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शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा में प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया: एनडीईएआर

शिक्षक पर्व के उत्सव के हिस्से के तौर पर शिक्षा मंत्रालय 5से 17सितंबर 2021के दौरान अलग-अलग विषयों पर 9-दिवसीय वेबिनार का आयोजन कर रहा है। आज के वेबिनार की थीम “शिक्षा में प्रौद्योगिकी: एनडीईएआर”थी। शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव श्रीमती अनीता करवाल और एनआईसी के उप महानिदेशक (डीडीजी) श्री राजेंद्र सेठी ने इस वेबिनार की शोभा बढ़ाई।

इस अवसर पर श्रीमती अनीता करवाल ने कहा कि यूनेस्को द्वारा 8सितंबर अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस घोषित किया गया ताकि व्यक्तियों, समुदायों और समाजों के लिए साक्षरता के महत्व और ज्यादा साक्षर समाजों के लिए गहन प्रयासों की जरूरत की याद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दिलाई जा सके।

श्रीमती करवाल ने बताया कि साल 2021के लिए विश्व साक्षरता दिवस की थीम है ‘मानव-केंद्रित वापसी के लिए साक्षरता: डिजिटल खाई को दूर करना’ और आज नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर (एनडीईएआर) पर वेबिनार आयोजित इसलिए किया गया है क्योंकि डिजिटल साक्षरता के लक्ष्य को हासिल करने में इसका मजबूतसंबंधहै। उन्होंने कहा कि एनडीईएआर दरअसल एनईपी के सुझाव पर आधारित उत्पाद है जिसका उद्देश्‍य स्कूली शिक्षा में लचीलापन लाना है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने एनईपी 2020के कार्यान्वयन के उद्देश्य से शिक्षा के क्षेत्र में पांच प्रमुख पहल शुरू की हैं और अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने शिक्षा में एनडीईएआर के महत्व पर प्रकाश डाला है तथा इसकी तुलना यूपीआई द्वारा हमारे देश में वित्तीय लेनदेनों में लाई गई क्रांति से की है।

श्रीमती करवाल ने इस बात पर जोर दिया कि आज कीआपस मेंजुड़ी हुई दुनिया डिजिटल तकनीक से संचालित है, इसलिए साक्षरता की परिभाषा में डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता और ‘ईज़ ऑफ लिविंग’ के लिए जरूरी ऐसी ही दूसरी जीवन कौशलशामिल हैं। उन्होंने जोर दिया कि हमारा लक्ष्य नागरिकों की शतप्रतिशत साक्षरता हासिल करने का होना चाहिए।

अपने संबोधन की शुरुआत में श्री सेठी ने एनडीईएआर की एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि दी। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में चुनौतियां काफी विविधव, जटिल हैं और उनके लिए विविधता वाला दृष्टिकोण चाहिए। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण सार्वभौमिक शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करने में प्रौद्योगिकी को एक सक्षमकर्ता माना जाता है। उन्होंने आगे कहा कि इस महामारी ने दिखाया है कि तकनीकी समाधान कारगर हैं और छात्र, शिक्षक, माता-पिता जैसे इसके हितधारक काफी कम समय में प्रौद्योगिकी के अनुरूप ढल जाते हैं। उन्होंने कहा कि एक प्रौद्योगिकी रूपरेखा, आर्किटेक्चर और ऐसे इकोसिस्टम वाले दृष्टिकोण की जरूरत है जो विभिन्न हितधारकों को इसमें हिस्सा लेने और बहुत तेजी से समाधान तैयार करने दे सके ताकि हमारे युवाओं को उनकी क्षमता पाने के लिएसमर्थन दिया जा सके।

शिक्षा मंत्रालय में डिजिटल शिक्षा के निदेशक श्री रजनीश कुमार ने उल्लेख किया कि ये नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर दरअसल एक एकीकृत राष्ट्रीय डिजिटल ढांचा बनाने के दृष्टिकोण के साथ आता है ताकि शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को सक्रिय और उत्प्रेरित किया जा सके। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एनडीईएआर विद्यार्थियों और शिक्षकों को समाधान प्रदान करते हुए सीखने के नतीजे हासिल करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने इस पर जोर दिया कि खुले नवाचार को बढ़ावा देने के साथ-साथ शिक्षा के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को अंतरसंक्रियता, डेटा गवर्नेंस, डेटा गुणवत्ता, डेटा मानक, सुरक्षा और गोपनीयता जैसे पहलुओं पर दीर्घकालिक नजरिया अपनाने की जरूरत है।

इसके बाद तीन शिक्षकों ने शिक्षा में प्रौद्योगिकी को अपनाने की अपनी यात्राओंको लेकर संक्षिप्त प्रस्तुति दी:

  1. डॉ. संजय कुमार, जीपीएस कुफ्तू जिला, हिमाचल प्रदेश
  2. सुश्री प्रतिमा सिंह, 2017की राष्ट्रीय आईसीटी पुरस्कार विजेता, प्रधान शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय धुसा, बलरामपुर, उत्तर प्रदेश
  3. श्री एस साइमन पीटर पॉल, राष्ट्रीय आईसीटी पुरस्कार विजेता, पीएसटी जीएचएस, अरियारकुप्पम, पुदुचेरी

ये वेबिनार सभी पैनलिस्टों, प्रतिभागियों और दर्शकों को औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव देने के साथ संपन्न हुआ।

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