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अमित शाह द्वारा एनडीआरएफ के तत्वाधान में विज्ञान भवन (नई दिल्ली) में आयोजित आपदा प्रबंधन की सभी इकाइयों की साझा कांफ्रेंस में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ‘न्यू इंडिया’ का विजन लेकर चले हैं जिसमें वे हर क्षेत्र में भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहते हैं, आने वाले दिनों में आपदा प्रबंधन के इस क्षेत्र में भी भारत को दुनिया का नेतृत्व करना है, यह संकल्प लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए

  1. आपदा प्रबंधन से जुड़े एक-एक व्यक्ति में त्याग, बलिदान और सेवा का भाव होना चाहिए। साथ ही उनके अंदर के इंसान को जगाना भी हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा होना चाहिए ताकि हम कर्त्तव्यनिष्ठ होकर आपदा के समय राष्ट्र सेवा में अपने-आप को समर्पित कर सकें
  2. गठन से लेकर आज तक एनडीआरएफ ने न केवल भारत बल्कि विश्व के कई देशों में भी अच्छा काम किया है। मैं आज केवल आपके मंत्री के नाते नहीं, बल्कि भारत के नागरिक के नाते भी आपको हृदय से बधाई देना चाहता हूँ
  3. समय आ गया है कि अब एनडीआरएफ डीआरडीओ के साथ मिलकर इक्विपमेंट को और अपग्रेड करें और इसका प्रोडक्शन करें ताकि हम इस क्षेत्र में भी विश्व का अग्रणी देश बन सकें
  4. जब दुनिया के कई सारे देश आपदा प्रबंधन पर भारत के मॉडल को अपनाने और समझने पर मजबूर होंगे, तब हमें समझना चाहिए कि हमने कुछ सफलता अर्जित की है और ऐसा लक्ष्य लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए
  5. आपदा के समय कई अलग-अलग एजेंसियों को एक साथ आना होता है लेकिन चेन ऑफ कमांड स्पष्ट नहीं होने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन के सभी अंग इकट्ठे बैठ कर आपदा के समय किसकी क्या भूमिका होगी, वह पहले से तय कर लें ताकि आपदा के समय हमें मुश्किलों का सामना न करना पड़े
  6. 2001 में भुज, गुजरात में आये विनाशक भूकंप के समय गुजरात के मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात आपदा प्राधिकरण की नींव रखी, जो आपदा प्रबंधन की दिशा में पहली व्यापक शुरुआत थी। इसके बाद श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति का गठन किया गया
  7. पहले हमारी आपदा प्रबंधन का दृष्टिकोण केवल राहत बचाव तक ही सीमित था लेकिन 2001 में रोकथाम, प्रसमन, तैयारी, कार्यवाही, राहत, पुनर्निर्माण और पुनर्वसन – आपदा प्रबंधन के एक समग्र दृष्टिकोण की शुरुआत हुई
  8. देश भर में आपदा प्रबंधन के जितने संसाधन बिखरे हुए हैं, इसका भी एक रजिस्टर एनडीआरएफ के पास होना चाहिए। हर जिला मुख्यालय में आपदा प्रबंधन की एक टीम होना चाहिए और उनके पास ऐसी लिस्ट होनी चाहिए जिसमें उस क्षेत्र के बड़े उद्योगों और आपदा से निबटने हेतु उनके पास मौजूद उपकरणों की भी जानकारियाँ हो
  9. देश के लगभग 400 जिलों में कोई न कोई बड़ी औद्योगिक इकाई जरूर होगी जिसमें डिजास्टर मैनेजमेंट के मॉडल को अपनाने की क्षमता हो। आपदा के समय इसका उपयोग करने के लिए हमारे पास उनके साथ संपर्क होना चाहिए
  10. बेशक हमने आपदा के बहुत सारे क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य किया है लेकिन एक क्षेत्र ऐसा है, जहां पर हमें विशेषज्ञता हासिल करने की जरूरत है और वह है ग्लोबल वार्मिंग के कारण जंगलों में आग लगने वाली घटनाओं पर काबू पाना
  11. दुनिया भर में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं से हमें जंगलों में आग लगने पर आपदा प्रबंधन में विशेषज्ञता हासिल करनी होगी ताकि भारत में भी हम अपनी एक व्यवस्था शुरू कर सकें। यदि हम अपने जंगलों को, पेड़ों को, वन्यजीवों को बचा सकें, तो यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी
  12. केंद्र सरकार आपदा प्रबंधन की चुनौतियों और इसकी जरूरत को समझती है, इसलिए 13वें वित्त आयोग में (2010-2014) जहां आपदा प्रबंधन के लिए 14098 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे, वहीं 14 वित्त आयोग (2015-2020) के लिए केंद्र सरकार ने इसके लिए 32142 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है
  13. नवंबर 2016 में आपदा जोखिम को घटाने के विषय पर आधारित एशियाई मंत्री स्तरीय सम्मेलन में बोलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 10 सूत्रीय एजेंडे को लागू करने की रूपरेखा प्रस्तुत की थी। यह10 सूत्री एजेंडा ही हमारा रोडमैप होना चाहिए
  14. देश में आने वाले साइक्लोन के समय हमने काफी अच्छा काम किया है लेकिन मैं एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के सभी प्रतिनिधियों से आग्रह करना चाहता हूँ कि हर आपदा के समय हमारे बचाव कार्य व हमारे पुनर्वसन कार्यक्रम का विस्तृत विश्लेषण और इसका डॉक्यूमेंटेशन होना चाहिए
  15. विश्लेषण के पश्चात् एक टीम को इस पर बैठ कर चर्चा करनी चाहिए और इन कमियों को ख़त्म करने के लिए एक निश्चित समय का रोडमैप तैयार करना चाहिए
  16. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की पहल पर भारत ने सार्क देशों को आपदा प्रबंधन की सहायता के लिए एक सैटेलाईट लॉन्च किया क्योंकि केवल भारत को आपदा प्रबंधन से मुक्त करना ही हमारा लक्ष्य नहीं है अपितु अपने पड़ोसियों को भी हमें मदद करना चाहिए
  17. 2001 से लेकर 2019 तक हम तेज गति से इस दिशा में आगे बढ़े हैं और परिणाम भी अच्छे आये हैं लेकिन हमें इसी पर संतोष कर रुकना नहीं है क्योंकि रास्ता लंबा है और हमें आपदा प्रबंधन की दिशा में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनना है
  18. जब 1999 में ओड़िशा में तूफान आया तो लगभग दस हजार लोग हताहत हुए थे, वहीं इस बार जब फोनी तूफान का सामना ओड़िशा ने किया तो मौत का आंकड़ा केवल 64 रहा। मैं मानता हूँ कि आपदा प्रबंधन की यह संपूर्ण उपलब्धि एनडीआरएफ और उनकी सभी इकाइयों को जाती है, इससे एक विश्वसनीयता उत्पन्न हुई है

माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एनडीआरएफ के तत्वाधान में आयोजित आपदा प्रबंधन की सभी इकाइयों एसडीआरएफ, सिविल डिफेंस, होम गार्ड्स और फायर सर्विसेज की साझा कांफ्रेंस को संबोधित किया और उनके योगदान की तहेदिल से सराहना की। इस अवसर पर गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय, एनडीआरएफ के डीजी श्री एस. एन. प्रधान सहित कई अधिकारी और देश भर से आपदा प्रबंधन से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

गृह मंत्री ने कहा कि भारत ने काफी कम समय में ही आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बड़ी विशेषज्ञता हासिल की है लेकिन अभी और कई काम किये जाने हैं। उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों की तरह आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी भारत दुनिया में सर्वप्रथम हो, सर्वश्रेष्ठ हो, इस लक्ष्य के साथ हमें आगे बढ़ना चाहिए।

श्री शाह ने कहा कि क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत दुनिया का सातवां और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है। हमारा देश पहाड़, नदियाँ, समंदर, जंगल सहित इतनी विविधताओं से भी भरा हुआ है कि यहाँ आपदा आने के सभी लक्षण विद्यमान हैं। साथ ही, जिस प्रकार से दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का ख़तरा बढ़ता जा रहा है, आपदा आने की संभावनाएं भी उतनी ही बढ़ती जा रही है। अतः आपदा के समय हमारी तैयार भी उसी हिसाब से होनी चाहिए।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन पर एक समग्र दृष्टिकोण के विचार को हमारे देश में लगातार अनदेखा किया जाता रहा , इस विषय पर गंभीरता से कभी विश्लेषण भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि 2001 में जब भुज, गुजरात में विनाशक भूकंप आया, तब उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात आपदा प्राधिकरण की नींव रखी, उस वक्त मैं गुजरात का गृह मंत्री था। मुझे याद है कि दुनिया भर से इस क्षेत्र में महारत रखने वाले विशेषज्ञों को बुलाया गया था। तब हमारी भोगौलिक स्थिति के साथ-साथ आपदा के हर खतरे का व्यापक विश्लेषण किया गया था और यह केवल गुजरात तक सीमित नहीं था, बल्कि देश भर के आपदा से जुड़े खतरे इस विश्लेषण में समाहित किये गए थे। और वहीं से देश में आपदा प्रबंधन की दिशा में समग्रता पूर्वक विचार की शुरुआत हुई। तब श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति का गठन किया और श्री शरद पवार जी को उसका अध्यक्ष बनाया गया। बाद में 2005 में एनडीएमए का गठन हुआ। पहले हमारी आपदा प्रबंधन का दृष्टिकोण केवल राहत बचाव तक ही सीमित था लेकिन 2001 में इसे बदल कर रोकथाम, प्रसमन, तैयारी, कार्यवाही, राहत पुनर्निर्माण और पुनर्वसन – आपदा प्रबंधन के एक समग्र दृष्टिकोण की शुरुआत हुई। 2001 से लेकर 2019 तक हम तेज गति से इस दिशा में आगे बढ़े हैं और परिणाम भी अच्छे आये हैं लेकिन हमें इसी पर संतोष कर रुकना नहीं है क्योंकि रास्ता लंबा है और हमें आपदा प्रबंधन की दिशा में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनना है। उन्होंने कहा कि जब दुनिया के कई सारे देश आपदा प्रबंधन पर भारत के मॉडल को अपनाने और समझने पर मजबूर होंगे, तब हमें समझना चाहिए कि हमने कुछ सफलता अर्जित की है और ऐसा लक्ष्य लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए।

श्री शाह ने कहा कि गठन से लेकर आज तक एनडीआरएफ ने न केवल भारत बल्कि विश्व के कई देशों में भी अच्छा काम किया है। मैं आज केवल आपके मंत्री के नाते नहीं, बल्कि भारत के नागरिक के नाते भी आपको हृदय से बधाई देना चाहता हूँ। ओडिशा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब 1999 में ओड़िशा में तूफान आया तो लगभग दस हजार लोग हताहत हुए थे, वहीं इस बार जब फोनी तूफान का सामना ओड़िशा ने किया तो मौत का आंकड़ा केवल 64 रहा। मैं मानता हूँ कि आपदा प्रबंधन की यह संपूर्ण उपलब्धि एनडीआरएफ और उनकी सभी इकाइयों को जाती है, इससे एक विश्वसनीयता उत्पन्न हुई है। हमने निस्संदेह आपदा प्रतिक्रया और इससे रोकथाम की दिशा में उत्कृष्ट विशेषज्ञता हासिल की है।

गृह मंत्री ने कहा कि आज 31 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में एनडीआरएफ मौजूद है। 12 बटालियन और 28 आरआरसी देश के विभिन्न क्षेत्रों में इस दिशा में काम कर रही है और 2020 तक चार और वाहनियां इसके साथ जुड़ेंकर इसकी ताकत को बढ़ाएंगी। एनडीआरएफ ने अब तक लगभग तीन हजार बचाव अभियानों के दौरान अपने जान की बाजी लगाते हुए लगभग एक लाख से ज्यादा जीवन को बचाने का काम किया है। लगभग 8000 कम्युनिटी अवेयरनेस कार्यक्रम हुए हैं जिसमें लगभग 60 लाख से अधिक नागरिकों ने भाग लिया है। एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन को सुभाष चन्द्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार मिला है, मैं इसके लिए एनडीआरएफ को बधाई देता हूँ लेकिन और ज्यादा से ज्यादा पुरस्कार हमारी टीम को मिले, इस दिशा में हमें काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ की तर्ज पर देश के 24 राज्यों में एसडीआरएफ का गठन हुआ है और एसडीआरएफ के तत्वाधान में भी अब तक लगभग 2500 से अधिक मॉक ड्रिल्स हुए हैं जिसमें लगभग 11 लाख लोगों ने भाग लिया है। नागपुर में अब इसके लिए एक बहुत बड़ा सेंटर भी बनने जा रहा है।

श्री शाह ने कहा कि केंद्र सरकार आपदा प्रबंधन की चुनौतियों और इसकी जरूरत को समझती है, इसलिए 13वें वित्त आयोग में (2010-2014) जहां आपदा प्रबंधन के लिए 14098 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे, वहीं 14वित्त आयोग (2015-2020) के लिए केंद्र सरकार ने इसके लिए 32142 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है।उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के बजट में ये वृद्धि मार्ग में आने वाली चुनौतियों से निबटने के लिए आवंटित किया गया ताकि आपदा प्रबंधन में लगी सभी इकाइयां सभी आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित हो सकें और आपदा के समय त्वरित प्रतिक्रया के लिए उपलब्ध रह सकें। उन्होंने एनडीआरएफ का आह्वान करते हुए कहा कि समय आ गया है कि अब एनडीआरएफ डीआरडीओ के साथ मिलकर इक्विपमेंट को और अपग्रेड करें और इसका प्रोडक्शन करें ताकि हम इस क्षेत्र में भी विश्व का अग्रणी देश बन सकें।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2015 में एनडीआरएफ की दो बटालियन स्थापित की गई, 2018 में पांच रीजनल रिस्पॉन्स टीम की भी स्थापना की गई और आपदा जोखिमों से होने वाली चुनौतियों से निबटने के लिए लंबे समय के लिए जिस व्यापक योजना की जरूरत थी, उस पर काम शुरू हुआ। नवंबर 2016 में आपदा जोखिम को घटाने के विषय पर आधारित एशियाई मंत्री स्तरीय सम्मेलन में बोलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने10 सूत्रीय एजेंडे को लागू करने की रूपरेखा प्रस्तुत की थी। मुझे लगता है कि यह 10 सूत्री एजेंडा ही हमारा रोडमैप होना चाहिए और हमारी छोटी से छोटी इकाई भी इस 10 सूत्री एजेंडे को पूर्णतया लागू करने के लिए संकल्पित हो, ऐसा हमारा ध्येय होना चाहिए।

श्री शाह ने कहा कि साइक्लोन के समय हमने काफी अच्छा काम किया है लेकिन मैं एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के सभी प्रतिनिधियों से आग्रह करना चाहता हूँ कि हर आपदा के बाढ़ हमारे बचाव कार्य व हमारे पुनर्वसन कार्यक्रम का विस्तृत विश्लेषण और इसका डॉक्यूमेंटेशन होना चाहिए। हमें अपनी कमियों को अलग से निकालने की व्यवस्था होनी चाहिए और जब हम अपनी कमियों को रेखांकित करते हैं, तभी हम अपने काम में संपूर्णता लाने की दिशा में आगे बढ़ते हैं। विश्लेषण के पश्चात् एक टीम को इस पर बैठ कर चर्चा करनी चाहिए और इन कमियों को ख़त्म करने के लिए एक निश्चित समय का रोडमैप तैयार करना चाहिए।

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की पहल पर भारत ने सार्क देशों को आपदा प्रबंधन की सहायता के लिए एक सैटेलाईट लॉन्च किया क्योंकि केवल भारत को आपदा प्रबंधन से मुक्त करना ही हमारा लक्ष्य नहीं है अपितु अपने पड़ोसियों को भी हमें मदद करना चाहिए। यह हमारा दायित्व होना चाहिए कि सार्क देशों की आपदा प्रबंधन टीम से हमारा संबंध मजबूत होना चाहिए, उनके साथ हमारा कम्युनिकेशन होना चाहिए ताकि हम वहां की आपदा की सारी संभावनाओं का पता लगा सकें और जितना हो सके, उतना उनका मार्गदर्शन करें। हम अपने पड़ोसी देशों में आने वाली आपदा के समय तत्काल स्थिति में हों, इस प्रकार की तैयारी एनडीआरएफ की होनी चाहिए।

श्री शाह ने कहा कि देश भर में आपदा प्रबंधन के जितने संसाधन बिखरे हुए हैं, इसका भी एक रजिस्टर एनडीआरएफ के पास होना चाहिए। हर जिला मुख्यालय में आपदा प्रबंधन की एक टीम होनी चाहिए और उनके पास ऐसी लिस्ट होनी चाहिए जिसमें उस क्षेत्र के बड़े उद्योगों की जानकारी हो, साथ ही आपदा से निबटने के लिए उनके पास मौजूद उपकरणों की भी जानकारियाँ हो। जब मैं गुजरात का गृह मंत्री था तो हर जिले में डिजास्टर मैनेजमेंट की एक टीम बनाई गई थी। साथ ही, हर जिले में जो उद्योग हैं चाहे वह पब्लिक सेक्टर की हो या प्राइवेट सेक्टर की, उनकी मीटिंग की थी और उन्हें प्रेरित किया था कि आप अपनी औद्योगिक इकाई के लिए आपदा के समय काम आने वाले उपकरणों को खरीद कर अपने पास रखें। मेरा मानना है कि देश के लगभग 400 जिलों में कोई न कोई बड़ी औद्योगिक इकाई जरूर होगी जिसमें डिजास्टर मैनेजमेंट के मॉडल को अपनाने की क्षमता हो। आपदा के समय इसका उपयोग करने के लिए हमारे पास उनके साथ संपर्क होना चाहिए। मेरा आग्रह है कि एनडीआरएफ की पूरी टीम को इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करना चाहिए और हर जिले और तहसील में ऐसी लिस्ट होनी चाहिए क्योंकि आपदा के समय होने वाला नुकसान राष्ट्र की संपत्ति का नुकसान है।

आपदा प्रबंधन के समय एनडीआरएफ के कार्यों की सराहना करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बेशक हमने आपदा के बहुत सारे क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य किया है लेकिन एक क्षेत्र ऐसा है, जहां पर हमें विशेषज्ञता हासिल करने की जरूरत है और वह है ग्लोबल वार्मिंग के कारण जंगलों में आग लगने वाली घटनाओं पर काबू पाना। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में जंगलों में लगने वाली आग से लोगों को बचाना तो हमारा काम है ही,साथ ही, पर्यावरण की सुरक्षा और पेड़ों को बचाना भी हमारा दायित्व है। आग और अधिक न फैले और पारिस्थितिकी का नुकसान कम से कम हो, हमें इस दिशा में भी काम करना चाहिए। दुनिया भर में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काम करने वाली कई संस्थाओं ने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की है, यह हमारा दायित्व है कि हम उनसे ये विशेषज्ञता हासिल करें और भारत में भी अपनी एक व्यवस्था शुरू करें। यदि हम अपने जंगलों को, पेड़ों को, वन्यजीवों को बचा सकें, तो यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

श्री शाह ने एक और महत्वपूर्ण बिंदु पर आपदा प्रबंधन की सभी टीमों को ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक राजनीतिक कार्यकर्ता और एक मंत्री के नाते भी मैंने डिजास्टर मैनेजमेंट के समय काम किया है। आपदा के समय कई अलग-अलग एजेंसियों को एक साथ आना होता है लेकिन चेन ऑफ कमांड स्पष्ट नहीं होने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह जिले तक पहले से ही स्पष्ट होना चाहिए क्योंकि आपदा के समय बहुत सारी अव्यवस्था और अफरा-तफरी केवल इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि कोई किसी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता जब तक परिपत्र न हो। शायद नौकरशाही का लूप होल भी यही है। हमें यह चेन ऑफ कमांड तय करना पड़ेगा। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन के सभी अंग इकट्ठे बैठ कर आपदा के समय किसकी क्या भूमिका होगी, वह पहले से तय कर लें ताकि आपदा के समय हमें मुश्किलों का सामना न करना पड़े।

माननीय गृह मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन से जुड़े एक-एक व्यक्ति में त्याग, बलिदान और सेवा का भाव होना चाहिए। साथ ही उनके अंदर के इंसान को जगाना भी हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा होना चाहिए ताकि हम कर्त्तव्यनिष्ठ होकर आपदा के समय राष्ट्र सेवा में अपने-आप को समर्पित कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ‘न्यू इंडिया’ का विजन लेकर चले हैं जिसमें वे हर क्षेत्र में भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहते हैं, आने वाले दिनों में आपदा प्रबंधन के इस क्षेत्र में भी भारत को दुनिया का नेतृत्व करना है,यह संकल्प लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए।

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