तस्लीमुद्दीन के इंतकाल के बाद अररिया सीट को लेकर राजद-कांग्रेस में ठनी
पटना राजद के सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के इंतकाल के बाद अररिया सीट को लेकर राजद-कांग्रेस में ठन गई है। कांग्रेस ने राजद की इस सीट पर अपना दावा ठोक दिया है, वहीं राजद ने कहा है कि वह ये सीट कतई नहीं छोड़ेगा, यह सीट राजद की है और रहेगी।
पंजाब के गुरुदासपुर के बाद मध्यप्रदेश के चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव में मिली सफलता से कांग्रेस खासी उत्साहित दिख रही है। इसी उत्साह में कांग्रेस ने बिहार के अररिया लोकसभा सीट पर भी अपनी दावेदारी शुरु कर दी है जबकि ये परंपरागत रुप से राजद की सीट है।
राजद सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के इंतकाल के बाद ये सीट खाली हुई है जिसपर उपचुनाव संभावित है।कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा है कि अगर अररिया उपचुनाव में कांग्रेस लडेगी तो जीत दर्ज करेगी और इसका असर राष्ट्रीय स्तर पर होगा।
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और मुझे लगता है कि अररिया लोकसभा सीट कांग्रेस को लड़ना चाहिए।क्योंकि ये अल्पसंख्यक बहुल सीट है, जो पूरे देश में राजनीतिक लड़ाई है उसमें ये सीट कांग्रेस की बनती है और मुझे लगता है कि गठबंधन में ये सीट मिलती है तो वो जीत दर्ज करेगी।
दूसरी तरफ राजद ने कांग्रेस के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। राजद के राष्ट्रीय महासचिव शिवानंद तिवारी का मानना है कि राजद ने यहां तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी लिहाजा अररिया राजद के स्वभाविक सीट है। वैसे भी राजद-कांग्रेस का मतलब लालू-सोनिया होता है।
देश में कुछ उपचुनावों में जीत को कांग्रेस भुनाना चाह रही है। कांग्रेस ये मानती है कि कांग्रेस की ये जीत दरअसल बीजेपी या फिर मोदी की घटती स्वीकार्यता का संकेत है। यही वजह है कि राजद के परंपरागत अल्पसंख्यक बहुल इस सीट पर कांग्रेस अपना दावा कर रही है।