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कम-कार्बन, हरित और जलवायु अनुकूल शहरी अवसंरचना समय की जरूरत: उपराष्‍ट्रपति

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति श्री एम. वैंकेया नायडू ने शहरी योजनाकारों का आह्वान किया है कि वे सौर ऊर्जा का उपयोग करने, हरे-भरे क्षेत्रों को बढ़ाने और जल संरक्षण को शहरी योजना का महत्‍वपूर्ण अंग बनाएं। इसके लिए शहरी योजनाकार सतत उपाय करें।

दक्षिण दिल्‍ली नगर निगम के सहयोग से इंटरनेशनल काउंसिल फॉर लोकल एनवायरनमेंटल इनिशिएटिव (आईसीएलईआई) द्वारा आयोजित चौथी रेजिलियंट सिटीज एशिया-पैसिफिक (आरसीएपी) कांग्रेस 2019 का आज नई दिल्ली में उद्घाटन करते हुए उन्‍होंने नगर निकाय प्रशासकों से कहा कि वे वृक्षारोपण, ठोस कचरा प्रबंधन और जल स्रोतों के संरक्षण को प्राथमिकता दें। उल्‍लेखनीय है कि इस कांग्रेस में लगभग 30 देशों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्‍सा लिया।

ग्रामीण इलाकों से शहरी इलाकों की तरफ होने वाले पलायन के मद्देनजर उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि शिक्षा, मनोरंजन, उन्‍नत चिकित्‍सा सुविधाओं और रोजगार के कारण पलायन होता है। उन्‍होंने राज्‍य सरकारों और केंद्र सरकार से कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं प्रदान करके इस अंतराल को कम करने के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए।

श्री नायडू ने कहा कि आर्थिक विकास के लिए पर्यावरण सुरक्षा पर भी ध्‍यान देना जरूरी है। इसके लिए जीवाश्‍म ईंधन पर निर्भरता कम करना चाहिए और सौर ऊर्जा जैसे ऊर्जा के नए स्रोतों की संभावना खोजी जानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि विकास के लिए हमको नए तौर-तरीके खोजने होंगे।

उपराष्‍ट्रपति ने विभिन्‍न देशों के राज्‍यों और शहरों के सभी प्रतिनिधियों का आह्वान किया कि वे बहुआयामी तथा अभिनव उपाय करें, ताकि कम उत्‍सर्जन के आधार पर विकास संभव हो। उन्‍होंने शहरों में जाम की स्थिति और वायु प्रदूषण में कमी लाने के लिए जन यातायात को प्रोत्‍साहन देने का आग्रह किया।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि हरित अवसंरचना समय की मांग है। इसलिए जलवायु अनुकूल शहरी विकास के लिए स्रोत कुशलता को प्रोत्‍साहन दिया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि विकास के पारंपरिक पैमानों से हटकर नई शहरी अवसंरचना तैयार की जाए जो कम कार्बन वाली हो और हरित तथा जलवायु अनुकूल हो। उन्‍होंने कहा कि दुनिया भर में उत्‍कृष्‍ट व्‍यवहारों को अपनाकर शहरी ठोस अवशिष्‍ट को सम्‍पदा में बदलने के उपाय किए जाने चाहिए। उन्‍होंने कहा कि हमें अपनी सांस्‍कृतिक जड़ों से प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें अपने पारंपरिक मूल्यों से भी प्रेरणा लेनी चाहिए जो प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने की सीख देते हैं। उन्‍होंने कहा कि हरित उपाय, सुशासन और जलवायु अनुकूल अवसंरचना के जरिए हम आगे बढ़ सकते हैं।

बढ़ते हुए जलवायु परिवर्तन के परिणामस्‍वरूप मानव गतिविधियों के विभिन्‍न पक्षों, विशेषकर कृषि के हवाले से श्री नायडू ने कहा कि योजनाकारों को जलवायु परिवर्तन त‍था विकास रणनीतियों पर पड़ने वाले उसके प्रभावों को ध्‍यान में रखना होगा। उन्‍होंने कहा कि भविष्‍य में जलवायु संबंधी जोखिमों को कम करने के उपाय किए जाने चाहिए।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि विश्‍व की 60 प्रतिशत आबादी एशिया में रहती है और यह क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्‍यादा प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि इस बात को ध्‍यान में रखकर एशियाई देशों की सरकारों को हर तरह की जलवायु बर्दाश्‍त करने वाले मकान बनाने चाहिए। उन्‍होंने कहा कि एशियाई शहरों को जैव-विविधता से भरपूर और स्वस्‍थ तथा कारगर इको-प्रणालियों पर जोर देना चाहिए। शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्‍तर तक पहुंच रहा है, जिससे निपटने के लिए स्‍वच्‍छ और हरित प्रौद्योगिकियों को प्रोत्‍साहन देना चाहिए।

इस अवसर पर भारत में स्विट्जरलैंड की उपराजदूत सुश्री तमारा मोना, भारत और भूटान के लिए यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के उप-प्रमुख श्री रायमंड मैगिस, आईसीएलईआई के उप-महासचिव श्री ईमानी कुमार, दक्षिण दिल्ली नगर-निगम के आयुक्‍त श्री पुनीत कुमार गोयल, भूटान, जापान, स्विट्जरलैंड, मलेशिया, नेपाल, मंगोलिया, वियतनाम, यूरोपीय संघ, चीन जैसे देशों के शहरी योजनाकार तथा महापौर सहित अन्‍य विशिष्‍टजन उपस्थित थे।

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