देश-विदेश

स्कूली बच्चों को नई खोज के लिए प्रोत्साहित करने का कदम नवाचार पिरामिड के आधार को विस्तार दे रहा है

कल्पनाशील दिमाग वाले बच्चे अपनी और आस-पास की समस्याओं के नए समाधान खोज सकते हैं। सरकार इस कल्पना को विस्तार देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और नवाचार पिरामिड की नींव को विस्तार दिया जा रहा है, जो कि बच्चों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आधार बनाकर दिन-प्रतिदिन की समस्याओं के समाधान ढूंढने के लिए प्रोत्साहित करता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) इस तरह के मौलिक विचारों का स्वागत करता है। इसके अलावा मेधावी छात्रों को जिला, राज्य, और राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी आयोजित करने के साथ-साथ सलाह प्रदान करने के लिए 10,000 रुपये की पुरस्कार राशि भी प्रदान की जाती है।

भारत में दूरदराज के इलाकों से लाखों बच्चे विभिन्न समस्याओं के नए-नए समाधान लेकर सामने आ रहे हैं-जिनमें सुरक्षित रसोई उपकरण, स्थायी-जैविक शौचालय और अपशिष्ट या कूड़ा प्रबंधन का समाधान शामिल है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने 2017 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशनराष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (एनआईएफ) के साथ मिलकर मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशन्स एंड नॉलेज (एमएएनएके) कार्यक्रम की शुरुआत की थी। वास्तव में यह ऐसे युवाओं के मन में वैचारिक शक्ति बढ़ाने पर जोर देता है, जो समस्याओं को पहचान सकते हैं और उनका समाधान ढूंढ सकते हैं।

देशभर में फैले क़रीब 6 लाख स्कूलों से कल्पनाशील दिमाग की शक्ति का दोहन करने के लिए, डीएसटी सरकारी और निजी स्कूलों के छात्रों को उनके नए मौलिक विचार भेजने के लिए आमंत्रित करता है। जिससे कि वे सामान्य जीवन में आने वाली कई समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर सकें।

इन विचारों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं तक पहुंचने से पहले स्कूल के स्तर पर, जिला और राज्य स्तर पर कठिन जांच और परीक्षण की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है।

कुछ बहुत ही उत्कृष्ट विचार अक्सर दूर-दूराज के स्थानों से आते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है, पिछले साल की पुरस्कार-विजेता सुलोचना काकोदिया का, जो कि मध्य प्रदेश में जिला छिंदवाड़ा में आश्रम बिछुआ के एक सरकारी विद्यालय में कक्षा 8 की छात्रा थी। उसने यह देखा कि शौचालय की हाथों से साफ-सफाई करने के कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए वह एक स्वचालित शौचालय सफाई मशीन विकसित करने का विचार लेकर आई। जिसमें शौचालय की सफाई के लिए प्रयोग होने वाले ब्रश शौचालय के भीतर ही लगा दिए जाते हैं, और वे स्वचालित रूप से घूम घूम कर शौचालय को साफ कर सकते हैं।

वहीं दूसरी तरफ दक्षिण अंडमान के नील द्वीप के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के 9वीं कक्षा के छात्र सयान अख्तर शेख के मन में एक निजी समस्या ने क्रांतिकारी विचार को जन्म दिया। उसने देखा कि जब उसकी मां एलपीजी सिलेंडर में लगी प्लास्टिक की टोपी को धागे से खोलने की कोशिश कर रही थी, तभी उसमें लगे नायलॉन के धागे से उनकी उंगली कट गई। अधिकांश घरों में सिलेंडर प्रयोग करने से पहले लोगों के सामने आने वाली इस समस्या का समाधान सयान ने ढूंढा और उसने एलपीजी सिलेंडर में लगी प्लास्टिक की सुरक्षा कैप निकालने के लिए एक ओपनर विकसित किया।

2019 में देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 3 लाख 80 हज़ार से अधिक छात्रों ने अपने विचार प्रस्तुत किए और यह संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। इनमें से, कुछ को प्राथमिक/शुरूआती स्तर पर विकास के लिए 10,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। आगे जिला स्तरीय प्रदर्शनी और परियोजना प्रतियोगिता- डीएलईपीसी और फिर राज्य स्तरीय प्रदर्शनी और परियोजना प्रतियोगिता- एसएलईपीसी की एक श्रृंखला के बाद उनमें से कुछ को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल कर उन्हें अपने विचारों का प्रदर्शन करने के लिए चुना जाता है।

इस साल 2020-21 के लिए ऑनलाइन नामांकन 1 जून 2020 से फिर से शुरू हो चुके हैं। चूंकि छात्र कोविड-19 की वजह से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, इसलिए डीएसटी ने उन्हें इस समय का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया है ताकि वे अपने नए-नए विचारों को ऑनलाइन पोर्टल www.inspireawards-dst.gov.in पर भेज सकें।

जैसा कि हम देख रहे हैं कि भारत, वैश्विक नवाचार सूचकांक में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार भी उन सभी युवाओं के बीच नवाचार की संस्कृति को लगातार बढ़ावा दे रही है, जो अपने नवोन्मेष विचारों के ज़रिये नए प्रयोग करने की हिम्मत कर रहे हैं। एक तरह से नवाचार का जो आंदोलन छिड़ गया है, वह देश के उज्ज्वल भविष्य के सपनों के साथ भारत के दूर-दराज के इलाकों में तेजी से फैल रहा है।

Related Articles

Back to top button