उत्तर प्रदेश

योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही व उदासीनता बरतने वाले अधिकारियों पर होगी कठोर कार्यवाही: धर्मपाल सिंह

लखनऊ: लघु सिंचाई विभाग प्रदेश की जल-जीवन रेखा है औरकृषि की उत्पादकता एवं गुणवत्ता सिंचाई पर आधारित है। इसलिए लघु सिंचाई साधनों और भूगर्भ जल संसाधनों का समुचित विकास, नियमन व संचयन सुव्यवस्थित ढंग से करने की आवश्यकता है। यह उद्गार प्रदेश के सिंचाई, सिंचाई (यांत्रिक) एवं लघु सिंचाई मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने आज विधान भवन के मुख्य भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ परिचयात्मक बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

श्री धर्मपाल सिंह ने गंभीर जल संकट से ग्रस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र एवं विन्ध्याचल क्षेत्र में प्राथमिकता के आधार पर चेकडैमों और तालाबों का निर्माण किये जाने के निर्देश लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों को दिये। उन्होंने अधिकारियों को क्षेत्रों में जाकर कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करने, और टेण्डर प्रक्रिया में नियमांे का पूर्ण अनुपालन करते हुए व्यवस्था को पारदर्शी बनाये रखने तथा बोरिंग कार्यों में धांधलेबाजी न होने देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि टेण्डर प्रक्रिया में कोई भी कमी आने पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जायेगा और संबंधित अधिकारी के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही की जायेगी।

लघु सिंचाई मंत्री ने विभागीय कार्यों एवं योजनाओं की जानकारी लेते हुए कहा कि निःशुल्क बोरिंग, मध्यम गहरी बोरिंग एवं गहरी बोरिंग आदि योजनाओं में लाभार्थियों का चयन ठीक से किया जाये एवं योजनाओं का सरलीकरण किया जाये ताकि अधिक से अधिक किसान लाभ उठा सकें। साथ ही यह ध्यान भी रखा जाये कि प्रत्येक जरूरतमंद को योजनाओं का सही लाभ मिल सके। विभाग के अधिकारी अपने महती दायित्वों को समझें और लघु सिंचाई कार्यों में किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही या उदासीनता न बरतें। उन्होंने कहा कि हर माह के प्रथम सप्ताह में मासिक बैठक कर संचालित कार्यों की समीक्षा की जाएगी।

लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल मंत्री ने कहा कि बरेली जनपद की आंवला विधानसभा क्षेत्र की महाभारत कालीन पीलिया नदी को चिन्हित कर उसका निरीक्षण एवं अध्ययन कर उसको पुनर्जीवित किये जाने के हर संभव प्रयास किए जायें। उन्होंने कहा कि पुराने तालाबों, पोखरों और झीलों को जिन्दाकिया जाय और वर्षा जल संरक्षण और उचित प्रबन्धन करने के साथ ही लोगों को जल संकट और जल संचयन के प्रति जागरूक किया जाये तथा जल प्रदूषण को रोका जाये।

बैठक में लघु सिंचाई विभाग के मुख्य अभियन्ता श्री डी.एन. शुक्ला ने मंत्री जी को विभागीय बजट, व्यय, ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग योजना, मध्यम, गहरे बोरिंग नलकूपों की कार्य योजना पिछले दो वर्षों में कराये गये कार्यों की प्रगति रिपोर्ट, अगले एक वर्ष में कराये जाने वाले कार्यों की योजना तथा एच.सी.पी. अनुदान की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में 114794 निःशुल्क बोरिंग, 4604 मध्यम गहरी बोरिंग, 1690 गहरी बोरिंग तथा 355 सामूहिक नलकूप लगाया जाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही 154 चेकडैमों का निर्माण तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्रमें 326 चेकडैम बनाये जायेंगे।

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