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नरेन्द्र सिंह तोमर ने “डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) में सर्वोत्तम प्रथाओं” पर पुस्तिका जारी की

नई दिल्ली: केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग की “डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम  में सर्वोत्तम प्रथाओं” पर पुस्तिका जारी की। यह पुस्तिका क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कार्यशालाओं के दौरान राज्यों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों पर आधारित है।

इस प्रकाशन में राष्ट्रीय नीति फ्रेमवर्क और अध्ययन में शामिल नौ राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और राजस्थान में भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण के लिए अपनायी गयी “सर्वोत्तम प्रथाओं” की सूची दी गई है। इसमें विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे (पंजीकरण, नामांतरण, सर्वेक्षण, निपटान, भूमि अधिग्रहण), प्रौद्योगिकी पहलें और विधिक तथा संस्थागत अवधारणा के कार्यान्वयन में त्रुटियों को भी कवर किया गया है।

इसके आरंभ से ही डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के अंतर्गत पर्याप्त प्रगति हुई है। इसका विवरण निम्नानुसार हैः-

  1. 23 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण (90% से अधिक) पूरा हो चुका है और 11 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति हुई है।
  2. भूमि नक्शे का डिजिटलीकरण 19 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में (90% से अधिक) पूरा हो चुका है और 9 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति प्राप्त की गई है।
  3. रजिस्ट्रीकरण का कम्प्यूटरीकरण (एसआरओ) 22 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में (90% से अधिक) पूरा हो चुका है और 8 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति प्राप्त की गई है।
  4. राजस्व कार्यालय के साथ एसआरओ का एकीकरण 16 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में (90% से अधिक) पूरा हो चुका है और 8 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति प्राप्त की गई है।

इस अवसर पर श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि एक अच्छी भूमि अभिलेख प्रणाली किसी भी मैत्रीपूर्ण और प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक है। भारत में पिछले कुछ वर्षों के दौरान त्रुटि-रहित, छेड़छाड़-रहित और सहजता से उपलब्ध भूमि अभिलेख पर फोकस रहा है। यह पुस्तिक विभिन्न बेहतरीन प्रणालियों का संकलन है, जो डीआईएलआरएमपी के कार्यान्वयन संबंधी विभिन्न मुद्दों, चुनौतियों और खतरों का समाधान करने पर जोर देती है।

इस पुस्तिक में बेहतर भूमि अभिलेख प्रबंधन के लिए राज्यों द्वारा अपनाए गए तंत्र के बारे में बहुत ही वैज्ञानिक रूप से चर्चा की गई है। यह पुस्तक अधिक व्यापक वास्तविक समझ को प्राप्त करने के लिए नई प्रणालियों को अपनाने में नवोन्मेष क्षेत्रों की पहचान के लिए उपयोगी इनपुट प्रदान करेंगी तथा अन्य राज्यों की सहायता करेंगी। यह अंततः देश में भूमि शासन प्रणाली, भूमि विवादों में कमी, बेनामी लेन-देन की रोकथान और व्यापक एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली में सुधार करेगी।

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