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आयुष क्षेत्र “आयुष ग्रिड” और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए कुशल, समग्र, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगा

जी-20 में भारत की अध्यक्षता के अंतर्गत दूसरे स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक के दूसरे दिन, डिजिटल स्वास्थ्य और इनोवेशन का लाभ उठाते हुए यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के लिए नागरिक केंद्रित हेल्थ डिलिवरी इकोसिस्टम पर एक महत्वपूर्ण विचार-मंथन सत्र हुआ। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने एक इतर समारोह में उद्घाटन भाषण देते हुए संयुक्त राष्ट्र निकायों के मार्गदर्शन और समर्थन से पारंपरिक चिकित्सा “आयुष ग्रिड” के लिए व्यापक आईटी बैकबोन के जरिए और पारंपरिक चिकित्सा में एआई की बेंचमार्किंग सुनिश्चित करते हुए सेवा वितरण के एक एकीकृत समग्र स्वास्थ्य सेवा मॉडल पर जोर दिया।

वैद्य कोटेचा ने कहा कि न केवल स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की दक्षता और नतीजों के लिए डिजिटल उपकरणों के इस्तेमाल की हिमायत करने की जरूरत है, बल्कि मेडिकल रिकॉर्ड को बनाए रखने, सूचनाओं का आदान-प्रदान करने और स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न प्रकारों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने की भी जरूरत है। स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न प्रकारों में औषधीय-चिकित्सीय हस्तक्षेप, पारंपरिक चिकित्सा आधारित दृष्टिकोण और अन्य नवाचार शामिल हैं लेकिन ये इन्हीं तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में डब्ल्यूएचओ के आगामी पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक केंद्र का एक कार्य पारंपरिक चिकित्सा में डेटा विश्लेषण और प्रौद्योगिकी पर काम करने का है। ये आने वाले भविष्य में पारंपरिक चिकित्सा में डेटा और प्रौद्योगिकी के प्रवाह के लिए पर्याप्त होगा।

सचिव कोटेचा ने डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम के निर्माण पर पैनल चर्चा में भी हिस्सा लिया जिसका विषय था सामंजस्यपूर्ण और कुशल स्वास्थ्य-डेटा शासन ढांचे की ओर बढ़ना। उन्होंने डिजिटल स्वास्थ्य के इस महत्वपूर्ण पहलू के बारे में बात की जो लगातार बढ़ रहा है और पारंपरिक चिकित्सा सहित स्वास्थ्य सेवा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग सर्वव्यापी होता जा रहा है।

श्री कोटेचा ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा में इनके सुरक्षित, प्रभावी उपयोग के लिए बेंचमार्क, दिशानिर्देशों और नीतियों के विकास के साथ तालमेल बैठाने की जरूरत है। पारंपरिक चिकित्सा में एआई की बेंचमार्किंग और विश्व स्वास्थ्य संगठन व अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ जैसे संयुक्त राष्ट्र निकायों के मार्गदर्शन और समर्थन को सुनिश्चित करने के लिए आयुष मंत्रालय पारंपरिक चिकित्सा पर एक विषय समूह का नेतृत्व कर रहा है जो कि स्वास्थ्य के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर फोकस ग्रुप (एफजी-एआई4एच) का हिस्सा है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 जिसमें टेक्नोलॉजी (ई-हेल्थ, एम-हेल्थ, क्लाउड, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, वियरेबल्स आदि) की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना की गई है, उसके आधार पर आयुष मंत्रालय ने आयुष ग्रिड की कल्पना की है, जो आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के सिद्धांतों के अनुरूप है। ये भारत में पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक व्यापक आईटी बैकबोन है और इसे एक सुरक्षित और इंटरऑपरेबल डिजिटल इकोसिस्टम के माध्यम से सभी को कुशल, समग्र, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए आयुष क्षेत्र के कायापलट के विजन के साथ बनाया गया है। ये आयुष ग्रिड चार स्तरों पर काम करता है – कोर लेयर, नेशनल लेयर, स्टेट लेयर और सिटीजन एक्सेस। इससे सभी हितधारकों के बीच निर्बाध डिजिटल जुड़ाव सुनिश्चित होता है।

जी-20 की भारतीय अध्यक्षता में स्वास्थ्य कार्य समूह की दूसरी बैठक वर्तमान में पणजी, गोवा में 17 से 19 अप्रैल, 2023 तक चल रही है। इसमें 19 जी-20 सदस्य देशों, 10 आमंत्रित राज्यों और 22 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के 180 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। आयुष मंत्रालय ने स्वास्थ्य कार्य समूह की दूसरी बैठक के मौके पर डिजिटल स्वास्थ्य पर आयोजित प्रदर्शनी में एक स्टॉल लगाया है।

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