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धर्मेंद्र प्रधान ने भुवनेश्वर में आईआईटी परिषद की 55वीं बैठक की अध्यक्षता की

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने भुवनेश्वर में आईआईटी परिषद की 55वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में सभी आईआईटी के अध्यक्ष और निदेशक शामिल हुए।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आईआईटी देश के युवाओं के लिए आकांक्षाओं का केंद्र हैं इसलिए इसके छात्रों को नौकरी निर्माता बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए। श्री प्रधान ने जोर देकर कहा कि आईआईटी मुख्य रूप से लोक कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने का समय आ गया है कि आईआईटी देश के बहुआयामी विकास का मुख्य कारक बने। आईआईटी को बड़े पैमाने पर सामाजिक मुद्दों का समाधान करना चाहिए और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य समाधान अपनाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आईआईटी को छात्रों के लिए हर संभव सहायता प्रणाली दी जानी चाहिए और सभी प्रकार के भेदभाव के लिए जीरो टॉलरेंस को अपनाना चाहिए। आईआईटी में छात्रों को बिना किसी भेदभाव के नए भारत का चेहरा और वैश्विक नागरिक बनने के लिए तैयार होना चाहिए।

बदलते वैश्विक परिदृश्य और 2047 तक एक विकसित देश के रूप में आत्मनिर्भर भारत के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के संदर्भ में, परिषद ने आईआईटी के लिए अगले 25 वर्षों के दृष्टिकोण के विकास की आवश्यकता पर चर्चा की। परिषद ने निर्णय लिया कि प्रत्येक आईआईटी संकाय, छात्रों और अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करेगा और अगले वर्ष तक उनकी दूरदर्शी सोच को अंतिम रूप देगा। परिषद देश की तात्कालिक जरूरतों के लिए एक अल्पकालिक रणनीति योजना भी बनाएगी।

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास मेला हर साल वार्षिक आधार पर आयोजित किया जाना चाहिए और यह मेला निश्चित तिथियों पर आयोजित किया जाता है, जो विश्व स्तर पर पहचानने योग्य बनना चाहिए। आरएंडडी मेला देश के सभी छात्रों के लिए खुला होना चाहिए, जहां सभी छात्र चुनौतियों और प्रतियोगिताओं में भाग ले सकें और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।

परिषद ने रिक्तियों को जल्द से जल्द भरने के तरीकों पर चर्चा की।

उन्होंने पीएम रिसर्च फेलोशिप के सकारात्मक प्रभाव और कार्यक्रम के विस्तार के प्रस्ताव पर भी चर्चा की।

सहयोग, अनुसंधान अनुवाद की दृष्टि से, परिषद ने चर्चा की कि IIT के लिए सार्वजनिक / निजी संस्थाओं के साथ घनिष्ठ जुड़ाव उपयोगी होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नए युवा फैकल्टी को देश में अनुसंधान का नेतृत्व करने के लिए पर्याप्त सहयोग मिले।

गांधीनगर स्थित आईआईटी के निदेशक ने छात्रों में अवसाद के पीछे संभावित अंतर्निहित सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में बात की। परिषद ने आईआईटी में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक विभिन्न उपायों पर चर्चा की। परिषद ने एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली, मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाओं को बढ़ाने, छात्रों पर परीक्षा के दबाव को कम करने और छात्रों के बीच विफलता/अस्वीकृति के डर को कम करने के महत्व पर प्रकाश डालने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। श्री प्रधान ने आत्महत्या की हाल की घटनाओं पर अपना दर्द व्यक्त किया और संस्थानों में भेदभाव के लिए एक मजबूत जीरो टॉलरेंस तंत्र विकसित करने सहित छात्रों को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने में निदेशकों से सक्रिय होने का आग्रह किया।

परिषद में शिक्षा के दौरान छात्रों के स्कूल छोड़ने के कारणों पर चर्चा की गई। श्री प्रधान ने कहा कि छात्रों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कई विकल्पों को चुनने की अनुमति है। उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग को इस मामले पर एक और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने और समय पर मामले पर चर्चा करने का निर्देश दिया।

परिषद अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों को सहायता देने पर भी सहमत हुई। परिषद ने महिला पीएचडी छात्रों के लिए सहयोग की अवधि को एक और वर्ष बढ़ाने का भी निर्णय लिया।

परिषद ने आईआईटी में 4 वर्षीय बीएड (आईटीईपी) कार्यक्रम शुरू करने के प्रस्तावों पर चर्चा की। श्री प्रधान ने जोर देकर कहा कि आईआईटी शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक मजबूत स्तंभ हो सकते हैं।

परिषद ने ग्रामीण भारत में छात्रों तक पहुंचने के लिए भाषा की बाधाओं को दूर करने और तकनीकी स्थितियों सहित क्षेत्रीय भाषाओं में निर्देश उपलब्ध कराने के उपायों पर चर्चा की। एआईसीटीई के अध्यक्ष डॉ. टी. जी. सीताराम, ने एआईसीटीई द्वारा तकनीकी पुस्तकों के अनुवाद में प्रगति और प्रयासों के लिए विकसित उपकरणों पर भी प्रकाश डाला। जैसा कि एनईपी 2020 में परिकल्पना की गई थी, इंजीनियरिंग संस्थान, जैसे आईआईटी, अधिक कला और मानविकी के साथ अधिक समग्र और बहु-विषयक शिक्षा की ओर बढ़ेंगे। परिषद ने बहु-विषयक कार्यक्रम शुरू करने के लिए कई आईआईटी के प्रयासों पर चर्चा की और उनकी सराहना की।

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने अमृत काल में आईआईटी के लिए विजन 2047 तैयार करने का भी आह्वान किया। इस दृष्टि से, उन्होंने सुझाव दिया कि, आईआईटी अपने छात्रों को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी सृजक के रूप में तैयार करने के बारे में सोचे।

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश के सभी छात्रों और युवाओं को हमारी पैतृक भारतीय वैज्ञानिक ज्ञान प्रणाली सहित ज्ञान संसाधनों तक पहुंच प्रदान करते हुए एक डिजिटल पुस्तकालय विकसित करने के महत्व पर प्रकाश डाला।

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