यूरोपीय संघ और भारत ने एक निवेश सुविधा तंत्र स्थापित किया
यूरोपीय संघ (ईयू) और भारत ने यूरोपीय संघ के भारत में निवेशों के लिए आज एक निवेश सुविधा तंत्र (आईएफएम) की स्थापना की घोषणा की। इस तंत्र से यूरोपीय संघ और भारत सरकार के बीच करीबी तालमेल स्थापित हो सकेगा। इसका उद्देश्य भारत में यूरोपीय संघ के निवेश को बढ़ावा देना और उसे सुगम बनाना है।
यह समझौता मार्च 2016 में ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ-भारत के 13वें शिखर सम्मेलन में जारी संयुक्त बयान के दौरान तैयार किया गया था, जिसमें यूरोपीय संघ ने इस प्रकार का एक तंत्र तैयार करने के भारत के फैसले का स्वागत किया था। दोनों देशों के नेताओं ने संरक्षणवाद का विरोध करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई थी। साथ ही एक निष्पक्ष, पारदर्शी और शासन आधारित व्यापार और निवेश माहौल बनाने की वकालत की थी।
आईएफएम के अंतर्गत भारत में ईयू के प्रतिनिधिमंडल तथा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग ने भारत में ईयू के निवेशों का आकलन करने और ‘‘व्यापार में सुगमता’’ के लिए नियमित उच्चस्तरीय बैठकें आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की थी। इसमें यूरोपीय संघ की कंपनियों और निवेशकों को स्थापित करने अथवा उनके कार्य को चलाने के लिए सामने आने वाली प्रक्रिया संबंधी परेशानियों का समाधान निकालने और उसे सामने रखना शामिल है।
इस पहल के महत्व पर जोर देते हुए भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत श्री तोमास्ज़ कोसलोवस्की ने कहा कि निवेश सुविधा तंत्र की स्थापना यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक सही कदम है। यूरोपीय संघ भारत में सबसे बड़ा विदेशी निवेश है और उसकी पहल से यूरोपीय संघ के निवेशकों के लिए अधिक मजबूत, प्रभावी और पूर्वानुमेय व्यापार माहौल बनाने में मदद मिलेगी। मार्च, 2016 में आयोजित शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों के नेताओं ने अपने संबंधों को नई गति देने का फैसला किया था। हम उसी का पालन कर रहे हैं।
डीआईपीपी सचिव श्री रमेश अभिषेक ने कहा कि ‘व्यापार में सुगमता’ सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की मूल प्राथमिकता है और भारत में यूरोपीय संघ के निवेश को सुगम बनाने के लिए आईएफएम की स्थापना इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए एक अन्य कदम है। आईएफएम की स्थापना यूरोपीय संघ की कंपनियों और निवेशकों के भारत में प्रचालन के दौरान उनके सामने आने वाली समस्याओं को पहचानने और उन्हें हल करने का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से की गई। आईएफएम यूरोपीय संघ की कंपनियों और निवेशकों की दृष्टि से सामान्य सुझाव पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच का काम करेगा। उन्होंने कहा कि इससे यूरोपीय संघ के निवेशकों को भारत में उपलब्ध निवेश के अवसरों का उपयोग करने में प्रोत्साहन मिलेगा। सरकारी निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी, इनवेस्ट इंडिया भी इस तंत्र का हिस्सा होगी। यह यूरोपीय संघ की कंपनियों के लिए एक प्रविष्टि स्थल तैयार करेगा, जिसे केन्द्रीय अथवा राज्य स्तर पर निवेश के लिए सहायता की जरूरत होगी। डीआईपीपी मामलों के अनुसार अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों और अधिकारों की भागीदारी को भी सुगम बनाएगा। व्यापार और निवेश यूरोपीय संघ और भारत के बीच 2004 में शुरू की गई रणनीतिक भागीदारी के प्रमुख तत्व हैं। वस्तुओं और सेवाओं में पहला व्यापार भागीदार होने के साथ यूरोपीय संघ भारत में सबसे बड़े विदेशी निवेशकों में से एक है, जिसका सामान मार्च 2017 तक 81.52 अरब (4.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक) का था। इस समय भारत में यूरोपीय संघ की छह हजार से ज्यादा कंपनियां है जो 60 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रही हैं।