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नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले 7-8 सालों में शासन-प्रणाली को बिल्कुल नया दृष्टिकोण देने की कोशिश की है: डॉ. जितेंद्र सिंह

जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आज यहां तीसरे क्षमता निर्माण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, एमओएस पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले 7 से 8 वर्षों में शासन-प्रणाली को बिल्कुल नया दृष्टिकोण देने की कोशिश की है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा किए गए सभी सुधार न केवल शासन-प्रणाली में सुधार हैं बल्कि वे बड़े सामाजिक सुधार भी हैं जो आने वाली पीढ़ियों को समान अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा मई 2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद साफ हो गई थी जब पहले बड़े फैसलों में स्व-सत्यापन शुरू करना और राजपत्रित अधिकारी से दस्तावेजों को प्रमाणित करने की जरूरत को समाप्त कर दिया गया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, तब से मोदी सरकार ने भर्ती के लिए साक्षात्कार को समाप्त करने सहित लगभग 1500 उन नियमों को हटा दिया है जिनकी उपयोगिता नहीं रह गई थी। उन्होंने कहा कि कार्मिक मंत्रालय ने शासन-प्रणाली को सुव्यवस्थित किया है और इसे समयबद्ध बनाया है।

जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, कैडर समीक्षा कई वर्षों से लंबित थी क्योंकि पहले की सरकारें इसके बारे में कभी उत्सुक नहीं थीं। हालांकि, अब जेकेएएस अधिकारियों को आईएएस में नियमित रूप से शामिल करने को सुनिश्चित करने की कवायद शुरू की गई है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, जम्मू-कश्मीर में अभी भी स्वीकृत कुल संख्या की तुलना में आईएएस अधिकारियों की संख्या बहुत कम है। इस स्थिति को फिर से प्राप्त करने की आवश्यकता है ताकि सिविल सेवकों को प्रेरित किया जा सके।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले हम क्षमता नहीं होने के राग अलापते हुए आनंद में जी रहे थे लेकिन वास्तविकता यह है कि क्षमता और समार्थ्य हमेशा से थी, लेकिन अब इसकी उपयोगिता का एहसास हो रहा है क्योंकि वर्तमान सरकार में पिछले 7-8 वर्षों में कार्य संस्कृति बदल गई है।

14 से 25 मार्च, 2022 तक 12-दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीसी), प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश से कुल 32 अधिकारी शामिल हुए।

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