अंधेरी जिंदगी में जलाई ज्ञान की रोशनी
इलाहाबाद अगर हौसला है तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसानी से हल की जा सकती है। इलाहाबाद के टैगोर टाउन की गृहिणी हरदीप कौर के इसी असाधारण हौसले ने ब्रेल लिपि में लेखन कर एक नई क्रांति की नींव रख दी है। ब्रेल लिपि की उनकी किताबों के लिए अब मुफ्त प्रकाशक मिल जाने से मानो उनकी उम्मीद को मंजिल मिल गई है।
हरदीप के सोचने का नजरिया जरा हटकर था। वह नेत्रहीनों को देखकर यूं ही बगल से होकर आगे नहीं निकल गईं। दो दशक पहले उनके मन में सवाल उठा कि ये नेत्रहीन बच्चे क्या सोचते हैं। क्या पढ़ना चाहते हैं? चुनौती थी कि उनके सोचने को कैसे पूरा किया जा सकता है, उन्होंने उनकी जिंदगी में झांकना शुरू किया। उनकी अंधेरी जिंदगी में शिक्षा का उजियारा फैलाने का उनका कारवां शुरू हुआ जो आज उनकी जिंदगी में बदलाव लाने का सबब बन गया।
पुस्तकों का कारवां: ब्रेल लिपि में लिखी पुस्तकों में संत कबीर दास के दोहे, नरेंद्र मोदी की जीवनी, हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला, विश्व प्रसिद्ध दस हैंडीकैप लोगों की जीवनी, गीता सार, लुईस ब्रेल की जीवनी, हमारा राष्ट्रगान आदि हैं। हरदीप के जुनून पर शहरवासी भी आगे आए। किसी ने कीमती ब्रेल लिपि का टाइपराइटर दिया तो किसी ने सॉफ्टवेयर।
ऐसे पाई सफलता की मंजिल: ब्रेल लिपि की पढ़ाई करने वाली हरदीप ने बच्चों की इस इच्छा के अनुसार कि वह क्या पढ़ना चाहते हैं, पुस्तक लिखना शुरू कर दिया। शुरू में अनेक कठिनाई आईं, लेकिन निरंतर अभ्यास ने राह आसान कर दी। उन्होंने 15 पुस्तकें लिखीं हैं, जो बच्चों को पढ़ने के लिए दी गई हैं।