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अन्य सभी आयु समूहों के लिए वॉक-इन पंजीकरण और सुविधा समूह का पंजीकरण खुला है

भारत सरकार इस वर्ष 16 जनवरी से ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण के तहत एक प्रभावी टीकाकरण अभियान के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों का समर्थन कर रही है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों तक हर एक नागरिक को वैक्सीन की खुराक की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए, केंद्र सरकार ने अब तक के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के लिए कोविन प्लेटफॉर्म का निर्माण किया ताकि टीकाकरण के छोटे से छोटे पहलू पर काम करने के साथ-साथ हर दिशा में पहुँच बनाई जा सके।

कुछ बेईमान तत्वों द्वारा कोविन प्लेटफॉर्म की तरह से ही एक डिजिटल डिवाइड बनाकर इसे हैक करते हुए जनसंख्या के कुछ वर्गों को इसका फायदा दिलाने की कुछ निराधार मीडिया खबरें हैं। टीकाकरण अभियान की जटिलता के बारे में बुनियादी समझ की कमी होने के कारण नागरिकों को इस प्लेटफॉर्म पर स्लॉट नहीं मिलने जैसी समस्याओं के बारे एक झूठी और गलत जानकारी का भी सामना करना पड़ा है।

ये रिपोर्ट गलत हैं और इनके पास इस संदर्भ में पूरी जानकारी भी नहीं हैं।

कोविड-19 से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन पर अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष डॉ. आर. एस. शर्मा ने कोविन के प्रदर्शन पर इस तरह की डराने वाली गलत और भ्रामक खबरों को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसके संदर्भ में सही जानकारी प्रदान की है।

कोविन भारत में टीकाकरण अभियान को संचालित करने के मामले में एक तकनीकी रूप से सक्षम मुख्य आधार है। कोविन टीकाकरण प्रक्रिया के सभी घटकों को शामिल करता है। प्रामाणिक टीकों की आपूर्ति के सत्यापन और टीकाकरण केंद्रों के प्रबंधन से लेकर पंजीकरण और नागरिकों द्वारा प्रमाणन प्राप्त करने तक, समूची महत्वपूर्ण व्यवस्था का संचालन कोविन प्लेटफॉर्म के माध्यम से होता है। यह समझना आवश्यक है कि पारदर्शिता लाने, अलग-अलग सूचनाओं को रोकने और इसके संबंध में भ्रामक जानकारियों को फैलाने के प्रयासों को रोकने के लिए सभी हितधारकों को एकसाथ लाने के लिए इस तरह के तकनीकी मंच की आवश्यकता क्यों है।

कोविन वैक्सीन बुकिंग प्रणाली की आलोचना करने वाले कुछ लेखकों ने भारत के टीकाकरण अभियान की जटिलताओं और इसके व्यापक स्तर को पूरी तरह से समझा ही नहीं है। भ्रांतियों को दूर करने के लिए, पंजीकरण के अलावा आइए पहले कोविन की उन बड़ी भूमिकाओं की जानकारी देते हैं। इसके बाद हम मांग-आपूर्ति में मौजूदा मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, और वैक्सीन पंजीकरण के कई तरीकों और माध्यमों को जानने और 1.37 अरब नागरिकों की आबादी के लिए एक समावेशी और न्यायसंगत टीकाकरण अभियान चलाने के लिए किए गए उपायों की जानकारी पर भी चर्चा करेंगे।

कोविन प्लेटफॉर्म न सिर्फ नागरिकों के अनुकूल है, बल्कि इसमें ऐसे तरीके भी हैं जो टीकाकरण केंद्रों और प्रशासकों को इसके जमीनी संचालन और प्रबंधन में सहायता करते हैं। टीकाकरण स्लॉट की जानकारी लेने और पंजीकरण कराने का तरीका बेहद सरल है। पहली खुराक के बाद, कोविन प्रोविजल प्रमाणीकरण जारी करके नागरिकों को वैक्सीन के ब्रांड के आधार पर टीकाकरण के क्रम पर नज़र रखने में सहायता करता है। यह वैक्सीन देने वाले प्रशासकों को उन लोगों पर नज़र रखने में भी सक्षम बनाता है जिन्होंने या तो टीकाकरण कराने के लिए तय समय सीमा को पार कर लिया है या उनके पास इसके बारे में आवश्यक जानकारी की कमी है। दूसरी खुराक के बाद, देश भर में एक केंद्रीकृत डिजिटल प्रमाणपत्र जारी किया जाता है जिसे सार्वभौमिक रूप से प्रमाणित किया जा सकता है।

इसके अलावा कोविन वैक्सीन प्रदाताओं को उपलब्धता के आधार पर टीकाकरण की अपनी समय-सारणी को जारी करने करने में सक्षम बनाता है, और टीकाकरण करते समय और टीकाकरण के बाद किसी भी प्रतिकूल स्थिति (एईएफआई) को रिकॉर्ड करते हुए टीकाकरण किए जाने वाले नागरिकों को सत्यापित करता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्णय लेने के लिए एईएफआई डेटा-संचालन महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, टीकाकरण के समय किसी भी व्यक्ति का केवल नाम, आयु और लिंग दर्ज किया जाता है, साथ ही वैक्सीन और टीकाकरण केंद्र की जानकारी भी दर्ज की जाती है। टीकाकरण के इन विवरणों का उपयोग भौगोलिक स्तर पर व्यापक रूप से टीकाकरण अभियान की कवरेज को सुनिश्चित करने और इसका मूल्याँकन करने के लिए किया जाता है। इस तरह के व्यावहारिक अनुप्रयोगों और आवश्यकताओं के बावजूद, कोविन को सिर्फ व्यापक रूप से डेटा संग्रह के एक उपकरण के रूप में आरोपित किया जाता है।

28 अप्रैल को 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लिए पंजीकरण खोले जाने के बाद टीकाकरण स्लॉट की अनुपलब्धता के मुद्दे पर हंगामा किया गया। किसी को भी यह जानकार आश्चर्य हो सकता है कि इस आयु वर्ग के लिए वैक्सीन की मांग और आपूर्ति में कितनी तेजी से कमी आई। दी गई खुराकों के पंजीकरण का अनुपात जोकि एक सप्ताह पहले ही 11:1 के उच्चतम स्तर पर था वह अब 6.5:1 पर आ गया। कुल मिलाकर, 244 मिलियन से अधिक पंजीकरण और 167 मिलियन से अधिक लोगों को कम से कम एक खुराक लेने के साथ (29 मई 2021 की शाम 7 बजे तक आंकड़ों के अनुसार), यह कमी वर्तमान व्यवस्था को स्पष्ट करती है, जो स्वाभाविक रूप से समय बीतने के साथ टीकों की व्यापक आपूर्ति होने के साथ ही गति पकड़ लेगी।

1.37 बिलियन से अधिक के देश में 167 मिलियन से अधिक लोगों को टीके की कम से कम एक खुराक दी गई है, जो लगभग 12.21 प्रतिशत कवरेज या टीकाकरण होने वाले प्रत्येक 8 भारतीयों में लगभग 1 है। 18+ की 944.7 मिलियन वास्तविक लक्षित जनसंख्या को देखते हुए, यह संख्या प्रत्येक 11 भारतीयों में से 17.67 प्रतिशत या 2 होती है। यह डेटा कोविन वेबसाइट पर वास्तविक समय के आधार पर अपडेट किया जाता है और एक राज्य में जिला स्तर तक सटीक जानकारी के साथ सभी के देखने के लिए उपलब्ध है।

इसके अलावा, लिखने वाले के भाव में यह आशय दिखता है कि ऑनलाइन पंजीकरण के अलावा, पंजीकरण की कोई अन्य व्यवस्था नहीं है। जबकि टीकाकरण केन्द्रों पर भी ऑफ़लाइन टीकाकरण होने की प्रक्रिया जनवरी से ही इसका एक अभिन्न अंग रही है। टीकाकरण केंद्रों पर भारी भीड़ को प्रबंधित करने और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और ऑफ़लाइन जाकर टीकाकरण कराने के अनुपात को समय-समय पर संशोधित किया गया है। वास्तव में, अब तक दी गईं कुल 211.8 मिलियन खुराकों में से लगभग 55 प्रतिशत को वॉक-इन के माध्यम से दिया गया हैं। कोविन का महत्व ऑनलाइन पंजीकरण और ऑफलाइन वॉक-इन के बीच उपलब्ध कराए गए स्लॉटों के अनुपात में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किए जाने की अनुमति देने की क्षमता में निहित है।

एक दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ, कोविन को एक आमजन के हित के लिए आसानी से परिचालित किए जा सकने के रूप में डिज़ाइन किया गया है जो तकनीकी नवाचारों की सुविधा भी प्रदान करता है। टीकाकरण स्लॉटों की जानकारी लेने के लिए कोविन एपीआई को व्यापक पहुँच देने का समर्थन करते हुए तीसरे पक्ष के डेवलपर्स के लिए भी खोल दिया गया है। जब हम बर्टी थॉमस (गलत सूचना देने वाले लेखों में से एक में उल्लिखित) जैसे कोडर्स के बारे में सुनते हैं, तो अपने समुदायों को कोविन में उपलब्ध खुले स्लॉटों की जानकारी में सहायता करने के लिए एक अलर्ट सिस्टम बनाते हैं, और इसी वजह से प्रौद्योगिकी को भी और विकसित किया जा रहा है। अलग-अलग रूप में मांग-आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए, इस तरह के नवाचार सुनिश्चित करते हैं कि टीकाकरण केंद्रों में भीड़-भाड़ न हो और नागरिक केवल टीकाकरण स्लॉट की उपलब्धता पर ही अपने घरों से बाहर निकलें। इस तरह की आधुनिक तकनीक से युक्त जानकारियां किसी तरह का भ्रम उत्पन्न नहीं करतीं, क्योंकि वे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं और पेटीएम या टेलीग्राम जैसे अनुप्रयोगों के माध्यम से लोकतांत्रिक रूप से कारगर हैं।

ऐसा विभाजन तब पैदा होता है जब व्यक्ति या समूह भ्रामक दावे करते हैं या निर्दोष नागरिकों को मूर्ख बनाने की कोशिश करते हैं कि 2-3 दिनों के लिए इस तरह के भ्रामक अभियान चलाना ही उनकी समस्या का एकमात्र समाधान है। सार्वजनिक और निःशुल्क सेवा के लिए इस प्रक्रिया में पैसा वसूल करना और भी जघन्य है। हम किसी के दुख में मुनाफाखोरी के इस तरह के व्यवहार की कड़ी निंदा करते हैं और प्रकाशनों से इस तरह के लेखों में प्रकाशित गलत जानकारी के लिए इनकी प्रशंसा करने की बजाय इनके इस तरह के व्यवहार पर सवाल उठाने का आग्रह करते हैं।

इसके अलावा, तीसरे पक्ष के डेवलपर्स के पास केवल डिस्कवरी एपीआई तक की ही पहुंच है, और वे पंजीकरण के लिए सिर्फ कोविन प्लेटफॉर्म के माध्यम से ही केंद्रीकृत है। इस प्लेटफ़ॉर्म को सावधानीपूर्वक पूर्ण सुरक्षा के लिए जाँचा परखा गया है। इसलिए हम पूरी निश्चितता के साथ कहते हैं कि इसमें आज तक कोई भी उल्लंघन नहीं पाया गया है। किसी व्यक्ति के द्वारा अपने आप को इसमें स्वचालित रूप से पंजीकृत करने के लिए किसी भी तरीके से ओटीपी सत्यापन और कैप्चा को बायपास नहीं किया जा सकता है। यदि नागरिक पंजीकरण के लिए ग़ैर-कानूनी कोडर्स को 400 से 3,000 रूपए (7 से 40 अमरीकी डॉलर) का भुगतान कर रहे होते, तो हम केवल ऑनलाइन पंजीकरण के माध्यम से आज 90 मिलियन से अधिक टीकों को आसानी से दे पाने में सक्षम नहीं हो पाते। इस तरह के दावे निराधार हैं, और हम जनता से अनुरोध करेंगे कि वे ऐसे धोखेवाजों और अफवाहों पर ध्यान न दें।

पहले से खारिज किए गए विवादों के अलावा, डिजिटल विभाजन और समावेशिता के मसले भी बहस का विषय है कि कोविन समान रूप से टीकाकरण के देश के प्रयासों को पंगु बना रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि वंचित लोगों के हितों की रक्षा के लिए, हमने पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाया है ताकि इसे सभी के लिए सुलभ बनाया जा सके। भाषा की बाधाओं को दूर करने के लिए मोनोसिलेबिक/ एकल शब्द प्रश्नों का उपयोग किया गया है। हम जल्द ही इस चिंता को दूर करने के लिए सहायता प्रदान करने हेतु, इसे 14 स्थानीय भाषाओं में से चुनने का विकल्प शुरू कर रहे हैं। साइन-अप और पंजीकरण केवल मोबाइल नंबर, नाम, आयु और लिंग की मांग करते हैं। इसके अलावा, कोविन पहचान के लिए आधार के चयन के अलावा भी अधिकतम 7 विकल्प प्रदान करता है।

समावेशिता को आगे बढ़ाने के लिए, एक नागरिक एक ही मोबाइल नंबर से एक साथ अधिकतम 4 व्यक्तियों को पंजीकृत कर सकता है। हमने ग्रामीण नागरिकों को पंजीकरण में सहायता करने के लिए 250,000+ सामुदायिक सेवा केंद्रों (सीएससी) का गठन किया है। इसके अतिरिक्त, हम व्यक्तियों को फोन कॉल पर साइन अप करने में मदद करने के लिए एनएचए (राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण) में कॉल सेंटर प्रारंभ करने की प्रक्रिया में हैं और जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, ऑफ़लाइन वॉक-इन हमेशा उन लोगों के लिए रहा है जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कर सकते हैं, यह ऑफ़लाइन वॉक-इन के माध्यम से दी गई 110 मिलियन+ खुराकों से स्पष्ट है।

हमारे प्रयासों से प्रेरणा लेते हुए, नाइजीरिया जैसे विभिन्न घनी आबादी वाले अफ्रीकी देशों ने भी समान भौगोलिक कवरेज की निगरानी के लिए अपने टीकाकरण अभियान को डिजिटल बनाने के अपने प्रयासों में हमसे सहायता लेने की मांग की है। ऐसे राष्ट्रों द्वारा सामना की जाने वाली लॉजिस्टिक चुनौतियां भारत के समान हैं, और इसलिए वे समझते हैं कि डिजिटल रूप से ही आगे बढ़ना ही इसका एकमात्र तरीका है।

अंत में, यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि लेखक ने वैक्सीन की खुराक देने के लिए एक अधिक प्रभावी प्रणाली बनाने के लिए किसी वैकल्पिक समाधान का प्रस्ताव देने का प्रयास नहीं किया है। घातक आलोचना केवल दूरदर्शिता को समाप्त करने का मार्ग दिखाती है, प्रगति या विकास का नहीं। एक ऐसा देश जहाँ डिजिटल प्रौद्योगिकियों के प्रति निरंतर रूप से आकर्षण और प्रयासों को बढावा दिया जा रहा है, वहाँ कोविन सूचना विषमता को दूर करने और सभी के लिए समान टीकाकरण पहुंच सुनिश्चित करने के मामले में आवश्यक तकनीकी आधार के रूप में कार्य करता है।

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