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विश्व में हर साल 13 लाख हेक्टेयर जंगल का सफाया

दुनियाभर में हर साल 13 लाख हेक्टेयर जंगल साफ हो रहे हैं। विकास के नाम पर वनों के कटान से जलवायु परिवर्तन व ग्लोबल वार्मिंग का खतरा लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि कार्बन उत्सर्जन में अपेक्षित कटौती न होने पर इस सदी के अंत तक पृथ्वी के तापमान में औसतन चार डिग्री सेल्सियस का इजाफा हो जाएगा।

वनों की यह चिंता 19वें राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन में उभरकर सामने आई और इस पांच दिवसीय सम्मेलन में करीब 30 राष्ट्रमंडल देशों से पहुंचे विशेषज्ञ वनों की चुनौतियों से निपटने को मसौदा भी तैयार करेंगे।

सोमवार को केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) और राष्ट्रमंडल वानिकी संगठन के सहयोग से आयोजित इस 19वें सम्मेलन का शुभारंभ राज्यपाल डॉ. केके पाल ने किया। उन्होंने वानिकी सम्मेलन के देहरादून में आयोजित होने को गौरव की बात बताते हुए कहा कि सम्मेलन का विषय ‘समृद्धि और सुनिश्चित भविष्य के लिए वानिकी’ वर्तमान में सबसे अधिक प्रासंगिक है।

उन्होंने कहा कि वनों की सुरक्षा, प्राकृतिक आपदा के जोखिमों को कम करने और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने को वानिकी विशेषज्ञों को आगे बढ़कर कार्य करना चाहिए। राज्यपाल ने उम्मीद जताई कि सम्मेलन में ऐसी संस्तुतियां रखी जाएंगी, जिनसे संगठन, राष्ट्रीय व स्थानीय सरकारें नीतिगत-कानूनी हस्तक्षेप कर सकें। केंद्रीय वन सचिव एएन झा ने वनों के तेजी से हो रहे कटान से जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और भोजन की सुरक्षा पर बढ़ते संकट की तरफ ध्यान आकृष्ट किया।

वहीं, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) के महानिदेशक डॉ. सुरेश गैरोला ने कहा कि परिषद के अधीन कार्य करने वाला एफआरआइ व देश के अन्य संस्थान वन प्रबंधन की दिशा में सीएफसी की संस्तुतियों के अनुरूप हरसंभव सहयोग करेंगे। राष्ट्रमंडल वानिकी संगठन के अध्यक्ष जॉन इनेस ने कहा कि इस बार का सम्मेलन वन प्रबंधन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। कनाडा विज्ञान कार्यक्रम शाखा के महानिदेशक रोरी मिटेंसन ने वन प्रबंधन में लोगों के सामाजिक-आर्थिक लाभ को सुरक्षित रखने पर बल दिया।

उधर, डॉ. पैटर होसमग्रेन ने वर्ष 1960 से 2010 के मध्य व अगले 50 सालों तक वन प्रबंधन में परियोजना निर्माण व वैश्विक पर्यावरण की स्थिति पर विचार रखे। सम्मेलन में सतत विकास एवं गरीबी उन्मूलन केंद्र (इलाहाबाद) के प्रतिनिधि डा. डीएन तिवारी, डा. माइकल, विजय शर्मा आदि ने विचार रखे। पहले दिन दो तकनीकी सत्र, तीन उप सत्रों में 30 प्रस्तुतीकरण भी दिए गए।

 

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