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विगत साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने भारतीय कृषि में मूलभूत बदलाव के लिए कई कदम उठाए और विभिन्न योजनाएं लागू कीं: राधा मोहन

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि पिछले साढ़े चार वर्षों में उनके मंत्रालय ने भारतीय कृषि में आमूल बदलाव और किसानों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं।

श्री सिंह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 57वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आज कहा कि इन महत्वपूर्ण निर्णयों में नीम लेपित यूरिया, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, हर खेत को पानी, ई-नाम. ग्रामीण हाटों को मजबूती, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसानों के लिए 6000 रुपये की वार्षिक सहायता, पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग और अलग से मत्स्य विभाग का गठन जैसी बातें शामिल हैं, जो आने वाले दिनों में कृषि क्षेत्र में मूलभूत परिवर्तन लाएंगी। उन्होंने कहा कि 2019-20 के लिए बजट में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का आवंटन 2018-19 के बजट में आवंटित 58,080 करोड़ रुपये की तुलना में ढ़ाई गुना बढ़ाकर 1,41,174.37 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह आवंटन 2009 और 2014 के बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में आवंटित किए गए 1,21,082 करोड़ रुपये से 16.6 प्रतिशत अधिक है।

कृषि मंत्री ने कहा कि 2050 तक देश की आबादी बढ़कर एक अरब 66 करोड़ हो जाएगी। ऐसे में देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में अपार संभावनाएं मौजूद हैं। इसी उद्देश्य के साथ झारखंड में 27 जनवरी, 2019 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रशासनिक और शैक्षणिक भवन का उद्घाटन किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 28 जून, 2015 को इस भवन की आधारशिला रखी थी। श्री सिंह ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की इकाई असम में भी जल्दी काम करना शुरू कर देगी।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित उन्नत फसल किस्मों और तकनीक ने भारतीय अर्थव्यवस्था तथा किसानों को समृद्ध और सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्थान द्वारा विकसित पूसा बासमती 1121 ने पिछले दस वर्षों में 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा अर्जित की है। हाल ही में पूसा बासमती 1121 का बेहतर संस्करण पूसा बासमती 1718 के नाम से विकसित किया गया है, जो कि पत्ती के झुलसा रोग के लिए प्रतिरोधी किस्म है। इसी तरह संस्थान ने गेहूं की एचडी 2967 और एचडी 3086 किस्में विकसित की है, जो कि देश के गेहूं उत्पादन क्षेत्र के 10 मिलियन हेक्टयर क्षेत्र में उगाई जाती है। गेहूं और धान के अलावा मक्का, अरहर, सब्जियों, फूलों और अन्य फसलों की उच्च पैदावार, रोग प्रतिरोधी और पोषक तत्वों से समृद्ध किस्में विकसित करने में भी सराहनीय प्रगति हुई है।

उन्होंने नीम लेपित यूरिया विकसित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की सराहना की। यह बिना लेपित यूरिया की अपेक्षा 10 प्रतिशत नाइट्रोजन उपयोग दक्षता को बढ़ाती है। इसके प्रयोग से किसान 10 प्रतिशत यूरिया की बचत कर रहे हैं। कृषि मंत्री ने बताया कि आईएआरआई-पोस्ट ऑफिस लिंकेज एक्सटेंशन मॉडल आई.ए.आर.आई. प्रौद्योगिकियों के विस्तार कार्यक्रम में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। “मेरा गाँव मेरा गौरव” पहल के तहत, संस्थान ने दिल्ली-एनसीआर में और आसपास के 600 से अधिक गाँवों को गोद लिया है, जहाँ वैज्ञानिक नियमित रूप से किसानों के साथ प्रौद्योगिकी साझा करते हैं।

सम्बोधन के अंत में माननीय कृषि मंत्री ने कहा “मैं संस्थान के वैज्ञानिकों, छात्रों और अन्य सभी स्टाफ सदस्यों द्वारा अनुसंधान व प्रौद्योगिकी विकास को आगे बढ़ाने में प्रदत्त योगदान की सराहना करता हूं।

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