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दिलीप घोष ने की भवानीपुर चुनाव टालने की मांग, EC ने ममता सरकार से मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष को भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस के कथित समर्थकों ने सोमवार को धक्का दिया और उनसे दुव्र्यवहार किया, जिसके बाद उनके सुरक्षा अधिकारी को पिस्तौल निकालनी पड़ी। इस विधानसभा क्षेत्र से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं और चुनाव प्रचार के अंतिम दिन यहां का राजनीतिक तापमान काफी गर्मा गया। घोष ने मांग की कि स्थिति के सामान्य होने तक 30 सितंबर को होने वाले उपचुनाव को टाल दिया जाए, जबकि चुनाव आयोग ने घटना पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।

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पार्टी उम्मीदवार प्रियंका टिबरेवाल के लिए प्रचार करते समय भाजपा सांसद अर्जुन सिंह के खिलाफ सत्तारूढ़ तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने ”वापस जाओ” के नारे लगाए। राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर दिखा कि घोष के साथ सड़क पर धक्का-मुक्की की जा रही है और दुव्र्यवहार किया जा रहा है तथा सुरक्षाकर्मी उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक संदिग्ध समर्थक को एक सुरक्षाकर्मी का कॉलर पकड़ते देखा गया, जिसने भीड़ को हटाने के लिए तुरंत पिस्तौल निकाल ली। घटना तब हुई जब घोष विधानसभा क्षेत्र के जोडुबाबर बाजार इलाके में एक टीकाकरण शिविर के अंदर गए थे। वहां मौजूद तृणमूल समर्थकों ने नारेबाजी करते हुए उन्हें वहां से चले जाने के लिए कहा और आरोप लगाया कि सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम में वह चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

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घोष सुरक्षार्किमयों के घेरे में वहां से चले गए और बाद में आरोप लगाया कि तृणमूल समर्थकों ने अकारण उन पर ”हमला” किया और एक भाजपा कार्यकर्ता को घायल कर दिया। उन्होंने पूछा, ”हम मामले को चुनाव आयोग के समक्ष उठाएंगे। यह किस तरह का चुनाव है?” उन्होंने बाद में एक संवाददाता सम्मेलन में मांग की कि भवानीपुर उपचुनाव को टाल दिया जाए। उन्होंने कहा, ”इलाके में कानून-व्यवस्था की स्थिति उपचुनाव कराने के अनुकूल नहीं है। अगर एक सांसद पर हमला हो रहा है तो सोचिए आम मतदाताओं का क्या हाल होगा। भवानीपुर में स्थिति सामान्य होने तक मैं चुनाव टाले जाने की मांग करता हूं… तब तक, जब तक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए माहौल अनुकूल नहीं हो जाता है।” घोष ने दावा किया कि उनकी जान को खतरा था और उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों की कार्रवाई का बचाव किया।

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उन्होंने कहा, ”अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तो मेरी हत्या हो जाती। मेरे सुरक्षाकर्मी ने सुनिश्चित किया कि मैं कार में सवार होकर सुरक्षित उस स्थान से निकल सकूं।” घोष को हाल में राज्य भाजपा के प्रमुख पद से हटाकर पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था। उपचुनाव टालने की घोष की मांग पर टीएमसी के वरिष्ठ नेता तापस राय ने कहा कि राज्य भाजपा अध्यक्ष पद से ”हटाए जाने” के बाद भाजपा नेता कुछ राजनीतिक स्कोर हासिल करने के लिए बेताब हैं। राय ने कहा, ”पहले उनकी पार्टी को स्टार प्रचारक की सूची से उन्हें हटाना चाहिए और फिर उपचुनाव टालने की बात करनी चाहिए। राज्य अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद प्रतीत होता है कि वह कुछ राजनीतिक स्कोर करने में लगे हुए हैं।” उपचुनाव नहीं लडऩे एवं प्रचार नहीं करने का निर्णय करने वाली कांग्रेस ने घटना को लेकर टीएमसी पर प्रहार किया।

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राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ”क्या यह स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी है कि विपक्षी दल के नेताओं पर इस तरह से हमले किए जा रहे हैं? यह शर्मनाक है। चुनाव आयोग को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना चाहिए।” राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने शाम चार बजे तक राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। यह अभी तक पता नहीं चला है कि राज्य सरकार ने चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी है अथवा नहीं। विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के चुनाव प्रभारी और सांसद अर्जुन सिंह जब प्रचार करने गए तो ”वापस जाओ”और ”बोहिरगाटो (बाहरी)” के नारे लगाए गए। तृणमूल के पूर्व विधायक सिंह बैरकपुर से लोकसभा सदस्य हैं।

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राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मांग की कि चुनाव आयोग घटना के दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे। उन्होंने कहा, ”यहां स्थिति नाजुक है। लेकिन भाजपा कार्यकर्ता अंतिम सांस तक लड़ेंगे और छोड़ेंगे नहीं।” तृणमूल के वरिष्ठ नेता मदन मित्रा ने कहा कि हर किसी को घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करने का अधिकार है लेकिन हथियार से लोगों को धमकाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, ”यह गोधरा या भाटपारा नहीं है, यह भवानीपुर है। भाजपा को उसके कार्यों के लिए 30 सितंबर को करारा जवाब मिलेगा।”

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अर्जुन सिंह ने राज्य प्रशासन और पुलिस पर आरोप लगाया कि सांसदों और राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं पर हमला हो रहा है फिर भी वे कुछ नहीं कर रहे हैं। तृणमूल ने ट््वीट कर आरोप लगाया कि घोष के अंगरक्षक ने लोगों को डराने के लिए पिस्तौल निकाल ली। पार्टी ने ट््वीट किया, ”बंगाल भाजपा का स्तर काफी गिर गया है। दिनदहाड़े लोगों पर पिस्तौल कैसे तानी जा सकती है? क्या लोगों को उन नेताओं का विरोध करने का अधिकार नहीं है जिनका वह समर्थन नहीं करते? इस तरह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन शर्मनाक है। यह भवानीपुर के लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ है।” भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए 30 सितंबर को उपचुनाव होने वाले हैं।

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