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एमएसएमई मंत्री ने खादी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख हितधारकों से एकजुट होने का आग्रह किया

नई दिल्ली: केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम एवं सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र में 5 वर्षों के दौरान 5 करोड़ नौकरियां पैदा करने के लिए एक मिशन-मोड परियोजनाकी शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसएमई निर्यात का अनुपात 50% तक ले जाने और अगले 5 वर्षों में एमएसएमई क्षेत्र के जीडीपी योगदान को 29% से बढ़ाकर 50% करने का निर्णय लिया है। श्री गडकरी ने आज मुंबई में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित व्यापार सम्मेलन “खादी ब्रांड का वैश्वीकरण: भारत का गर्व” को संबोधित करते हुए यह बात कही।

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उद्योग जगत और अन्य हितधारकों की सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा: ‘इंडिया और भारत के बीच एक अंतर है। गाँवों में बहुत सी समस्याएं हैं जिनकी वजह से लोग नौकरियों की तलाश में गाँवों से शहरों की ओर पलायन करते हैं। हमें इसे रोकने की जरूरत है। हम चाहते हैं कि नौकरियों की कमी के कारण लोगों को शहरों में नहीं आना पड़े। यह तभी संभव होगा जब हम ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी सड़कें, स्कूल, अस्पताल, ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसायों के लिए कृषि राजस्व और आर्थिक व्यवहार्यता को प्रदान करने में सक्षम होंगे।इसी कारण गांधीजी कहते थे कि हमें अधिकतम लोगों की भागीदारी के साथ अधिकतम उत्पादन की आवश्यकता है। आधुनिकीकरण और मशीनीकरण के साथ-साथ हमें रोजगार के अवसरों की भी तलाश करनी होगी।’

श्री गडकरी ने कहा कि हमें खादी क्षेत्र को मजबूत बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि खादी और ग्रामीण क्षेत्र के कारोबार को और बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि जनसंख्या का एक बड़ा वर्ग इस पर निर्भर है।

श्री गडकरी ने बताया कि उनका मंत्रालय टेराकोटा से बने कुल्हड़ों में चाय परोसने के लिए रेल मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल यह दो स्टेशनों में उपलब्ध है; मैंने रेल मंत्री और राज्यों के परिवहन मंत्रियों को सभी बस स्टेशनों और रेलवे स्टेशनों में इन कुल्हड़ों को अनिवार्य बनाने के लिए लिखा है।’

श्री गडकरी ने आगे कहा कि खादी, गांधीजी की सोच की आत्मा है। अपने सिद्धांतों के साथ समझौता किए बगैर हमें उत्पाद डिजाइन, फैशन डिजाइन, बुनाई और अन्य प्रक्रियाओं में खादी के आधुनिकीकरण की जरूरत है। नए शोध को शामिल करने और अपनाने की जरूरत है। विशेष रूप से हमें यह देखने की जरूरत है कि मिलों में जो धागा (सूत) बनाया गया है उसकी तुलना में हम किस तरह से बेहतर गुणवत्ता और कम लागत वाले धागे को बना सकते हैं। फैशन डिजाइन में पेशेवर दृष्टिकोण की आवश्यकता है, ताकि खादी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

श्री गडकरी ने खादी को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र में कार्यरत लोगों से आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता के नजरिए से देखा जाए तो यह मुश्किल नहीं है। अगर हमें उद्योग जगत से अच्छे इनपुट मिलते हैं तो ब्रांड खादी को विश्व-प्रसिद्ध बनाया जा सकता है। उपभोक्ता की पसंद बदल गई है। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य खादी के ब्रांड मूल्य और बाजार मूल्य को बढ़ाने में उद्योग जगत की सहभागिता को बढ़ाना है।’

श्री गडकरी ने आगे कहा कि समन्वयक के रूप में, सरकार विकास को बढ़ावा देने की  नीतियों पर काम कर रही है। सरकार पूंजीकरण की लागत को कम करने, मशीनीकरण और आधुनिकीकरण करने और रसद तथा बिजली की लागत को कम करने जैसे उपायों में सहायता प्रदान करेगी।

उन्होंने कहा कि सरकार अलीबाबा जैसे ई-मार्केट पोर्टल की तर्ज पर भारत क्राफ्ट के नाम के पोर्टल को विकसित कर रही है। यह खरीदारों और विक्रेताओं को एक दूसरे से सीधा जोड़ेगा। हम एक विचारों और नवाचारों का बैंक भी शुरू करने जा रहे हैं।

‘सरकार पारदर्शी, भ्रष्टाचार-मुक्त है और तेजी से निर्णय लेने की कोशिश कर रही है। खादी को आगे ले जाने और अधिक से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए हमें आपके सहयोग और सुझावों की जरूरत है। गांधीजी के सपने के अनुसार, हमें अधिक से अधिक ग्रामीण लोगों की भागीदारी के साथ अधिकतम उत्पादन की जरूरत है। हमें हर देश में खादी की उपस्थिति सुनिश्चित करने और इसे दुनिया के हर कोने में ले जाने की जरूरत है। यह सब आपके सहयोग से ही संभव हो सकता है।’

इस अवसर पर श्री गडकरी ने टेक सक्षम का भी उद्घाटन किया जो एक सीआईआई टेक परियोजना है और इसका लक्ष्य प्रौद्योगिकी सक्षमता के माध्यम से एमएसएमई विकास में तेजी लाना है।

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एमएसएमई राज्य मंत्री श्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा: ‘महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान खादी उद्योग को प्रसिद्धि मिली। गांधीजी ने एक साधारण उत्पाद को राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में बदल दिया। एक साधारण कपड़ा हमारे राष्ट्रीय आंदोलन का एक बड़ा हथियार बन गया।’

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अब, हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस विचार को आगे बढ़ाना और खादी का वैश्वीकरण करना चाहते हैं। खादी का वैश्विक आकर्षण है। यह पर्यावरण के अनुकूल, शरीर के लिए स्वास्थ्य वर्द्धक, कम पानी का इस्तेमाल करने वाला होता है और यह लाखों लोगों को आजीविका उपलब्ध कराता है। मुझे पूरा विश्वास है कि यदि देश के 130 करोड़ नागरिक खादी का उपयोग करने लगें तो इससे 15 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसलिए खादी कपड़ों की खरीदारी कर हम देश की बेहतर तरीके से सेवा कर सकते हैं।

खादी उद्योग में विस्तार की जरूरत है। इसकी काफी संभावनाएं हैं। हमें कारीगरों को उनका उचित हक दिलाने, बाजार की उपलब्धता सुधारने एवं बाजार तक पहुंच बढ़ाने और उन्हें प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने की तरीकों के बारे में सोचना की जरूरत है।

खादी न सिर्फ रोजगार उपलब्ध कराने बल्कि अपनी संस्कृति का विस्तार करने के लिए सबसे अधिक उपयुक्त क्षेत्र है। जब खादी विदेश में पहुंचता है तो यह हमारे राष्ट्रीय राजदूत की तरह काम करता है। खादी में जाड़े के दिनों में गर्मी और गर्मी के मौसम में ठंड प्रदान करने का विशेष गुण होता है। इसमें इस्तेमाल किए गए सभी धागे हाथ से बनाए होते हैं।

खादी से जितना संभव हो सके बिचौलियों को हटाना चाहिए ताकि अधिकतर फायदे कारीगरों को मिले और वो एक सम्मानित जिंदगी बसर कर सकें। खादी के सौंदर्य को पूरी दुनिया में फैलाने की जरूरत है। हम खादी के माध्यम से गरीबी के संताप से लड़ सकते हैं।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सचिव डॉ अरूण कुमार पांडा ने कहा कि खादी हमारे राष्ट्र के साथ-साथ इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। खादी हमारी महान विरासत और ताकत है। इसके साथ ही खादी के सामने कई चुनौतियां हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों की इस मंच पर मौजूदगी से खादी के लिए एक विशेष योजना बनाने में मदद मिलेगी। इस क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए नए विचार और समाधान के साथ आपसे आगे आने का आग्रह करता हूं।

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हमें कुछ हटकर सोचने और यह पता लगाने की जरूरत है कि खादी की बेहतरी के लिए प्रौद्योगिकी का कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। आधार लागू होने के बाद खादी क्षेत्र से जुड़े लोगों की वास्तविक संख्या घटकर लगभग 4.75 लाख हो गई है। कारीगरों की दी गई प्रोत्साहन राशि अब प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए सीधे उनके खातों में भेज दिया जाता है। देश के अंदर और बाहर बाजार तक कारीगरों की पहुंच बढ़ाने में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

सरकार ने विशेषकर खादी के लिए देशभर में चार डिजाइन केंद्रों की स्थापना करने का फैसला लिया है। हमारे सामने खादी की ओर युवाओं और आकांक्षित लोगों को आकर्षित करने की बड़ी चुनौती है जिसे साधने की जरूरत है।

खादी एवं ग्रामीण उद्योग आयोग (केवीआईसी) के चेयरमैन श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि केवीआईसी का कारोबार हाल के वर्षों में काफी तेजी से बढ़ा है और इसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी की खादी को अपनाने की अपील का बड़ा योगदान है। इस सम्मेलन के जरिए हमारा उद्देश्य इसके कारोबार को आने वाले समय में और अधिक करना है।

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खादी में कुछ बुनियादी गुण होते हैं जिन्हें अभी तक समझा नहीं गया है। इस बारे में लोगों को बताने की जरूरत है। खादी एक प्राकृतिक वस्त्र है। यह कार्बन रहित कपड़ा है जिसे कोई मशीन नहीं बना सकती। यह पर्यावरण के काफी अनुकूल है, एक मीटर खादी कपड़ा बनाने में महज 3 लीटर पानी लगता है जबकि इतना ही कपड़ा बनाने में मशीन 56 लीटर पानी की खपत करती है।

खादी एवं ग्रामीण उद्योग आयोग (केवीआईसी) के चेयरमैन श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि खादी की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ी है जिसके परिणामस्वरुप कारीगरों के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं। खादी मेक इन इंडिया के सबसे बेहतर उदाहरण है।

मैं सभी से अपील करता हूं कि खादी और उसके उत्पादों की भावना को समझें और उन्हें एक मंच प्रदान करें। खादी पूरी तरह से हाथ से बुना हुआ उत्पाद है और यह महात्मा गांधी की देन है। हमें इसे उस ऊंचाई तक ले जाना है जिसका यह पात्र है।

सम्मेलन का समापन सीआईआई के पश्चिमी क्षेत्र के चेयरमैन श्री पी नंदकुमार के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।

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