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जनजातीय लोगों के मूल अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए पेसा के कार्यान्वयन की बारीकी से समीक्षा करने की आवश्यकता है: अर्जुन मुंडा

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा और केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने आज नई दिल्ली में संयुक्त रूप से पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम(पेसा), 1996 के प्रावधानों पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव समारोह सप्ताह के भाग के रूप में राज्य सरकारों और सहयोगी संगठनों के साथ आयोजित किया गया।

इस अवसर पर श्री अनिल कुमार झा, सचिव जनजातीय कार्य मंत्रालय; श्री सुनील कुमार, सचिव, पंचायती राज मंत्रालय; विभिन्न राज्यों के जनजातीय कार्य और पंचायती राज विभागों के प्रधान सचिव; आईआईपीए, एनआईआरडी और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि जबकि पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो गर्व के इस क्षण में जनजातीय लोगों के मूल अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए, पेसा के 25 वर्ष पूरा होने पर इसके कार्यान्वयन की बारीकी से समीक्षा करने की तत्काल आवश्यकता है।

पेसा की भावना को रेखांकित करते हुए, मंत्री ने कहा कि हमारे देश में पंचायतीराज का मूल दर्शन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा गांवों की निर्भरता के लिए प्रदान की गई धारणा से प्राप्त होता है।उन्होंने कहा किपेसा जनजातीय लोगों के लिए जल, जंगल, जमीन के सिद्धांत की रक्षा करना चाहता है और यह आत्मनिर्भर भारत का आधार है।मंत्री  ने कहा कि स्वतंत्रता के इस 75वें वर्ष में हमें जनजातीय लोगों के लिए विकास के संदेश को फिर से लागू करने की आवश्यकता है, साथ ही उनकी पारंपरिक संस्कृति और मूल्य प्रणाली को भी बनाए रखना चाहिए।ac

मंत्री ने कहा कि पेसा के अंतर्गत ग्राम सभाओं का सुदृढ़ीकरण और सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है। उन्होंने बताया किजो भी प्रणाली विकसित की जाती है, उसे जनजातीय लोगों के परामर्श से किया जानी चाहिए और उसे जनजातीय प्रणाली के साथ समुचित एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, तभी इसका सफल कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है। श्री अर्जुन मुंडा ने जनजातीय लोगों के भूमि हस्तांतरण को रोकने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि उसके लिए एक सुव्यवस्थित डेटा बेस को कायम रखने की आवश्यकता है।

उन्होंने पेसा के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने के लिए नागरिक समाज और गैर सरकारी संगठनों को शामिल करने की आवश्यकता पर विशेष रूप से बल दिया, जिससे पेसा का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके, क्योंकि वे जनजातीय लोगों के सामने आने वाले जमीनी हकीकत और मुद्दों के बारे में अधिक जानकारी रखते हैं।मंत्री ने आगे कहा कि पेसा और एफआरए के बीच तालमेल होने की आवश्यकता है। उन्होंने पेसा के साथ-साथ वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन में बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए वन विभाग, पंचायती राज और जनजातीय कार्य के अधिकारियों को शामिल करते हुए एक संयुक्त सम्मेलन का आयोजन करने का भी आग्रह किया।

श्री अर्जुन मुंडा ने राज्यपालों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राज्यपाल अपने राज्य में संविधान के संरक्षक होते हैं और पेसा सहित जनजातीय लोगों के लिए संवैधानिक प्रावधानों को सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि वे इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।

मंत्रीजी ने निष्कर्ष निकाला कि जनजातीय लोगों के लिए हम जो भी उपाय करते हैं, उसमें एक समग्र और संतुलित दृष्टिकोण प्रतिबिंबित होना चाहिए।

श्री अनिल कुमार झा, सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के संदर्भ में, पेसा अधिनियम, 1996 के कार्यान्वयन पर यह सम्मेलन पंचायती राज मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।इस संबंध में दोनों मंत्रालयों को यह लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है कि कानून का अक्षरशः पालन किया जाए और इसके लिए यह आवश्यक है कि राज्यों और संघ के बीच सहयोग कायम हो।उन्होंने आगे कहा कि पेसा अधिनियम, 1996 के कार्यान्वयन में ग्राम सभा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और कोई भी अधिनियम तभी कामयाब हो सकता है जब जमीनी स्तर पर लोगों की इसमें भागीदारी हो।उन्होंने आगे कहा कि इस अधिनियम को सफल बनाने के लिए राजस्व विभाग, वन विभाग और जनजातीय विभाग के बीच सहयोग के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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