देश-विदेश

हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत मंजूर किए गए मकानों के निर्माण में 158 लाख मीट्रिक टन (एमटी) इस्‍पात की खपत होगी

नई दिल्ली: केन्‍द्रीय आवास एवं शहरी मामले (स्‍वतंत्र प्रभार) और नागर विमानन राज्‍य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत मंजूर किए गए सभी मकानों के निर्माण में लगभग 158 लाख मीट्रिक टन इस्‍पात और 692 लाख मीट्रिक टन सीमेंट की खपत होने की संभावना है। ‘आत्‍मनिर्भर भारत : आवास और निर्माण तथा विमानन क्षेत्र में इस्‍पात के उपयोग को प्रोत्‍साहन देना’पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करने हुए उन्‍होंने कहा कि लगभग 84 लाख मीट्रिक टन इस्‍पात और 370 लाख मीट्रिक टन सीमेंटकी नींव डाले गए/पूरे हो चुके मकानों में अब तक खपत हो चुकी है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान, इस्‍पात राज्‍य मंत्री श्री एफ. एस. कुलस्‍ते, नागर विमानन सचिव श्री पी. के. खरोला, आवास एवं शहरी मामले सचिव श्री डी. एस. मिश्रा, इस्‍पात सचिव श्री पी. के. त्रिपाठी, अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी और उद्योग के हितधारकों ने सीआईआई द्वारा आयोजित इस वेबिनार में भाग लिया।

यह जानकारी देते हुए किप्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 4,550 शहरों में 1.07 करोड़ मकानों (1.12 करोड़ मकानों की मांग) के सापेक्ष 67 लाख मकानों की नींव रखी गई है और 35 लाख घर अभी तक सौंप दिए गए हैं। श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहासभी स्‍वीकृति मकानों के निर्माण से लगभग 3.65 करोड़के रोजगारों का सृजन होगा। नींव डाले गए मकानों के निर्माण में अभी तक 1.65 करोड़ रोजगारों का पहले ही सृजन हो चुका है। श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2024 तक भारत के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने का विजन रखा था और इस विकास को पूरे देश में नवाचारी, स्‍थायी, समावेशी और आत्‍मनिर्भर बुनियादी ढाँचे के विकास में शामिल किए जाने की कल्पना की गई थी। शहरीकरण के बारे में उन्‍होंने कहा कि हमारे शहरी केन्‍द्र / शहर आर्थिक उत्पादकता, बुनियादी ढांचे, संस्कृति और विविधता के केन्‍द्र हैं। श्री पुरी ने कहा कि हमारी 40 प्रतिशत आबादी या 600 मिलियन भारतीयों के 2030 तक शहरी केन्‍द्रों में रहने की आशा है।

शहरी परिवहन में इस्‍पात के उपयोग के बारे में प्रकाश डालते हुए उन्‍होंने कहा कि वर्तमान में 18 शहरों में 700 किलोमीटर दूरी पर मेट्रो परिचालित हैं और 27 शहरों में 900 किलोमीटर नेटवर्क निर्माणाधीन है। उन्‍होंने यह भी कहा कि मेट्रो परियोजनाओं में औसतन प्रति किलोमीटर लगभग 13,000 मीट्रिक टन इस्‍पात (टाइप-रीफोर्समेंट स्टील, स्ट्रक्चरल स्टील, स्टेनलेस स्टील और एचटी स्टील) की जरूरत पड़ती है।

स्मार्ट सिटी मिशनमें अप्रत्‍यक्ष रूप से इस्‍पात के उपयोग के बारे में श्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि 100 स्‍मार्ट शहरों में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्‍य की 5,151 परियोजनाओं की पहचान की गई थी और इस मिशन में 1,66,000 करोड़ रुपये लागत की लगभग 4,700 परियोजनाओं के टेंडर निकाले हैं। यह राशि कुल प्रस्‍तावित परियोजनाओं की लगभग 81 प्रतिशत है। उन्‍होंने कहा कि अनुमानित 1,25,000 करोड़ रुपये अर्थात 61 प्रतिशत लागत की लगभग 3,800 परियोजनाओं की नींव रखी गई और27,000 करोड़ रुपये से अधिक लागत की 1,638 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। गतिशीलता में सुधार लाने के लिए हमारे शहरों ने 215 स्‍मार्ट सड़क परियोजनाएं पूरी कर ली हैं और 315 परियोजनाएं पूरी होने वाली हैं। हमारे शहरों को अधिक जीवंत और टिकाऊ बनाने की हमारी प्रतिबद्धता के मद्देनजर स्‍मार्ट पानी से संबंधित 70 परियोजनाएं और स्‍मार्ट सौर के तहत 42 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।

विमानन क्षेत्र में इस्‍पात के उपयोग के बारे में प्रकाश डालते हुए नागर विमानन मंत्री ने कहा कि एयरपोर्टटर्मिनल भवनों में छत के ढांचे में और ग्‍लास मुखौटों में इस्‍पात का बड़े पैमाने में उपयोग किया जा रहा है। इस्‍पात की छत की संरचना से बड़े कॉलम के बिना मुक्‍त स्‍थानों का निर्माण किया जा सकता है और इससे बिना किसी रुकावट के सभी दृश्‍यसाफ नजर आते हैं। श्री पुरी ने बताया कि टर्मिनल भवनों, पूर्व-डिजाइन ढांचों में इस्‍पात के उपयोग में बढ़ोतरी से काम में आसानी आती है और निर्माण कार्य तेजी से होता है। उन्‍होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में एयरपोर्ट टर्मिनल भवनों के निर्माण में प्रयुक्‍त इस्‍पात का मूल्‍य लगभग 570 करोड़ रुपये है। अगले पांच वर्षों में एयरपोर्ट टर्मिनल भवनों के निर्माण में लगभग 1905 करोड़ रुपये मूल्‍य के इस्‍पात के उपयोग होने का अनुमान है। अगले पांच वर्षों में 15,000 करोड़ रुपये लागत की 15 नए टर्मिनल भवनों के निर्माण की योजना बनाई गई है जिसके लिए भारी मात्रा में इस्‍पात की जरूरत होगी और एयरपोर्ट के लिए निर्माण घटक का औसतन 12 से 15 प्रतिशत इस्‍पात कार्य होगा। उन्‍होंने यह भी कहा कि 2030 तक इस्‍पात मंत्रालय का विजन 300 मिलियन टन क्षमता का है जो अगले दशक में शहरी बुनियादी ढांचा विकास से उत्‍पन्‍न मांग के द्वारा मजबूती से पूरा होगा। उन्‍होंने आश्‍वासन दिया कि आवास एवं शहरी मामले तथा नागर विमान मंत्रालय मांग को पूरा करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और आने वाले वर्षों में इस्‍पात की मांग में भारी बढ़ोतरी होने जा रही है।

पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में श्री पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने नई वैकल्पिक और तेज निर्माण रणनीतियों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने की जरूरत पर जोर दिया है क्‍योंकि ये निर्माण आपदा लचीले और पर्यावरण के अनुकूल हैं जहां कार्बन फुटप्रिंट न्‍यूनतम है। उन्‍होंने कहा कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने नई प्रौद्योगिकी को मजबूती से बढ़ावा दिया है और आज पूरे देश में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के साथ-साथ अन्‍य राज्‍य एजेंसियों के माध्‍यम से नई प्रौद्योगि‍कियों का उपयोग करते हुए 15 लाख मकानों का निर्माण किया गया है/ निर्माणाधीन हैं। श्री पुरी ने इस्‍पात उद्योग से नई रणनीतियों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग के लिए अपनी डिजाइन संरचनाओं के साथ आगे आने के लिए कहा है जिनसे घरों का निर्माण तेजी से होगा और वे लचीले होंगे। उन्‍होंने कहा कि आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय राज्‍यों को इस तरह की प्रौद्योगिकियोंको बढ़ावा देने में सहयोग करेगा। मंत्रालय ने नई प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने और प्रचार के लिए ‘वैश्विक चुनौती – वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी चुनौती (जीएचटीसी)’ पहले ही लॉन्‍च कर दिया है।

Related Articles

Back to top button