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किसान की बेटी ने किया एवरेस्ट फतह, 50 किमी रफ्तार से चली हवाएं भी नहीं तोड़ पाई हौसला

मध्यप्रदेश की बेटी मेघा परमार ने विश्व की सबसे ऊंची पहाड़ी एवरेस्ट को फतह करने में कामयाबी हासिल की है। 24 वर्षीय मेघा एक किसान की बेटी है। सीहोर जिले के उलझावन गांव के नजदीक स्थित भोजनगर की रहने वाली हैं।

मेघा को शुक्रवार को समिट पूरी होने के बाद एवरेस्ट बेस कैंप से काठमांडू शिफ्ट किया गया। मेघा के पिता दामोदार परमार किसान हैं और मां मंजू देवी गृहिणी हैं। मेघा को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने से पहले की ट्रेनिंग मध्यप्रदेश के पर्वतारोही रत्नेश पांडे ने दी थी।

सीहोर की मेघा ने एवरेस्ट पर चढ़ने की शुरुआत 18 मई को रात में कैंप नंबर 2 से की। बर्फ से ढंकी पहाड़ियों पर रातभर चढ़ाई कर वो सुबह कैंप नंबर 3 पहुंचीं। एवरेस्ट समिट के इस सफर में शेरपा और एवरेस्ट समिट ग्रुप के सदस्य रत्नेश पांडे भी शामिल थे। कैंप 3 में कुछ समय गुजारने के बाद उन्होंने आगे का सफर शुरू किया। एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने की जिद ने तेज बर्फीली हवाओं की बाधाओं को भी हरा दिया। 20 मई की रात मेघा को एवरेस्ट समिट के लिए कैंप-4 से रवाना होना था। तभी शाम को मौसम खराब हो गया।

करीब 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने लगीं। जो अगले दो दिन तक नहीं थमीं। इसके चलते मेघा 21 मई की दोपहर तक कैंप 4 में ही रुकने को मजबूर हुईं। दोपहर में हवा की रफ्तार सामान्य हुई तो रात में चढ़ाई शुरू कर 22 मई की सुबह 5 बजे मेघा ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। मध्यप्रदेश की पहली बेटी है जिसने माउंट एवरेस्ट को फतह किया जैसै ही वापस अपने मध्यप्रदेश आई तो प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी और खेलमंत्री जीतू पटवारी ने भी बधाई दी। source: oneindia

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