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मानव संसाधन विकास मंत्रालय मातृभाषा दिवस मनाएगा

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय 21 फरवरी, 2020 को देशभर में मातृभाषा दिवस मनाएगा। उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू 20 फरवरी को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ इस अवसर पर सम्मानित अतिथि होंगे। संस्कृति एवं पर्यटन राज्‍य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल और मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री श्री संजय धोत्रे भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। कार्यक्रम का मुख्‍य विषय ‘हमारी बहुभाषी विरासत का उत्‍सव मनाना’ है जो एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को दर्शाता है।

      मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षण संस्थानों और भाषा संस्थानों के साथ मिलकर पिछले तीन वर्षों से मातृभाषा दिवस मना रहा है। इस साल भी शैक्षणिक संस्थान वक्तृत्व, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, गायन,  निबंध लेखन प्रतियोगिताओं, चित्रकला प्रतियोगिताओं, संगीत एवं नाट्य मंचनों, प्रदर्शनियों, ऑनलाइन संसाधन एवं क्रियाकलापों जैसी गतिविधियों के साथ-साथ संज्ञानात्मक, आर्थिक, सामाजिक एवं बहुभाषी सांस्कृतिक क्रियाकलापों और कम से कम दो या अधिक भाषाओं में भारत की भाषाई एवं भारत की विविध संपदा को दर्शाने वाली प्रदर्शनियों का आयोजन करेंगे।

      भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए 21 फरवरी, 2020 को आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (आईएमएलडी) दुनिया भर में मनाए जाने वाले यूनेस्को के कैलेंडर कार्यक्रमों का एक हिस्सा है। इसे पहली बार यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर, 1999 को घोषित किया गया जिसे औपचारिक रूप से 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए)  ने मान्यता दी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने सदस्य राष्‍ट्रों से दुनिया भर के लोगों द्वारा इस्‍तेमाल की जाने वाली सभी भाषाओं के संरक्षण को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

      हमारे देश में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता है जिसे देखते हुए भारत में 21 फरवरी, 2020 को कई कार्यक्रम प्रस्‍तावित हैं जो हमारी भाषाओं और उपयोग एवं साहित्य की संबद्ध विविधता को बढ़ावा देंगे। मातृभाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देने और निम्नलिखित उद्देश्यों को हासिल करने के लिए हर साल 21 फरवरी, 2020 को मातृभाषा दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है:-

  • हमारे देश की भाषाई विविधता को चिन्हित करना;
  • न केवल संबंधित मातृभाषा बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं के भी उपयोग को प्रोत्साहित करना।
  • भारत में संस्कृतियों की विविधता और साहित्य, शिल्प, प्रदर्शन कला, लिपियों और रचनात्मक अभिव्यक्ति के अन्य रूपों को समझना और ध्यान आकर्षित करना।

– अपनी मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाओं को सीखने के लिए प्रोत्साहित करना।

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