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एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से हवा में प्रक्षेपित ब्रह्मोस मिसाइल सफलतापूर्वक दागी गई

नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना ने आज अग्रिम मोर्चे वाले अपने एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस के हवाई संस्‍करण को सफलतापूर्वक दागा। विमान से प्रक्षेपण अत्‍यंत सुगम रहा और मिसाइल अपेक्षित पथ पर आगे बढ़ती चली गई और इसने अंतत: ओडिशा के समुद्री तट से दूर समुद्र स्थित लक्ष्‍य को सीधे तौर पर भेदने का काम सफलतापूर्वक पूरा किया।

हवा में प्रक्षेपित ब्रह्मोस मिसाइल दरअसल हवा से जमीन पर मार करने वाली 2.5 टन की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है और यह ब्रह्मोस एयरोस्‍पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) द्वारा डिजाइन एवं विकसित की गई है। इसके साथ ही भारतीय वायु सेना दुनिया की पहली ऐसी वायु सेना बन गई है, जिसने इस श्रेणी की जमीन पर मार करने वाली हवा में प्रक्षेपित ट्राईसोनिक मिसाइल सफलतापूर्वक दागी है। इसने 22 नवम्‍बर, 2017 को एक समुद्री लक्ष्‍य को भेदा था। इसके बाद 22 मई, 2019 को जमीन पर स्थित एक लक्ष्‍य को सफलतापूर्वक भेदने के लिए इसे प्रक्षेपित किया गया। आज इस अस्‍त्र का तीसरा लाइव प्रक्षेपण किया गया और इस प्रक्षेपण के साथ ही एसयू-30 एमकेआई विमान पर इस मिसाइल का एकीकरण पूरा हो गया। विमान के अस्‍त्र के सॉफ्टवेयर विकास एवं एकीकरण का कार्य भारतीय वायु सेना के अभियन्‍ताओं द्वारा किया गया, जबकि एचएएल ने विमान के जटिल यांत्रिक एवं विद्युतीय संशोधनों का काम सफलतापूर्वक पूरा किया। भारतीय वायु सेना, डीआरडीओ, बीएपीएल और एचएएल के समर्पित एवं सामंजस्‍यपूर्ण प्रयासों ने देश को गौरवान्वित किया है।

भारतीय नौसेना के स‍मर्पित सहयोग से मिसाइल दागने का काम सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

ब्रह्मोस मिसाइल ने भारतीय वायु सेना को समुद्र या जमीन पर स्थित किसी भी लक्ष्‍य को काफी लंबी दूरी से बिल्‍कुल सटीक तरीके से भेदने की बहुप्रतीक्षित क्षमता प्रदान कर दी है, चाहे दिन हो या रात अथवा कैसा भी मौसम क्‍यों न हो। एसयू-30 एमकेआई विमान के दमदार प्रदर्शन के साथ-साथ मिसाइल संबंधी इस उत्‍कृष्‍ट क्षमता ने भारतीय वायु सेना को एक सामरिक पहुंच सफलतापूर्वक प्रदान की है और इसके साथ ही जमीन एवं  समुद्र स्थित जंगी मैदानों पर अपना वर्चस्‍व स्‍थापित करने की अद्भुत क्षमता भी प्रदान कर दी है।

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