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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय को पूर्वोत्तर के सभी 8 राज्यों में 10 जिलों की पहचान करने का निर्देश दिया है, जो शासन एवं विकास के मानकों में सबसे पीछे हैं

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि डोनर मंत्रालय द्वारा एक सप्ताह के भीतर पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी आठ राज्यों में ऐसे 10 जिलों की पहचान की जाएगी, जो शासन एवं विकास के मानकों में सबसे पीछे है।

डोनर मंत्रालय और पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के अधिकारियों के साथ हुई एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस परिश्रम का उद्देश्य इन जिलों पर ध्यान केंद्रित करना है और उन्हें परिपूर्णता स्तर के मामले में अन्य विकसित जिलों के बराबर लेकर आना है। उन्होंने कहा कि मुख्य ध्यान वस्तुओं एवं सेवाओं के सुचारू वितरण के माध्यम से इन जिलों में “ईज ऑफ लिविंग” यानी जीवन जीने की सुगमता में तेजी लाने पर केंद्रित होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि ये 10 जिले पूर्वोत्तर के 14 आकांक्षी जिलों से अलग होंगे, जिनका चुनाव 49 प्रमुख संकेतकों के आधार पर पहले किया गया था, जिनमें स्वास्थ्य सेवा की स्थिति एक महत्वपूर्ण घटक थी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संकल्पित की गई आकांक्षी जिलों की अवधारणा, भारत की स्वतंत्रता के सात दशकों के बाद शासन के राजनीतिक दृष्टिकोण में एक बहुत बड़ा बदलाव है। उन्होंने कहा कि यह शासन के सभी स्तरों में कार्य संस्कृति में व्यापक परिवर्तन लाने के साथ-साथ विकासात्मक गतिविधियों के वैज्ञानिक और वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन की ओर एक बदलाव भी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने फिर से दोहराया कि इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से पूर्वोत्तर की विकास परियोजनाओं में सहायता प्रदान करेगा और पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी आठ राज्यों में आधारभूत परियोजनाओं की बेहतर स्थिति के लिए सैटेलाइट इमेजिंग और अन्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों का सर्वोत्कृष्ट उपयोग की पेशकश करेगा। उन्होंने कहा कि कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जैसे फॉरेस्ट गैप एरिया की मैपिंग, बागवानी विकास के लिए भूमि क्षेत्र का विस्तार, दलदल भूमि की पहचान और कायाकल्प, बाढ़ के पानी का डायवर्जन, आजीविका के लिए बांस संसाधनों का आकलन और सीमा विवाद प्रबंधन आदि।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी आठ राज्यों में पिछले सात वर्षों में हुए विकास परियोजनाओं का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करें और सभी क्षेत्रों में उसकी तुलना पिछले 63 वर्षों से करते हुए उल्लेखनीय सुधार को दिखाएं। उन्होंने कहा कि  सभी आठ राज्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रमुख परियोजनाएं और उनके द्वारा किए गए शिलान्यासों को विकासात्मक डेटाबेस में दर्शाया जाना चाहिए।

उन्होंने 12 अक्टूबर, 2020 को घोषित किए गए आत्मनिर्भर भारत पैकेज का भी उल्लेख किया, जहां सरकार द्वारा राज्यों में पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने के लिए सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों को विशेष ब्याज – मुक्त 50-वर्षीय ऋण के रूप में प्रत्येक राज्य के लिए 200 करोड़ रूपये निर्धारित किए गए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बैठक का समापन अधिकारियों को कोविड महामारी के बाद विकास गतिविधियों को फिर से शुरूआत करने और महमारी के दौरान खत्म हुए अवसरों को फिर से प्राप्त करने का प्रयास करने के लिए प्ररित करते हुए किया।

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