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राष्ट्र की सेवा में ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने 25000 मीट्रिक टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन वितरण का महत्वपूर्ण पड़ाव पार किया

सभी बाधाओं को पार करते हुए और नए समाधान खोजने के लिए, भारतीय रेलवे देशभर के विभिन्न राज्यों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) पहुंचाकर राहत देने की अपनी यात्रा को जारी रखे हुए है।

राष्ट्र की सेवा में ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने 25000 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन वितरण का महत्वपूर्ण पड़ाव पार किया।

अब तक, भारतीय रेल देशभर के विभिन्न राज्यों में 1503 से अधिक टैंकरों में 25629 मीट्रिक टन से अधिक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन वितरित कर चुकी है।

उल्लेखनीय है कि अब तक 368 ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने अपनी यात्रा पूरी की है और विभिन्न राज्यों को राहत प्रदान की है।

इस प्रेस विज्ञप्ति के जारी होने तक, 30 टैंकरों में 482 मीट्रिक टन से अधिक तरल चिकित्सा ऑक्सीजन के साथ 7 लदी हुई ऑक्सीजन एक्सप्रेस चल रही है।

असम ने झारखंड से 4 टैंकरों में 80 मीट्रिक टन एलएमओ के साथ अपनी पांचवीं ऑक्सीजन एक्सप्रेस प्राप्त की।

ऑक्सीजन एक्सप्रेस के माध्यम से कर्नाटक में 3000 मीट्रिक टन से अधिक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) उतारी गई है।

यह उल्लेखनीय है कि ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने 42 दिन पहले यानी 24 अप्रैल को महाराष्ट्र में 126 मीट्रिक टन भार के साथ वितरण शुरू किया था।

भारतीय रेलवे का यह प्रयास है कि अनुरोधकर्ता राज्यों को यथासंभव कम से कम समय में अधिक से अधिक एलएमओ वितरित की जाए।

ऑक्सीजन एक्सप्रेस के जरिए ऑक्सीजन राहत उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, पंजाब, केरल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड और असम जैसे 15 राज्यों तक पहुंची है।

इस प्रेस विज्ञप्ति के जारी होने तक, महाराष्ट्र में 614 मीट्रिक टन, उत्तर प्रदेश में लगभग 3797 मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश में 656 मीट्रिक टन, दिल्ली में 5790 मीट्रिक टन, हरियाणा में 2212 मीट्रिक टन, राजस्थान में 98 मीट्रिक टन, कर्नाटक में 3097 मीट्रिक टन, उत्तराखंड में 320 मीट्रिक टन, तमिलनाडु में 2787 मीट्रिक टन, आंध्र प्रदेश में 2602 मीट्रिक टन, पंजाब में 225 मीट्रिक टन, केरल में 513 मीट्रिक टन, तेलंगाना में 2474 मीट्रिक टन, झारखंड में 38 मीट्रिक टन और असम में 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उतारी गई है।

अब तक ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने देशभर के 15 राज्यों के लगभग 39 शहरों/कस्बों में तरल चिकित्सा ऑक्सीजन को उतारा है। इनमें उत्तर प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, बरेली, गोरखपुर और आगरा, मध्य प्रदेश में सागर, जबलपुर, कटनी और भोपाल, महाराष्ट्र में नागपुर, नासिक, पुणे, मुंबई और सोलापुर, तेलंगाना में हैदराबाद, हरियाणा में फरीदाबाद और गुरुग्राम दिल्ली में तुगलकाबाद, दिल्ली कैंट और ओखला, राजस्थान में कोटा और कनकपारा, कर्नाटक में बेंगलुरु, उत्तराखंड में देहरादून, आंध्र प्रदेश में नेल्लोर, गुंटूर, ताड़ीपत्री और विशाखापत्तनम, केरल में एर्नाकुलम, तमिलनाडु में तिरुवल्लूर, चेन्नई, तूतीकोरिन, कोयंबटूर और मदुरै, पंजाब में भटिंडा और फिल्लौर, असम में कामरूप और झारखंड में रांची हैं।

भारतीय रेलवे ने ऑक्सीजन आपूर्ति स्थानों के साथ विभिन्न मार्गों की मैपिंग की है और राज्यों की किसी भी उभरती जरूरत के साथ खुद को तैयार रखा है। एलएमओ लाने के लिए राज्य भारतीय रेलवे को टैंकर प्रदान करते हैं।

देश को संकट से बाहर निकालने के लिए, भारतीय रेलवे पश्चिम में हापा, बड़ौदा, मुंद्रा और पूर्व में राउरकेला, दुर्गापुर, टाटानगर, अंगुल जैसे स्थानों से ऑक्सीजन उठा रही है और फिर इसे जटिल परिचालन मार्ग नियोजन परिदृश्यों में उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, पंजाब, केरल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और असम राज्यों में वितरित कर रही है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऑक्सीजन राहत सबसे तेज समय में पहुंचे, रेलवे ऑक्सीजन एक्सप्रेस मालगाड़ियों के संचालन में नए मानक और अभूतपूर्व बेंचमार्क बना रही है। लंबी दूरी के अधिकांश मामलों में इन महत्वपूर्ण मालगाड़ियों की औसत गति 55 किलोमीटर प्रति घंटा से ऊपर है। यह जरूरत की उच्चतम भाव के साथ उच्च प्राथमिकता वाले हरित गलियारे पर चल रही हैं। विभिन्न क्षेत्रों की परिचालन टीमें सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में चौबीसों घंटे काम कर रही हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ऑक्सीजन सबसे तेज संभव समय सीमा में पहुंचे। विभिन्न सेक्शनों में चालक दल बदलाव के लिए तकनीकी ठहराव को घटाकर 1 मिनट कर दिया गया है।

ऑक्सीजन एक्सप्रेस की तीव्र गति सुनिश्चित करने के लिए पटरियों को खुला और हाई अलर्ट में रखा जाता है।

यह सब इस तरीके से किया जाता है कि अन्य माल ढुलाई की गति भी कम न हो।

नई ऑक्सीजन एक्सप्रेस का चलना एक बहुत ही गतिशील अभ्यास है और आंकड़े हर समय अपडेट होते रहते हैं। अधिकांश लदी हुई ऑक्सीजन एक्सप्रेसों की देर रात अपनी यात्रा शुरू करने की उम्मीद है।

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