उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के साथ परिसंपत्तियों के पूरी तरह से बंटवारे की आस जगी

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच पिछले 16 सालों से लंबित पड़े परिसंपत्तियों के पूर्ण बंटवारे और जमरानी बांध मुद्दे के सुलझने की अब नयी आस जगी है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने के बाद उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने रविवार कहा कि शीघ ही दोनों प्रदेशों के मुख्य सचिवों के बीच एक वार्ता होगी जिसमें इन लंबित मुद्दों को सुलझा लिया जायेगा.

उन्होंने कहा ‘योगी से लखनऊ में मेरी मुलाकात काफी अच्छी रही. योगी उत्तराखंड के साथ लंबित सभी मुद्दों को जल्द सुलझाये जाने को तैयार हैं’.

पंत ने कहा कि 37 नहरों के अलावा सात-आठ जलाशयों के स्वामित्व को लेकर भी मसला सुलझने की उम्मीद है. इसमें ऊधमसिंह नगर जिले में स्थित नानकमत्ता सागर जलाशय भी शामिल है.

उन्होंने बताया कि कल सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी योगी से मिलने लखनऊ जा रहे हैं. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के निवासी हैं.

पंत ने बताया कि बहुद्देशीय जमरानी बांध पर भी दोनों राज्य समझौता ज्ञापन (एमओयू) करने को राजी हो गये हैं. इसमें जमरानी बांध से सिंचाई के लिये मिलने वाले पानी का 57 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश को मिलेगा जिससे वहां 47,000 हेक्टेअर इलाका सिंचित होगा.

हांलांकि, उत्तराखंड को इसका केवल 43 फीसदी हिस्सा ही सिंचाई के लिये मिलेगा. पंत ने कहा कि चूंकि यह बहुद्देशीय बांध है, इसलिये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी इसकी लागत में 250-300 करोड़ रूपये लगा कर मदद करने को तैयार हैं.

उन्होंने कहा, ‘अब हमें लगता है कि बरसों से लंबित जमरानी बांध का कार्य एमओयू पर दस्तखत होने के बाद जल्द ही शुरू हो जायेगा’.

जमरानी योजना के तहत नैनीताल जिले में काठगोदाम से 10 किलोमीटर ऊपर गोला बैराज के अपस्टीम में 130.60 मीटर उंचे कंक्रीट ग्रेविटी बांध का निर्माण प्रस्तावित है.

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, भारत सरकार द्वारा 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन हेतु स्वीकृति मिल चुकी है. इस बहुद्देशीय बांध की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली गयी है जिसकी लागत 1500-2000 करोड़ रूपये आंकी गयी है.

उत्तराखंड सरकार ने इस परियोजना को लेकर एमओयू का ड्राफ्ट भी उत्तर प्रदेश सरकार को भेज दिया है.

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