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मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून ने थोरैसिक सर्जरी ओपीडी का शुभारंभ कर अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता को दिया नया आयाम

देहरादून: प्रमुख स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून ने आज थोरैसिक सर्जरी ओपीडी शुरू की। इस थोरैसिक सर्जरी ओपीडी का शुभारंभ प्रमुख स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मैक्स हास्पीटल की ओर से मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराने के उद्देश्य से किया गया है। इस ओपीडी में फेफड़ों, छाती की दीवार, मीडियास्टिनम और एसोफेगस की सर्जरी जैसी स्थितियों के लिए विशेषज्ञ सलाह और उपचार प्रदान किया जाएगा।

मैक्स हॉस्पिटल ने इस ओपीडी को अपने देहरादून हॉस्पिटल में शुरू करने का फैसला किया क्योंकि देश के उत्तरी हिस्से में कोविड से संबंधित फेफड़ों के संक्रमण और कोविड के बाद की जटिलताओं के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। चूंकि श्लेष्मा झिल्ली और श्वसन मार्ग पर वायरस का घातक प्रभाव पड़ता है,जिसके कारण फेफड़ों में सूजन पैदा हो सकती है, फेफड़ों में तरल भर सकता है और कुछ मामलों में ऊतक को गंभीर क्षति भी हो सकती है जिसमें रोगियों को फेफड़े के प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।

ओपीडी की स्थापना मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली के थोरैसिक एंड रोबोटिक थोरैसिक सर्जरी के निदेशक और प्रमुख सर्जन डॉ प्रमोज जिंदल ने किया। डॉ जिंदल भारत के कुछ प्रशिक्षित थोरैसिक और थोरैसिक ऑन्को-सर्जन (कैंसर सर्जन) में से एक हैं। वह 15 वर्षों से अधिक समय से थोरैसिक सर्जरी की प्रैक्टिस कर रहे हैं और उन्होंने दुनिया के विभिन्न प्रमुख थोरैसिक सर्जिकल केंद्रों में प्रशिक्षण लिया है। वह कंसल्टेशन के लिए हर महीने के दूसरे मंगलवार और चौथे शुक्रवार को मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून में ओपीडी आयोजित करेंगे।

ओेपीडी के शुभारंभ के अवसर पर, डॉ प्रमोज जिंदल ने कहा, “ग्लोबैकन 2020 द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विभिन्न प्रकार के कैंसर में फेफड़ों का कैंसर समग्र रूप से चौथे स्थान पर है। एक आम धारणा है कि चौथे चरण में फेफड़ों के कैंसर के निदान के बाद, रोगी केवल कुछ महीने ही जीवित रह पाता है, लेकिन उपचार की तकनीक में प्रगति के साथ, यह धारणा बदलने लगी है। अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक विधियों की मदद से फेफड़ों के कैंसर के लक्षणों का प्रारंभिक अवस्था में ही पता लगाया जा सकता है। फेफड़े हमारे सबसे संवेदनशील अंग हैं, और वे बहुत जल्दी संक्रमित भी हो जाते हैं। इसलिए अगर हमें सांस की समस्या है तो हमें नियमित रूप से अपने फेफड़ों की जांच करानी चाहिए। देर से उपचार कराने से न केवल उपचार के परिणाम प्रभावित होते हैं, बल्कि रोगी के जीवन की गुणवत्ता और जीवित रहने की दर के भी प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं।“

देहरादून में इस ओपीडी सेवा के शुरू होने से मैक्स हॉस्पिटल इस शहर और आसपास के क्षेत्र में अधिक मरीजों की सेवा कर सकेगा। इस ओपीडी सेवा के शुरू होने  पर मैक्स हॉस्पिटल में 28 तारीक को श्वास नाली एवं छाती से सम्बंधित रोगो का निशुल्क जांच शिविर भी लगाया गया।   अस्पताल ने पहले ही अपनी अत्याधुनिक तकनीक और बेहतरीन चिकित्सा और शल्य चिकित्सा कौशल के मिश्रण के साथ एक तृतीयक देखभाल सुविधा के रूप में खुद को स्थापित कर लिया है। उनका ध्यान हमेशा दूसरे शहरों में लोगों के लिए सेवाएं उपलब्ध कराने पर रहा है ताकि रोगियों को स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके और इस तरह उनके जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सके। सभी सर्जरी मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून में की जाएंगी, जबकि ओपीडी में मरीजों को परामर्श और चिकित्सा सलाह के साथ-साथ ऑपरेशन से पहले और बाद में देखभाल की सुविधा प्रदान की जाएगी।

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून के वाइस प्रेसिडेंट (ऑपरेशंस) और यूनिट हेड डॉ संदीप सिंह तंवर ने कहा, “मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में, हमारा प्रयास आम आदमी को फेफड़ों से संबंधित समस्याओं से संबंधित प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध कराना है, जिसमें कोविड के असर के कारण बाद में होने वाली समस्याएं भी शामिल हैं। बड़े महानगरों के बाहर के मरीजों को विश्व स्तरीय थोरैसिक सर्जरी का लाभ उठाने में मुश्किल होती है और उन्हें अक्सर लंबी दूरी की यात्रा में भारी खर्च उठाना पड़ता है। इसके अलावा, ऐसे मामलों के इलाज में समय महत्वपूर्ण है ताकि फेफड़ों को और अधिक नुकसान होने से रोका जा सके। यह ओपीडी शहर में मरीजों को उनके दरवाजे पर विश्व स्तरीय उपचार समाधान प्रदान करके देहरादून हॉस्पिटल के स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे के लिए और अधिक मूल्यवान होने जा रहा है।“

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