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धर्मेन्द्र प्रधान ने वैज्ञानिक समुदाय को “भारत के लिए नवाचार” का मंत्र दिया; वैज्ञानिकों से भारत के लिए प्रतिस्पर्धात्मक लाभ अवसर जुटाने का आह्वान किया

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने वैज्ञानिक समुदाय से भारत के लिए नवाचार (आई4आई) करने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के वास्ते प्रतिस्पर्धात्मक लाभ अवसर जुटाने की अपील की है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयों द्वारा आयोजित किए जा रहे 6वें भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2020 की शुरुआत से पहले एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री प्रधान ने यह बात कही। उन्होंने वैज्ञानिकों से ऐसे उत्पादों और सेवाओं का निर्माण करने का आह्वान किया, जो विश्व में सर्वोत्तम प्रतिस्पर्धा कर सकें। इस आयोजन का विषय -“आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक कल्याण” था।

किसी भी समाज के विकास में विज्ञान और नवाचार की भूमिका को रेखांकित करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि, कोविड-19 महामारी ने एक बार फिर से प्रदर्शित किया है कि, हमें सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक ज्ञान तथा नवाचार में अपनी संस्थागत एवं औद्योगिक क्षमता को विकसित और मजबूत करना है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मानिर्भर भारत’ के विज़न को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि एक आत्मनिर्भर भारत एक ऐसा भारत है जो न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी यह आशा की किरण है और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना के अनुरूप है।’

श्री प्रधान ने कहा कि, आर्थिक विकास और सामाजिक लाभ के लिए विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग के बिना आत्मनिर्भरता हासिल करने में भारत का प्रयास संभव नहीं हो सकता है। शोध एवं विकास के एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से हम अत्याधुनिक उत्पादों और सेवाओं को विकसित कर सकते हैं। साथ ही हम मौजूदा प्रणालियों एवं प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बना सकते हैं। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से अपील की कि, वे उन्नत वैज्ञानिक अवधारणाओं और जांच के आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों के साथ गणित में काम करते हुए इनमें से कई प्रथाओं के रहस्यों को उजागर करने और वैज्ञानिक रूप से उन्हें स्थापित करने के लिए भारत की समृद्ध प्राचीन विरासत को एकीकृत करें।

अंतरिक्ष अन्वेषण, कृषि, फार्मा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रगति के लिए वैज्ञानिक समुदाय की सराहना करते हुए, श्री प्रधान ने उनसे वास्तविक जीवन उद्योग तथा सामाजिक समस्याओं को हल करने की दिशा में और भी अधिक काम करने की अपील की।

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