक कार्यों के साथ वनीकरण अभियान चलाया है। उत्तराखंड, बुलंदशहर, रायबरेली, वाराणसी, कासगंज, साहिबगंज, रांची आदि जिलों में नदी तट पर स्वच्छ्ता अभियान और वृक्षारोपण, क्विज और पेंटिंग प्रतियोगिताओं, जल निकाय आदि कार्यक्रम आयोजित। रायबरेली में गंगा घाट पर आयोजित क्विज और पेंटिंग को लेकर सैकड़ों स्कूली बच्चों ने उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया दी है।

यह उत्सव दो और दिन यानी 3 और 4 नवंबर 2020 तक जारी रहेगा। दूसरे दिन माननीय राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया का सन्देश, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का संदेश, सद्गुरु जग्गी वासुदेव का संदेश, राजीव खंडेलवाल के साथ ऋचा अनिरुद्ध की बातचीत, तपस्या के साथ पद्मभूषण अनिल जोशी की बातचीत, नमामि गंगे के गीत पर त्रिचूर ब्रदर्स सहित कई और कहानियों और फिल्मों की प्रस्तुति इस उत्सव में जारी रहेगी।

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