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यह रोजगार सृजित करेगी और एमएसएमईएस को प्रतिस्पर्धी बनाएगी: निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली: वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि जल्द ही एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जारी की जाएगी और यह केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और प्रमुख नियामकों की भूमिकाओं को स्पष्ट करेगी। वह आज संसद में केंद्रीय बजट 2020-21 प्रस्तुत कर रही थीं। यह नीति सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स बाजार बनाएगी और रोजगार, कौशल सृजित करने और  एमएसएमई को प्रतिस्पर्धी बनाने पर फोकस करेगी।

भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर काफी एकीकृत है और इसका लक्ष्य 2022 तक लॉजिस्टिक्स लागत  को सकल घरेलू उत्पाद की मौजूदा 14% दर से कम कर इसे 10% तक लाना है। भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर 20 से अधिक सरकारी एजेंसियों, 40 पीजीए, 37 निर्यात संवर्धन परिषदों, 500 प्रमाणपत्रों, 10000 वस्तुओं, 160 बिलियन के बाजार आकार के साथ बहुत जटिल है। इसमें 12 मिलियन रोजगार आधार, 200 शिपिंग एजेंसियों, 36 लॉजिस्टिक्स सेवाएं, 129 आईसीडी, 168 सीएफएस, 50 आईटी इकोसिस्टम और बैंक तथा बीमा एजेंसियां भी ​​शामिल हैं। इसके अलावा, एक्जिम के लिए 81 प्राधिकरणों और 500 प्रमाण पत्रों की आवश्यकता होती हैं।

भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 22 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है और इस क्षेत्र में सुधार से अप्रत्यक्ष लॉजिस्टिक्स लागत में 10% की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8% की वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त, यह अनुमान लगाया जाता है कि भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार का मूल्य अगले दो वर्षों में वर्तमान के लगभग 160 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 215 बिलियन अमरीकी डॉलर के आसपास होगा।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति भारत की व्यापार प्रतिस्पर्धा में सुधार करेगी और अधिक रोजगार सृजित करेगी, वैश्विक रैंकिंग में भारत के प्रदर्शन में सुधार करेगी और भारत को एक लॉजिस्टिक्स हब बनने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

वित्त मंत्री के बजट भाषण में निम्नलिखित घोषणाएँ राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को और सुदृढ़ बनाएंगी:

  • जीएसटी लागू होने से लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र में दक्षता आई है। इससे ट्रकों के टर्नअराउंड समय में 20% से अधिक कमी आ गई है।
  • सभी वेयरहाउसिंग की जियो-टैगिंग।
  • डब्ल्यूडीआरए मानदंडों का अनुपालन करने के लिए वेयरहाउसिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • पीपीपी मोड पर ब्लॉक / तालुक स्तरों पर वेयरहाउसिंग स्थापित करने के लिए वीजीएफ प्रदान किया जाएगा। भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडारण निगम भी इस उद्देश्य के लिए अपनी भूमि की पेशकश करेगा।
  • महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्राम भंडारण योजना बीजों के लिए बैकवर्ड लिंकेज प्रदान करेगी जिससे लॉजिस्टिक्स लागत कम होगी। मुद्रा ऋण और नाबार्ड के तहत वित्तीय सहायता इस उद्देश्य के लिए प्रदान की जाएगी।
  • मछली और शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं के लिए कोल्ड चेन को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • रेफ्रिजरेटेड वैन को जल्द ही शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं की आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए पैसेंजर ट्रेनों से जोड़ा जाएगा।
  • कृषि ट्रेनों को भी पीपीपी मोड पर चलाया जाएगा।
  • कृषि उड़ान योजना को बढ़ावा दिया जाएगा / लॉन्च किया जाएगा, जिसके जरिए बागवानी और शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं को वायु-मार्ग के माध्यम से ले जाया जाएगा, जो विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र और जन-जातीय क्षेत्र को लाभान्वित करेगा। यह निश्चित रूप से उत्पादन क्षेत्रों से लेकर उपभोग क्षेत्रों तक शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं और खाद्य पदार्थों की आवाजाही में मदद करेगा।
  • बागवानी को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। एक उत्पाद एक जिला को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • जैविक उत्पादों के लिए राष्ट्रीय जैविक ई-बाजार विकसित किया जाएगा।
  • निगोशिएबल वेयरहाउसिंग प्राप्तियों के वित्तपोषण और ई-एनएएम के साथ इसके एकीकरण को भी प्रोत्साहित किया जाएगा ।
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जल्द ही जारी की जाएगी। यह केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और प्रमुख नियामकों की भूमिकाओं को स्पष्ट करेगी। यह सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केट प्लेस बनाएगी और रोजगार, कौशल पैदा करने और एमएसएमई को प्रतिस्पर्धी बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
  • 100 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन शुरू की गई है जिसमें 6500 से अधिक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं। राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन में सड़कों के लिए 19.6 लाख करोड़ रुपये, रेलवे के लिए 13.69 लाख करोड़ रुपये, हवाई अड्डों के लिए रु. 4.3 लाख करोड़ और बंदरगाहों के लिए रू.1.01 लाख करोड़ की परियोजनाएँ हैं।
  • राजमार्गों, 2500 कि.मी. एक्सेस कन्ट्रोल्ड राजमार्गों, 9000 कि.मी. आर्थिक गलियारों, 2000 कि.मी. तटीय और भूमि-बंदरगाह सड़कों और 2000 कि.मी. सामरिक राजमार्गों का त्वरित विकास किया जाएगा।
  • दिल्ली – मुंबई और चेन्नई – बेंगलुरु एक्सप्रेस राजमार्ग 2023 तक चालू किए जाएंगे।
  • 6000 किलोमीटर से अधिक के राजमार्ग निर्माण के 12 लॉट 2024 तक मुद्रीकरण के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे।
  • एक प्रमुख बंदरगाह के निगमीकरण के लिए शासन संरचना की शुरुआत की जाएगी।
  • अंतर्देशीय जलमार्ग, विशेष रूप से जल विकास मार्ग (एनडब्ल्यू 1) को चालू किया जाएगा।
  • असम में धुबरी से सदिया तक अंतर्देशीय जलमार्ग को 2022 तक बढ़ावा दिया जाएगा।
  • अंतर्देशीय जलमार्ग को अर्थ-गंगा अर्थात, नदी के तटों के साथ आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना, नामक कार्यक्रम के तहत बढ़ावा दिया जाएगा ।
  • उड़ान योजना के तहत 100 और हवाई अड्डे स्थापित किए जाएंगे।
  • वर्तमान 600 के अतिरिक्त 1200 हवाई जहाज जोड़े जाएंगे।
  • 2020-21 में परिवहन क्षेत्र के लिए रु 1.7 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं।

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