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सतत उन्नयन किसी भी संस्था के लिए आवश्यक : सुनील अरोड़ा, भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त

नई दिल्ली: भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा ने कहा है कि विश्व में परिवर्तनशील प्रौद्योगिक के अनुरूप बनने के लिए किसी भी संस्थान में सभी दृष्टि से निरंतन उन्नयन आवश्यक है। श्री अरोड़ा आज चंडीगढ़ में स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़ में नए अकादमिक सत्र के उद्घाटन अवसर पर “रोड अहेड-अपॉरच्यूनिटी एडं चैलेंजेज” विषय पर बोल रहे थे। जनवरी में पीजीआईएमईआर का अकादमिक सत्र प्रारंभ होता है। संस्थान प्रत्येक वर्ष विभिन्न विशेषज्ञता के विषयों में 400 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों तथा विभिन्न 50 विभागों में सुपर स्पेशलटीज में विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करता है। उन्होंने एनआईआरएफ (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचा), 2018 में मेडिकल कॉलेजों में दूसरा रैंक प्राप्त करने के लिए पीजीआई को बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्पर्धा के इस युग में किसी भी संस्थान को समय से आगे रहने के लिए स्वयं का सतत उन्नयन करना होगा।

उन्होंने कहा कि भविष्य की औषधि अधिक सम्मानजनक तरीके से मानव शरीर  का इलाज करेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ इसमें अपनी भूमिका निभाएगा।

श्री अरोड़ा ने मेडिकल विद्यार्थियों से चुनौती के समय भी अपना नैतिक मनोबल ऊंचा बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विचार विश्व में शासन करते हैं। उन्होंने कहा कि हम पहुंच और संसाधन के मामले में उतना सीमित नहीं हैं, जितना कि अपनी कल्पना के मामले में सीमित है।  श्री सुनील अरोड़ा ने कहा है कि आज की औषधि बीते कल का अनुसंधान है और आज का अनुसंधान कल की औषधी बन जाएगा। इसलिए लीक से हटकर सोचने की जरूरत है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि पीजीआईएमईआर का 50 वर्ष पुराना गौरवशाली इतिहास है। सवाल यह है कि आज से 10, 20 या 50 वर्षों में हम कहां देखते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान नेतृत्व की दूरदृष्टि, संकल्प तथा उत्साह इस बात का निर्धारण करेगा। पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के निदेशक प्रो. जगत राम ने भी समारोह को संबोधित किया।

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