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राष्ट्रीय सुशासन सूचकांक की तरह ही शासन में दक्षता को लेकर सुधार के लिए जिला सूचकांक को अन्य राज्यों में दोहराया जाएगा: डॉ. जितेंद्र सिंह

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लखनऊ में “लोक प्रशासन के राज्य संस्थानों को मजबूत बनाने” की विषयवस्तु पर दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया।

श्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित करने के लिए प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) की सराहना की। इस विषयवस्तु का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य के लोक प्रशासन संस्थानों को मजबूत करेगा और राज्य व देश में विकास लाने के लिए राज्य के लोक सेवकों को सशक्त बनाएगा।

वहीं, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात की घोषणा की कि डीएआरपीजी उत्तर प्रदेश के साथ किसी भी राज्य के लिए सबसे पहले एक जिला सुशासन सूचकांक विकसित करने में सहभागिता करेगा। इसे सभी जिलों में शासन की दक्षता में सुधार के लिए राष्ट्रीय सुशासन सूचकांक की तर्ज पर तैयार किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि चूंकि मोदी सरकार का मुख्य मंत्र कल्याणकारी योजनाओं के सभी लाभों को अंतिम कतार के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है, इसे देखते हुए राज्य के लिए इस सुशासन सूचकांक को अन्य राज्यों में भी दोहराया जा सकता है।

मंत्री ने यह भी घोषणा की कि डीएआरपीजी उत्तर प्रदेश के जिला पोर्टल के साथ सीपीजीआरएएमएस (केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली) के एकीकरण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के साथ सहयोग करेगा। इससे नागरिक एक ही पोर्टल से अपनी शिकायत दर्ज कर सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि एक राष्ट्र-एक पोर्टल लक्ष्य है और इस दिशा में सीपीजीआरएएमएस का राज्य शिकायत पोर्टल के साथ एकीकरण शिकायत के समाधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ई-शासन, पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिक अनुकूल प्रभावी प्रशासन के जरिए नागरिक केंद्रित शासन की सुविधा व बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए प्रशासनिक प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण में सर्वोत्तम अभ्यासों के निर्माण और कार्यान्वयन में अनुभवों को साझा करने के लिए यह सम्मेलन एक साझा मंच के रूप में एक प्रयास है।

लोक सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम – मिशन कर्मयोगी का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इसे “सबसे बड़ा” मानव संसाधन विकास कार्यक्रम कहा गया है, जो नौकरशाहों को निरंतर अपने प्रदर्शन में सुधार करने का अवसर देगा। मंत्री ने कहा, “मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य पारदर्शिता व प्रौद्योगिकी के जरिए लोक सेवकों को अधिक सृजनात्मक, रचनात्मक और अभिनव बनाकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करना है।” उन्होंने आगे कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के नए उपकरण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और डिजिटल मैपिंग (मानचित्रण) का उपयोग ज्ञान व डेटा के भंडार के रूप में किया जाना चाहिए। इससे समस्या के समाधान और प्रशासनिक हस्तक्षेप व प्रशिक्षण मॉड्यूल के लिए नई सोच तैयार करने में सुविधा हो सकती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) प्रशिक्षण संस्थानों के लिए ‘समान साझा संसाधन’ बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके अलावा केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों और सीटीआई में अतिथि शिक्षक के रूप में उपलब्धि हासिल करने वाले युवाओं, महिला वक्ताओं, सफल स्टार्ट-अप्स को शामिल करने के लिए ‘संकाय’ की अवधारणा पर फिर से विचार किया जा रहा है। उन्होंने लोक प्रशासन में प्रशिक्षण की भूमिका को भी रेखांकित किया और कहा कि यह न केवल प्रशासन की दक्षता के लिए बल्कि, किसी अधिकारी की सोच को भी व्यापक बनाने के लिए भी जरूरी है।

भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग में सचिव श्री संजय सिंह ने अतिथियों, प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में अच्छे प्रशिक्षण अभ्यासों और प्रशासनिक नवाचारों को साझा करने की पहल के हिस्से के रूप में इस तरह के आयोजनों की जरूरत को रेखांकित किया। इसके अलावा श्री संजय सिंह ने इन अच्छे प्रशिक्षण और शासन प्रथाओं और नवाचारों को दोहराने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने आगे इसका भी उल्लेख किया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न विषयवस्तुओं पर क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं और अब तक का अनुभव रहा है कि ये सम्मेलन इस क्षेत्र में विभिन्न राज्यों में प्रशिक्षण अभ्यासों, प्रशासनिक सुधारों और विकसित हो ही नई चीजों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच हैं।

क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) के अध्यक्ष श्री आदिल जैनुलभाई ने इस अवसर पर कहा कि सीबीसी 6-7 विभागों और 350 सीटीआई में सामग्री और बुनियादी ढांचे पर एक सर्वेक्षण कर रहा है।

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

इसके उद्घाटन सत्र में डीएआरएंडपीजी के विशेष सचिव श्री वी. श्रीनिवास व संयुक्त सचिव श्री एनबीएस राजपुर, डीओपीटी से अपर सचिव श्रीमती रश्मि चौधरी व लाल बहादुरशास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के महानिदेशक श्री श्रीनिवास आर कटिकिथाला, क्षमता निर्माण आयोग के अध्यश्र श्री आदिल जैनुलभाऊ, इसके सदस्य डॉ. आर बालासुब्रह्मण्यम व श्री प्रवीण परदेशी व सचिव श्री हेमांग जानी, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के महानिदेशक श्री एस एन त्रिपाठी, सभी एआईटी व सीआईटी और उत्तर प्रदेश के 350 अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

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