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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एमडीओएनईआर की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

केंद्रीय राज्य मंत्री, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि उनके मंत्रालय द्वारा जम्मू-कश्मीर से शुरुआत करते हुए की पूरे भारतवर्ष में बांस क्लस्टर स्थापित करने की योजना है।

मंत्रालय के उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस वर्ष जनवरी में कन्वेंशन सेंटर, जम्मू में बांस संवर्धन के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार के सहयोग से कार्यशाला सह-प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि जम्मू, कटरा और सांबा क्षेत्रों में बांस की टोकरी, अगरबत्ती और बांस चारकोल बनाने के लिए तीन बांस क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, जिससे माध्यम से लगभग 25,000 लोगों को रोजगार के प्रत्यक्ष अवसर प्राप्त होंगे और इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर अपने अंतिम चरण में है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बांस के अंतर्गत आने वाले लगभग 35 प्रतिशत क्षेत्र पूर्वोत्तर राज्यों में हैं। लेकिनभारतीय वन अधिनियम, 1927 के अंतर्गत बांस की आवाजाही के प्रतिबंधों के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र की इस बांस क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं किया जा रहा है।

मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा बांस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जिस संवेदनशीलता के साथ महत्व प्रदान किया गया है, वह इस बात से स्पष्ट है कि उसके द्वारा पुराने भारतीय वन अधिनियम में संशोधन किया गया है जिसके माध्यम से घर में उगाए जाने वाले बांस को वन अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जा सके और बांस के द्वारा आजीविका के अवसरों को बढ़ावा दिया जा सके।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक अन्य बड़ा सुधार बांस की छड़ियों पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया है। इस फैसले के माध्यम से भारत में अगरबत्ती की लगातार बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए नई अगरबत्ती छड़ उत्पादन इकाईयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ है। सितंबर 2019 के बाद से कच्ची बत्ती का आयात नहीं किया गया है और इसमें स्थानीय बांस उत्पाद का उपयोग किया जा रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में बांस के विशाल भंडार मौजूद हैं, जो कि अभी तक अज्ञात हैं और जिनका अबतक प्रभावी रूप से उपयोग नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर के नवनिर्मित केंद्र शासित प्रदेश में सभी मंत्रालयों को अच्छी प्रथाओं को अपनाने के लिए की गई पहलों के अंतर्गत, पूर्वोत्तर परिषद, डीओएनईआर मंत्रालय द्वारा बेंत और बांस प्रौद्योगिकी केंद्र (सीबीटीसी) के माध्यम से इस वर्ष जनवरी में कार्यशाला सह-प्रदर्शनी के रूप में जम्मू-कश्मीर में बांस उद्योग के क्षेत्र में तकनीकी जानकारी और अनुभव को प्राप्त किया गया और इसे कोविड-19 की समाप्ति के बाद पूरे देश में आयोजित किया जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बहुत जल्द ही मंत्रालय की एक टीम पुनः जम्मू का दौरा करेगी और इस क्षेत्र में बांस की खेती के लिए एक फील्ड प्रशिक्षण कार्यक्रम की तलाश करेगी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के अनुभव से जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के कारीगरों को अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने में बहुत हद तक सहायता प्राप्त होगी और इस क्षेत्र में और शेष भारत में उत्पादन किए जाने वाले बांस के व्यावसायिक दोहन में भी सहायता प्राप्त होगी।

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