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तालिबान ने अफगानिस्तान के हथियारों के ब्लैक मार्केट पर डाला पर्दा, जानें- क्या है कारण

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद खुलेआम होने वाली हथियारों की बिक्री पर पर्दा पड़ गया है। काबुल पर कब्जे के दौरान बड़ी मात्रा में अत्याधुनिक अमेरिकी हथियार तालिबान के हाथ लगे हैं। तालिबान को फिलहाल ब्लैक मार्केट में बिकने वाले हथियारों की जरूरत नहीं रह गई है, लेकिन हजारों असाल्ट राइफल, मशीनगन, राकेट लांचर, कार्बाइन, राकेट और कारतूसों पर वह नियंत्रण बनाए हुए है। तालिबान को डर है कि ब्लैक मार्केट से नियंत्रण खत्म करने पर हथियार आतंकी संगठन आइएस या अन्य विरोधी संगठनों के हाथों में पड़ जाएंगे, फिर उनका इस्तेमाल तालिबान के खिलाफ होने लगेगा। तालिबान इस ब्लैक मार्केट पर अपना एकाधिकार बनाए रखना चाहता है।

इससे पहले अफगानिस्तान पुनर्गठन की प्रक्रिया के स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल ने कहा था कि दो दशक तक चले संघर्ष के दौरान अमेरिका ने 80 अरब डालर (करीब छह लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा मूल्य का सैन्य साजोसामान अफगान सुरक्षा बलों को दिया था। इसके अतिरिक्त आखिर के दो वर्षो में अमेरिका ने 2.6 अरब डालर (19,511 करोड़ रुपये) के अत्याधुनिक हथियार अफगान सुरक्षा बलों को सौंपे। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगान सुरक्षा बलों को मिले दो लाख छोटे हथियार (असाल्ट राइफल, पिस्टल, रिवाल्वर) इस गिनती में शामिल नहीं हैं। ये सभी हथियार अब तालिबान के पास हैं।

रूसी विमान से 214 लोग आए

रूस से राहत सामग्री लेकर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल गए तीन रूसी सैन्य विमानों में से एक मास्को के चाकालोवस्की एयरपोर्ट पर लौट आया है। इस विमान से रूसी व किर्गीज नागरिक और अफगान छात्र रूस आए हैं। ये अफगान छात्र रूसी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं। विमान में काबुल से कुल 214 लोग आए हैं।

कई देश खोल सकते हैं काबुल में दूतावास

तालिबान की अंतरिम सरकार को उम्मीद है कि साल के अंत तक कई देश काबुल में अपने दूतावास दोबारा खोल लेंगे। यह संभावना तालिबान के प्रवक्ता मुहम्मद नईम ने जताई है। रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक के अनुसार तालिबान की कई देशों के राजनयिकों से दूतावास खोले जाने के सिलसिले में वार्ता चल रही है। कुछ देशों से तालिबान को सकारात्मक संकेत मिले हैं।

जब्त धनराशि अवमुक्त करने की मांग

दोहा में अमेरिकी राजनयिकों के साथ चल रही वार्ता में तालिबान ने जब्त 9.5 अरब डालर (करीब 70 हजार करोड़ रुपये) की धनराशि को अवमुक्त करने का अमेरिका से अनुरोध किया है। यह धनराशि अमेरिका, सहयोगी देशों और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों ने अफगानिस्तान की पूर्व सरकार को सहायता राशि के रूप में दी थी। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने अपनी बैंकों में जमा इस राशि की निकासी पर रोक लगा दी। साथ ही अमेरिका और अन्य देशों ने अपनी मदद रोक दी।

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