उत्तर प्रदेश

जलशक्ति मंत्री ने सिंचाई विभाग के लिए समावेशी तथा समग्र राज्य जलनीति तैयार करने के दिए निर्देश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण, जल संचयन तथा जल संवर्धन के जलशक्ति विभाग के सभी घटकों को शामिल करते हुए एक समावेशी तथा कारगर जलनीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस बहुआयामी जलनीति को तैयार करते समय भारत सरकार तथा देश के अन्य राज्यों में प्रचलित जलनीति का अध्ययन एवं दुनिया में इस क्षेत्र में जो नये प्रयोग किये जा रहे हैं उनको भी समावेश करने पर विचार किया जाय।

जलशक्ति मंत्री कल देर रात सिंचाई विभाग के मुख्यालय में जलशक्ति विभाग के अन्तर्गत आने वाले पैक्ट (विश्व बैंक पोषित परियोजना यू0पी0डब्ल्यू0एस0आर0पी0) स्वारा, वाल्मी तथा परिकल्प निदेशालय की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रदेश के अतिदोहित 151 विकास खण्ड जो डार्क जोन की ओर लगातार बढ़ रहे हैं, पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इन विकास खण्डों को पुनः सुरक्षित जोन में कैसे लाया जाय, इस बिन्दु को भी तैयार की जाने वाली जलनीति में शामिल किया जाय। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित जलनीति में अटल भूजल मिशन, जल जीवन मिशन तथा नदियों के जल स्तर के आंकड़ों, धरती पर उपलब्ध सतही जल तथा भविष्य में जल की आवश्यकताओं को भी प्रस्तावित जलनीति के अन्तर्गत लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि घटते जलस्तर को कैसे बढ़ाया जाए यह विषय भी जलनीति में शामिल किया जाना चाहिए।

डाॅ0 सिंह ने कहा कि उ0प्र0 में भूजल स्तर को बढ़ाने तथा दिनोदिन होती जा रही जल की गम्भीर समस्या के स्थायी समाधान के लिए भूगर्भ जल विभाग द्वारा कई कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। समरसेबुल लगाने के लिए रेनवाट हारवेस्टिंग प्रणाली स्थापित करना तथा शिक्षण संस्थाओं की मान्यता के लिए जल संरक्षण अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही जल संचयन एवं संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भूगर्भ जल के आंकड़ों का लगातार अनुश्रवण एवं परीक्षण करने के साथ ही प्रदेश के आठ प्रमुख नदियों के रिवर बेसिन के आंकड़ों का अध्ययन करके भविष्य में कितने पानी की आवश्यकता होगी इसपर भी कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने अटल भूजल योजना को प्रदेश में प्राथमिकता से लागू करने के निर्देश दिए।

डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि जलशक्ति विभाग के अच्छे कार्यों की मार्केटिंग भी की जानी चाहिए। इसके साथ ही बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्रों को राजधानी में बैठकर कैसे अनुश्रवण किया जाए, इसके अलावा बाढ़ एवं पूर्वानुमान की सटीक सूचना के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित की जाए, जिससे सम्भावित बाढ़ की पूर्व सूचना से राहत-बचाव कार्य एवं गांव खाली कराने तथा लोगों को विस्थापित करने के लिए तैयारी की जा सके। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि सम्भावित बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए ऐसी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए जिससे जन-जन की हानि तथा फसलों की क्षति को कम से कम किया जा सके। बैठक में बताया गया कि बाढ़ प्रबंधन सूचना प्रणाली केन्द्र से समय रहते सूचना मिलने से प्रदेश में बाढ़ की तबाही में कमी आई है।

जलशक्ति मंत्री ने बाढ़ के पूर्वानुमान सूचना प्रणाली की विश्व बैंक तथा भारत सरकार द्वारा सराहना किये जाने पर पैक्ट के मुख्य अभियन्ता श्री ए0के0 सेंगर की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बाढ़ आने से पूर्व सभी संसाधनों को शत-प्रतिशत क्रियाशील करते हुए पूरी तैयारी रखनी चाहिए। इसके साथ ही बाढ़ प्रबंधन से जुड़े विभिन्न साधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए तेजी से कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बांधों एवं बैराजों की स्थिति का नियमित अनुश्रवण के साथ ही आधुनिक प्रणालियों को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने बंधों तथा बैराजों के आटोमेशन (स्वचालन) कार्य को और तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए। आॅटोमेशन के लिए उन्होंने अधीक्षण अभियन्ता (यां0) श्री नवीन कपूर की सराहना की। उन्होंने वामरेक के सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए।

जलशक्ति मंत्री ने सहभागी सिंचाई प्रबंधन के तहत अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने पर बल देते हुए कहा कि जल उपभोक्ता समितियों के गठन में उ0प्र0 को इस वर्ष देश में नं0 1 का पुरस्कार मिलना चाहिए। उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि भारत में सबसे तेज गति से समितियों को गठित करने का रिकार्ड उ0प्र0 के नाम होना चाहिए। इसके लिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए मिशन मोड पर जल उपभोक्ता समितियों के गठन की कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज जिन सेक्टरों की समीक्षा हुई है इन सेक्टरों का गहराई से अध्ययन करके इन्हें अधिकतम उपयोगी बनाने के लिए सभी अधिकारी लक्ष्य के अनुरूप कार्य सुनिश्चित करें।

डाॅ0 महेन्द्र सिंह ने जलशक्ति विभाग के अधीन सिंचाई विभाग की विभिन्न कार्य प्रणालियों में आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग किये जाने पर बल देते हुए कहा कि जो भी तकनीकी देश में उपलब्ध हो अथवा बाहर से लाने की जरूरत हो उसके लिए पूरा संसाधन उपलब्ध कराया जायेगा। इसके साथ ही सिंचाई विभाग से विशेषज्ञों एवं योग्यतम लोगों को जोड़कर विभिन्न योजनाओं को आगे बढ़ाया जायेगा। कम से कम मानव संसाधन का उपयोग करते हुए अधिकतम परिणाम लाने पर बल देते हुए जलशक्ति मंत्री ने कहा कि जहां से भी नई तकनीकी मिल सकती हो उसका उपयोग करते हुए विभाग को नं0 1 बनाने के लिए उपयोग में लाया जाए। उन्होंने परिकल्प निदेशालय स्थापित करने तथा किसान सिंचाई विद्यालयों को और उपयोगी बनाने के निर्देश दिए।

बैठक में उपस्थित प्रमुख सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन श्री टी0 वेंकटेश विभागीय कार्य प्रणाली की विस्तार से जानकारी लेते हुए बताया कि सभी सेक्टरों में नई तकनीकी अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही मौजूदा संसाधनों से अधिकतम परिणाम प्राप्त करने के लिए अधिकारियों एवं अभियंताओं को लगातार प्रशिक्षित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अनुश्रवण एवं मूल्यांकन प्रणाली को कारगर बनाते हुए विभिन्न योजनाओं को तेजी से लागू किया जा रहा है। उन्होंने मंत्री जी को आश्वस्त किया कि शीघ्र ही विभिन्न योजनाओं को तेजी से क्रियान्वित करके विभाग को आदर्श स्थिति में लाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी।

इस अवसर पर राज्यमंत्री जलशक्ति श्री बलदेव सिंह ‘औलख’, राज्य मंत्री राजस्व एवं बाढ़ श्री विजय कश्यप, सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन अपर्णा यू0, विशेष सचिव डाॅ0 सारिका मोहन, श्री प्रेम रंजन सिंह व श्री मुश्ताक अहमद, सहित वामरेक (उ0प्र0 जल प्रबंधन और नियामक आयोग) के अध्यक्ष श्री सुशील कुमार, प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष श्री ए0के0 श्रीवास्तव, प्रमुख अभियन्ता परिकल्प एवं नियोजन श्री ए0के0 सिंह, प्रमुख अभियन्ता परियोजना श्री वी0के0 निरंजन, मुख्य अभियन्ता (यां0) श्री देवेन्द्र अग्रवाल, निदेशक वाल्मी श्री एस0पी0 सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रभारी पिम श्री राजेश शुक्ला, अधीक्षण अभियन्ता स्वारा श्री हिमांशु सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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