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माता-पिता को अपने बच्चों से बहुत अधिक अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, उन्हें अपनी पसंद का करियर चुनने दें: उप राष्ट्रपति

उप-राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने शनिवार को उन माता-पिता के प्रति अपनी असहमति व्यक्त की जो अपने बच्चों से बहुत अधिक अपेक्षा करते हैं और उन्हें प्रशासनिक अधिकारी या इंजीनियर बनने के लिए प्रेरित करते हैं, जबकि बच्चा वास्तव में संगीतकार या फोटोग्राफर बनना चाहता है।

उप-राष्ट्रपति ने शनिवार को उप-राष्ट्रपति निवास में उनसे मुलाकात करने वाले केरल के छात्रों के एक समूह से बात करते हुए कहा, “माता-पिता अपने बच्चों के माध्यम से अपना जीवन जीना चाहते हैं। यह सही बात नहीं है। जीवन के हर क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की जा सकती है।” ये छात्र तिरुवनंतपुरम में नेहरू युवा केन्द्र संगठन द्वारा आयोजित मन की बात क्विज़ प्रतियोगिता के विजेता थे।

श्री धनखड़ ने एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए नशीली दवाओं के दुरुपयोग को दुनिया के लिए खतरा बताया। उन्होंने नशे को मानवता के लिए चुनौती करार देते हुए कहा कि यह उन प्रतिभाओं को नष्ट कर देता है जो दुनिया को ऊंचे स्तर पर ले जाने की क्षमता रखती हैं।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के पीछे के कारकों पर प्रकाश डालते हुए उप-राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम अपने मूल सांस्कृतिक मूल्यों और पारिवारिक जीवन से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का भी आह्वान किया, जहां व्यक्ति मित्रता में विश्वास करता हो, सामुदायिक जीवन में विश्वास करता हो, परिवार में विश्वास करता हो और बड़ों का सम्मान करता हो।

श्री धनखड़ ने नशीली दवाओं की चुनौती पर सख्त रवैया अपनाने के लिए सरकार की सराहना करते हुए शासन से अपील की कि नशीले पदार्थों का कारोबार करने वालों के साथ सख्त रहें और नशीले पदार्थ के कारण पैसा कमाने वालों को बेनकाब करने से कभी न डरें।

उन्होंने नशीली दवाओं की लत से पीड़ित लोगों के प्रति सकारात्मक और स्वस्थ दृष्टिकोण का आह्वान करते हुए पीड़ितों के लिए परामर्श और नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना की वकालत की । उन्होंने कहा,“उस व्यक्ति पर लांछन न लगाएं, जिसने एक या दो बार नशीले पदार्थ का सेवन किया है।”

उप-राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार को आम आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन करार देते हुए कहा कि यह आपको अवसर की समानता से वंचित करता है और राष्ट्र के विकास में बाधा डालता है। श्री धनखड़ ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार के कड़े रुख पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि सत्ता के गलियारों को बिचौलियों से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है ।

उप-राष्ट्रपति ने हर घर जल, स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल हस्तांतरण जैसी कई जन-अनुकूल पहलों का उल्लेख करते हुए कहा, “समावेशिता आज अपने उच्चतम स्तर पर है और इसने हमारी अर्थव्यवस्था और समाज को बदल दिया है और प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाया है।”

उन्होंने विद्यार्थियों से हमेशा राष्ट्र को पहले रखने का आह्वान करते हुए उनसे संस्थानों की छवि खराब करने की कोशिश करने वालों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने को कहा।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री वी. मुरलीधरन भी उपस्थित रहे।

उप-राष्ट्रपति के भाषण का मूल पाठ इस प्रकार हैं…..

सभी को शुभ संध्या….

आज मैं जो कुछ भी हूं, मुझे बनाने में केरल के मानव संसाधनों का महत्वपूर्ण योगदान है। मेरी शिक्षिका, सुश्री रत्ना नायर, वह मेरी गुरु हैं, मैं उनके घर गया, मैं और मेरी पत्नी, हम दोनों उनके घर गए और उनके चरण स्पर्श किये। वह मेरी क्लास टीचर थीं, मेरी हाउस टीचर थीं, बेहद प्रतिभाशाली थीं, लेकिन बहुत सख्त स्वभाव की थीं और वह उसी डाइनिंग टेबल पर भोजन करती थीं, जहां मैं बैठता था, मैं उनका बहुत आभारी हूं। आपके राज्य में समृद्ध मानव संसाधन हैं, जिसने वैश्विक स्तर पर असर डाला है। जब स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा की बात आती है, तो आपके मानदंड बहुत ऊंचे होते हैं, विशेष रूप से आपका शहर वैश्विक दृष्टि वाले महान लोगों की ऊर्जा का केन्द्र है।

उन्होंने कहा, “हम विजयी होने के दौर में हैं, ये ऐतिहासिक है, मैं पहली बार 1989 में संसद के लिए चुना गया था, आपमें से कुछ लोगों का तो जन्म भी नहीं हुआ होगा। मैं संसदीय कार्य मंत्री था, तब हमने क्या-क्या सपने नहीं देखे थे, क्या-क्या हो रहा है हम सोच नहीं सकते थे फिर भी, वही अब हो रहा है। हर तरफ देखें, भारत का उत्थान हो रहा है, और यह उत्थान ऐतिहासिक है, जिस तरह की उपलब्धियां हमने हासिल की हैं, वह आश्चर्यजनक हैं, पूरी दुनिया हमारे विकास, हमारी सड़कों, हमारे राजमार्गों, हमारी ट्रेनों, हमारी डिजिटल कनेक्टिविटी, हमारी प्रगति के बारे में जानकर हैरान है। डिजिटल लेन-देन और यदि आप प्रधानमंत्री संग्रहालय में जाते हैं, तो आपको दिल छू लेने वाले अनुभव होंगे, यदि आप युद्ध स्मारक या कर्तव्य पथ पर जाते हैं, तो आपको नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति मिलेगी, यदि आप अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में जाते हैं। जहां जी-20 की बैठक होगी, वहां सबसे अच्छी चीजें हैं। भारत निरन्तर आगे बढ़ रहा है, जिसका असर आर्थिक वृद्धि पर भी दिखायी दे रहा है।

एक साल पहले, हम पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गए। इस मामले में हमने अपने औपनिवेशिकों को पीछे कर दिया है, जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया, वे हमसे पीछे हैं। ऐसा कहा जाता था कि ब्रिटिशों के शासन क्षेत्र में सूरज कभी अस्त नहीं होगा, लेकिन सूर्य अब खूब रोशनी भारत को दे रहा है और आज ब्रिटेन हमसे पीछे है। यदि आप अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जाते हैं तो वह भारत के बारे में क्या कहते हैं? मैं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख से आसियान सम्मेलन और कतर में दो बार मिला हूं, जहां मैंने फीफा के उद्घाटन समारोह में भाग लिया था और उन्होंने कहा था,  भारत सर्वाधिक चमकता सितारा है, निवेश और अवसर के लिए पसंदीदा स्थान है। जो लोग दशकों तक हमें सलाह देते रहे, वे अब हमसे खूब सलाह मांग रहे हैं। यही भारत की उपलब्धि है। यदि आप बैंकिंग क्षेत्र में विकास को देखें, तो यह समावेशी है, अब हर किसी के पास एक बैंक खाता है। इसने हमारे आर्थिक समाज को बदल दिया है, प्रत्येक मानव संसाधन को सशक्त बनाया है।वैश्विक मानदंड पर, वैश्विक डिजिटल लेन-देन में हमारा प्रतिशत 46 हैं। वर्ष 2022 में, डिजिटल ट्रांसफर में हमारा लेन-देन अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और जर्मनी के सामूहिक ट्रांसफर से चार गुना था। हम इतना लंबा सफर तय कर चुके हैं, जब प्रति व्यक्ति इंटरनेट उपयोग की बात आती है, तो हमारा औसत अमेरिका और चीन से अधिक है। जीवन के हर क्षेत्र में हमने हजारों वर्षों के अपने सभ्यतागत इतिहास को सही ठहराया है। कोविड महामारी थी, एक तरफ हम एक अरब 30 करोड़ लोगों के साथ अपने घर में कोविड से जूझ रहे थे और दूसरी तरफ हम कई अन्य देशों को टीके दे रहे थे। विदेशी गणमान्य व्यक्ति जब मुझसे मिलने आते हैं, तो सबसे पहले वे संतुष्टि व्यक्त करते हैं और धन्यवाद कहते हैं कि कोविड महामारी के संकट काल में भारत उनकी मदद के लिए आगे आया।

वैश्विक स्तर पर भारत की आवाज़ उस स्तर पर कभी नहीं सुनी गई, जितनी अब सुनी जा रही है। यदि आप अमेरिकी कांग्रेस सीनेट में हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देखते हैं, तो मैं आप सभी से उनके भाषण को पढ़ने का अनुरोध करता हूं, अमेरिका के सभी राजनीतिक दलों ने उन्हें दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के रूप में मान्यता दी है। भारत मानवता के 1/6वें हिस्से का घर है। हमारे देश में अब तरह-तरह की रेलगाड़ियां हैं, राजमार्ग हैं। क्या हम कभी कल्पना कर सकते हैं कि हर घर में शौचालय हो सकता है? क्या हम कभी कल्पना कर सकते हैं कि हर गांव में बिजली होगी? और उच्चतम स्तर की इंटरकनेक्टिविटी, यह अब हो गई है। अब एक योजना है, बड़ी सफलता के साथ, हर घर नल, जो सिर्फ आंकड़ों में नहीं है, उद्देश्य है, पानी है… स्थिरता के साथ गुणवत्तापूर्ण जल।मैं विशेष रूप से युवाओं से अपील करता हूं, भारतीय होने पर गर्व करें, आप इससे कोई समझौता नहीं कर सकते। हमारी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करें। अपने राष्ट्र को हमेशा पहले रखें। जो लोग गलत प्रेरणा या अज्ञानतावश हमारी छवि को धूमिल करने या धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं, आप उनके बारे में सोचें और उन्हें निष्प्रभावी करें, क्योंकि जब भारत का उदय होता है, तो यह शांति और सद्भाव के वैश्विक परिदृश्य के लिए सुखद होता है।

मैं आपको एक ऐतिहासिक तथ्य बताता हूं, इतिहास में हमारा देश कभी भी किसी आक्रमण में शामिल नहीं हुआ है। युद्ध हमारे देश के लिए कभी भी एक विकल्प नहीं रहा है। प्रधानमंत्री इस बात पर अडिग हैं कि किसी भी विवाद का समाधान बातचीत से ही होना चाहिए। आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे समय में भारत में रह रहे हैं जब दुनिया हमारी ओर देख रही है, वर्ष 2047 में मेरी उम्र के लोग भले ही आसपास नहीं होंगे, लेकिन आप असली योद्धा हैं। आप 2047@ भारत के योद्धा हैं, आप अपने सपनों को साकार करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि वर्ष 2047 में भारत शिखर पर होगा, एक वैश्विक अगुआ होगा। ऐतिहासिक रूप से हम अतीत में वैश्विक स्तर पर अग्रणी रहे हैं, जब ऐसा होगा, तो यह पूरे विश्व के लिए एक स्थिर कारक बनेगा। मैं चाहता हूं कि आप पिछले कुछ वर्षों में हुए बदलाव का अंदाज़ा लगाएं और महसूस करें। आपको एक अलग ही मैदान दिखेगा, पीएम म्यूजियम, कन्वेंशन सेंटर ये चीजें पहले नहीं थीं। नया संसद भवन दुनिया का आश्चर्य है, जिसे 30 महीने से भी कम समय में बनाया गया है, और यह कोविड के बावजूद भी पूरा हुआ। बदलाव देखिए, जो राजपथ हुआ करता था, वह अब कर्त्तव्य-पथ है। यह जमीनी हकीकत है, अब सब कुछ आपके कंधों पर है, सब कुछ आपको ही करना है। मुझे यकीन है कि माननीय मंत्री आपका ध्यान रखेंगे।

युवाओं के लिए, तीन दशकों से अधिक समय के बाद, भारत के पास एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति है, जो सैकड़ों और हजारों लोगों से सहयोग लेने के बाद विकसित हुई है। मैं पश्चिम बंगाल में राज्यपाल था, मुझे व्यक्तिगत रूप से इसकी जानकारी है। अब यह डिग्री उन्मुख नहीं, कौशल उन्मुख है। आप एक साथ दो डिग्री प्राप्त कर सकते हैं, इससे आपकी क्षमता का पूरा उपयोग करने में मदद मिलती है। मैं तुम्हें कुछ युक्तियां दूंगा, कभी तनाव मत करो, कभी तनाव मत लो, कभी डरो मत। अगर आपके पास एक अच्छा विचार है और आप असफलता के डर से उस विचार पर अमल नहीं करते तो दुनिया आपकी प्रतिभा से वंचित रह जाएगी। पहले प्रयास में कोई भी चंद्रमा पर नहीं पहुंचा। आर्किमिडीज़ ने भी जब यूरेका कहा तो यह उनका पहला प्रयास नहीं था। मन में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, दूसरों से नहीं, खुद से प्रतिस्पर्धा करें। मैं पूरे क्लास में टॉपर था, मैं हमेशा इस सवाल के घेरे में रहता था कि अगर मैं नंबर एक पर नहीं आया, तो क्या होगा।

मैं हमेशा चिंतित रहता था और मैंने यह जुनून बना लिया था कि अगर मैं नंबर एक नहीं आया तो आसमान गिर जाएगा। याद रखें, ऐतिहासिक रूप से, आसमान कभी नहीं गिरा। वे आपके झांसे में नहीं आने वाले हैं, यदि वे हजारों-हजारों वर्षों से कभी नहीं गिरे हैं, तो वे आपके झांसेनहीं आएंगे। मुझे अपने जीवन में बहुत देर से समझ आया कि अगर मुझमें प्रथम आने का जुनून न होता। मेरे पास अपने दोस्त के साथ बिताने के लिए अधिक समय होगा, मैं अपनी आदत, शौक, रुचि और अपनी योग्यता के लिए अधिक समय निकालूंगा।

माता-पिता बहुत अपेक्षा करते हैं। वे बहुत अनुचित रूप से अपेक्षा कर रहे हैं, वे हमारे माध्यम से अपना जीवन जीना चाहते हैं और यह सही नहीं है। जीवन के हर क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की जा सकती है। ये वे बातें हैं, जिन्हें आपको अपनी योग्यता के अनुसार जानना चाहिए। दूसरे, अब भारत में आपके उत्थान की कोई सीमा नहीं है। यदि आपके मन में कोई विचार है, तो उस विचार को अपने दोस्तों के साथ साझा करें और असफल होने से न डरें।

मैं 34 साल पहले मंत्री था, मैं एक स्थिति जानता हूं, हमें अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सोना बाहर बेचना पड़ा, क्योंकि हमारा विदेशी भंडार कम था। अब स्थिति बदल गई है, हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं और हमने यह कैसे किया है। पहले सत्ता के गलियारे में सत्ता के दलाल, बिचौलिये हुआ करते थे। अब सत्ता के गलियारे पूरी तरह से साफ हो गए हैं और सत्ता के दलालों से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं। भ्रष्टाचार आम आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है। भ्रष्टाचार आपको समानता और अवसर से वंचित करता है। भ्रष्टाचार हमारे विकास में बाधक है। शासन में अब कोई भ्रष्टाचार नहीं है क्योंकि ऊपर से नीचे तक हालात में बड़े पैमाने पर सुधार हो रहा है।

इस देश के युवा नागरिक के रूप में आपका योगदान महत्वपूर्ण है। एक समय था जब लोग विदेश जाते थे, तो केले खाते तो थे लेकिन कभी खिड़की से बाहर नहीं फेंकते थे, अनुशासन में रहते थे, मर्यादा में रहते थे। लेकिन वही नागरिक जब भारत वापस आते हैं तो केले के छिलके को सड़क पर फेंकना अपना मौलिक अधिकार समझते हैं। यह अब बदल गया है, प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया है। हमें अभी भी सड़क पर अनुशासित रहना होगा। हमने कई राजमार्ग बनाए, फोर लेन राजमार्ग बनाए, लेकिन हम अनुशासन नहीं रखते। कुछ लोग जो अमीर हैं, उनके पास अधिक पैसा है लेकिन उनके पास अधिकार नहीं है क्योंकि उनके पास अधिक पैसा है, आप पेट्रोलियम पर अधिक पैसा खर्च करेंगे। प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग होना चाहिए। हमें किसी की भी आदत को हतोत्साहित करना होगा कि मैं ज्यादा पेट्रोल खर्च करूंगा , क्योंकि मैं वहन कर सकता हूं। यह अच्छी बात नहीं है। प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो, इस पर हमें जोर देना होगा। यदि हम ऊर्जा संरक्षित करते हैं, तो हम पर्यावरण बचाते हैं। यदि हम कागज बचाते हैं, तो हम पर्यावरण बचाते हैं। अगर हम पानी बचाते हैं तो हम समाज की सेवा कर रहे हैं।

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