अब लोकायुक्त के दायरे में होंगे सीएम और मंत्री, जानिए कैसे तैयार होगा लोकायुक्त का ढांचा
प्रचंड बहुमत से सत्तासीन हुई बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार पर भी प्रचंड वार करना चाहती है। इसलिए वह 2011 में खंडूडी सरकार के जमाने में पास हुए लोकायुक्त एक्ट को लेकर फिर सामने आई है। इसे विधानसभा के पटल पर रख दिया गया है। भ्रष्टाचार पर धर्मयुद्ध छेड़ने का सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पहले ही ऐलान कर चुके हैं।फिर इस एक्ट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि सीएम और उसके मंत्री भी इसके दायरे में होंगे। 2012 में विजय बहुगुणा की सरकार ने अपने हिसाब से लोकायुक्त एक्ट पारित किया था, जिसमें सीएम को इसके दायरे से बाहर कर दिया गया था। मगर त्रिवेंद्र सरकार ने सीएम को उसके अधीन रखकर यह जाहिर करने का इरादा जताया है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ वाकई में सख्त कदम उठाना चाहती है।
ऐसे बनेगा लोकायुक्त का ढांचा
– एक अध्यक्ष, जो उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश है या रहा हो। या फिर कोई विख्यात व्यक्ति, जिसके पास भ्रष्टाचार विरोधी नीति, लोक प्रशासन, सतर्कता, वित्त, विधि और प्रबंधन से संबंधित विषयों में 25 साल से ज्यादा की विशेषज्ञता हो।
– अधिकतम चार सदस्य, जिनमें 50 प्रतिशत न्यायिक सदस्य होंगे। मगर लोकायुक्त के सदस्यों में से न्यूनतम 50 प्रतिशत सदस्य एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक वर्ग और महिला में से होंगे।
लोकायुक्त की ताकत
– किसी मामले में प्रारंभिक जांच या निरीक्षण कराने के लिए निर्देश दे सकता है।
– जांचकर्ता अधिकारी को लोकायुक्त की अनुमति बगैर ट्रांसफर करना संभव नहीं।
– किसी मामले में सरकारी वकीलों से इतर वकीलों का पैनल बना सकता है
– जांच करते वक्त सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां लोकायुक्त को प्राप्त होंगी।