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केन्द्रीय मंत्री ने एनबीआरसी का एक दिवसीय दौरा किया और संस्थान के शीर्ष वैज्ञानिकों से चर्चा की

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने तंत्रिका विज्ञान अनुसंधान और शिक्षा के लिए समर्पित भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक हरियाणा के मानेसर स्थित नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में विश्व की सबसे जटिल और अपनी तरह की पहली एमआरआई सुविधा का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत 3 टी एमआरआई की सशक्त कार्य क्षमता के उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ मानव तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में भी शामिल हो गया है। उन्होंने बताया कि सीमेंस जर्मनी के एमआरआई स्कैनर प्रिज़्मा का उपयोग अमरीका की मस्तिष्क पहल और यूरोपीय मानव मस्तिष्क परियोजना सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय पहल के लिए किया जा रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा यह नई मशीन गहन स्कैनिंग से जुड़ी गतिविधियों को बहुत तेजी से संचालित करने में सक्षम है जिससे मरीजों का स्कैनिंग में लगने वाला समय पहले से प्रचलित मशीनों की तुलना में लगभग एक चौथाई तक बच जाता है। इसका उपयोग पार्किंसंस रोग, अल्जाइमर रोग, चिंता, अवसाद, पीटीएसडी, बाईपोलर, चिंता, अवसाद सहित सामान्य मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य विकारों से पीड़ित रोगियों के लिए मानव समूह डेटा विकसित करने के लिए किया जा रहा है।

संस्थान के वैज्ञानिकों ने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि इस मशीन की विशेषता यह है कि यह मस्तिष्क में अत्यधिक संवेदनशील रिसेप्टर्स और एंटीऑक्सीडेंट्स का पता लगा सकती है और मस्तिष्क में इनकी मात्रा की भी सूचना दे सकती है, जिसका सीधा संबंध अल्जाइमर और पार्किंसंस सहित विभिन्न मस्तिष्क रोगों के शुरू होने से है। यह मशीन, मस्तिष्क में मौजूद सोडियम के स्तर का पता लगाने में सक्षम है, जो ब्रेन ट्यूमर के आंकलन के लिए सीधे तौर पर प्रासंगिक है। इसके अलावा यह प्रदूषण या कई अन्य कारणों से मस्तिष्क में पहुँच चुके हैवी मेटल की मौजूदगी का पता लगाने और उनकी मात्रा के मापन में सक्षम है जिनकी प्रासंगिकता विभिन्न मानसिक और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के लिए है। उन्होंने कहा कि एनबीआरसी की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के अंतर्गत विकसित यह व्यवस्था देश के विभिन्न आईआईटी, आईआईआईटी जैसे तकनीकी संस्थानों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग टूल्स को लागू करने और नॉरमेटिव, डायगनोस्टिक और प्रोग्नास्टिक पैटर्न के बारे में पता लगाने के लिए एक अनूठा मंच होगा।

अपने इस दौरे में डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र (एनबीआरसी) के निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिकों तथा अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। उन्होंने वैज्ञानिकों से अल्जाइमर पर एक विशेष हस्तक्षेप अध्ययन करने को कहा, जो विश्व स्तर का हो सकता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने केंद्र में किसी एक विषय पर विश्व स्तरीय शोध की आवश्यकता को रेखांकित किया, जो कि मस्तिष्क से जुड़े विकारों के लिए तर्कसंगत उपचारों और इलाज की खोज संबंधी अनुसंधान को बढ़ावा देता हो।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद पिछले वर्ष के दौरान किए गए विभिन्न अनुसाधनों के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की, जिन्हें दुनिया भर के विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा महत्व दिया गया। उन्होंने कहा कि निरंतर प्रयासों और वैज्ञानिक प्रगति के कारण आज एनबीआरसी ने खुद को तंत्रिका विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में वैश्विक मान्यता के साथ एक उन्नत केंद्र के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र अपने एमएससी और पी.एच.डी. कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को ज्ञान और विशेषज्ञता के साथ प्रशिक्षित करता है ताकि वे कुशलतापूर्वक चुनौतियों का सामान्य कर सकें और तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान कर सकें।

एनबीआरसी बुनियादी और बहु-विषयक दृष्टिकोणों का उपयोग करते हुए स्वास्थ्य और रोग ग्रसित अवस्था में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का अध्ययन करने के लिए समर्पित है। एनबीआरसी में अनुसंधान को पांच प्रभागों में वर्गीकृत किया गया है। यह प्रभाग हैं – सेलुलर और मॉलीक्यूलर, सिस्टम, कॉग्निटिव, कम्प्यूटेशनल और ट्रांसलेशनल। इन सबके अलावा प्राध्यापक अपने शोध पत्रों को हल करने के लिए प्रभागों और अन्य संस्थानों से भी समन्वय करते हैं। हरियाणा के मानेसर में अरावली रेंज की तलहटी में स्थित, एनबीआरसी, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित एक स्वायत्त संस्थान है और एक डीम्ड-टू-बी विश्वविद्यालय भी है। सरकार भारत सरकार ने एनबीआरसी को उत्कृष्ट संस्थान के रूप में मान्यता दी है। राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र (एनबीआरसी) की स्थापना वर्ष 1999 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी। मस्तिष्क अनुसंधान में लगे एनबीआरसी को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है।

एनबीआरसी के मुख्य उद्देश्यों में स्वास्थ्य और रोग में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली की स्थिति को समझने के लिए बुनियादी शोध करना शामिल है। एनबीआरसी मुख्य केंद्र में आंतरिक अनुसंधान गतिविधि के अलावा देश में तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े अन्य मौजूदा अनुसंधान समूहों के साथ भी तालमेल करता है और अनुसंधान को बढ़ावा देता है। एनबीआरसी में अनुसंधान का दायरा मॉलिक्यूलर से व्यवहारिक और कम्प्यूटेशनल तंत्रिका विज्ञान तक विस्तृत है। संस्थान मस्तिष्क विकारों के लिए तर्कसंगत उपचारों और उपायों की खोज के लिए मिशन के साथ ट्रांसलेशनल अनुसंधान को भी बढ़ावा देता है।

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