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उपराष्ट्रपति ने कृषि को जलवायु के अनुकूल, लाभदायक और टिकाऊ बनाने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कृषि को जलवायु के अनुकूल, लाभदायक और टिकाऊ बनाते हुए किसानों के लिए लाभकारी मूल्य और लाखों लोगों के लिए खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टीएनएयू) के 41वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुएउन्होंने जलवायु के अनुकूल फसलों/ किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो सूखे, बाढ़, गर्मी, लवणता, कीटों और बीमारियों जैसे व्यापक दबाव का सामना करने में समर्थ हों। उन्होंने जोर देकर कहा कि जलवायु के अनुकूलन रणनीतियों के साथ-साथ दबाव प्रतिरोधी किस्मों का विकास भारतीय कृषि में लचीलापन बढ़ाने और इसे टिकाऊ बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

श्री नायडू ने आगामी दशकों में कृषि एवं खाद्य प्रणालियों पर जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव के बारे में सचेत करते हुए कहा कि ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित करने की आवश्यकता है जो छोटे एवं सीमांत किसानों के जोखिम को कम करने में मदद करे।

भूमि जलस्‍तर में गिरावट और सिंचाई स्रोतों के तेजी से प्रदूषित होने के कारण पैदा हुई चुनौतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने जलवायु के अनुकूल, सूखे से निपटने में समर्थ जीनोटाइप और पानी की बचत करने वाली प्रौद्योगिकी विकसित करने के महत्व को रेखांकित किया।

उपराष्ट्रपति ने कृषि को एक ऐसे पेशे के रूप में वर्णित किया जो न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि पवित्र भी है। श्री नायडू ने कृषि को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए कहा कि कृषि हमेशा से हमारी संस्कृति और सभ्यता का अभिन्न अंग रही है। उन्होंने कहा, ‘हमारी 50 प्रतिशत से अधिक आबादी अभी भी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है।’

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘किसानों की आय बढ़ाने के लिए हमें उत्पादकता में सुधार करने, कुशलता से संसाधनों का उपयोग करने, फसल की प्रबलता बढ़ाने और अत्यधिक मूल्य वाली फसलों में विविधता लाने का प्रयास करना चाहिए।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए कि किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त हो। उन्होंने सुझाव दिया कि बेहतर भंडारण एवं प्रसंस्करण, कृषि इनपुट के लिए व्‍यवस्‍था, वित्तपोषण और आउटपुट की बिक्री के लिए कुशल विपणन तंत्र के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है।

श्री नायडू ने कोविड-19 के दौरान किसानों द्वारा अदम्य साहस और निष्ठा दिखाने के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्‍होंने कहा कि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसने कोविड-19 वैश्विक महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन किया है। वास्तव में खरीफ फसल का रकबा पिछले साल की तुलना में लगभग 59 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा समय पर बीज, खाद और ऋण जैसे इनपुट उपलब्‍ध कराए जाने से मदद मिली।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि पूरे देश के लिए समान बाजार के सिद्धांत पर ई-एनएएम की अवधारणा आधारित है और हमें इसका विस्तार अवश्‍य करना चाहिए।

श्री वेंकैया नायडू ने कोल्ड स्टोरेज, गोदामों जैसे पर्याप्त बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ किसानों को सस्ते ऋण उपलब्ध कराने के महत्व को भी दोहराया। मॉनसून की लहर और कृषि में अनिश्चितता के मद्देनजर किसानों की मदद करना समय की आवश्यकता है और इसे महसूस करते हुए उन्होंने किसानों के कल्याण संबंधी तमाम पहल करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों की सराहना की।

यह देखते हुए कि भारत सरकार ने हाल के वर्षों में कृषि को पुनर्जीवित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, श्री नायडू ने कहा कि कृषि क्षेत्र में उल्‍लेखनीय बदलाव हुआ है और किसानों की आय को दोगुना करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। प्रधानमंत्री किसान निधि (पीएम-किसान) का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक वरदान है और इससे भारत के 72 प्रतिशत से अधिक किसानों को लाभ होगा।

उपराष्ट्रपति ने सीआरआईएसपीआर- सीएएस9 जीन एडिटिंग टूल जैसी उभरती प्रौद्योगिकी के लाभ के बारे में बताते हुए कहा कि इन प्रौद्योगिकी के जरिये पौधों को जैविक एवं अजैविक दबावों को झेलने में समर्थ बनाते हुए उनके पोषण मूल्य एवं उपज में सुधार किया जा सकता है। इस प्रकार उनमें कृषि में बदलाव करने की अपार क्षमता मौजूद है। आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए टीएएनयू की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि वह चाहते हैं यह संस्‍थान विभिन्न क्षेत्रों में शोध को आगे बढ़ाए।

कृषि के आधुनिकीकरण एवं व्यावसायीकरण के लिए उसका यंत्रीकरण महत्वपूर्ण है और इसे महसूस करते हुए उपराष्ट्रपति ने आवश्यकता के आधार पर मशीनरी विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘बेहतर उपकरणों के उपयोग से उत्पादकता में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी और खेती की लागत में 20 प्रतिशत तक कमी की जा सकती है।’

श्री नायडू ने जल प्रबंधन, कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों में तमिलनाडु के प्रदर्शन की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक उपज वाली नई किस्मों और तकनीकों को अपनाने के मामले में यह राज्य अनुकरणीय रहा है।

उपराष्ट्रपति ने टीएएनयू के उत्तीर्ण स्नातकों से अपील की कि वे प्रौद्योगिकी के जरिये कृषि में सतत विकास का नेतृत्‍व करें ताकि किसानों की आय बेहतर हो सके और हमारे देश के लाखों लोगों के लिए खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा, ‘आपका शोध समाज के लिए प्रासंगिक होना चाहिए और जलवायु परिवर्तन से लेकर स्वास्थ्य समस्याओं तक मानव जाति के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान खोजने पर केंद्रित होना चाहिए।’

इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित, तमिलनाडु के उच्च शिक्षा एवं कृषि मंत्री श्री केपी अनबालगन और टीएएनयू के कुलपति प्रो एन कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

उपराष्‍ट्रपति का भाषण देखने के लिए यहां क्लिक करें:

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