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पुरुषोत्तम रूपाला ने “भारतीय मात्स्यिकी से सुपर सक्सेस स्टोरीज” पर पुस्तक का विमोचन किया

राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा आज नई दिल्ली के एनएएससी परिसर के व्याख्यान कक्ष में शासी निकाय की 9वीं बैठक आयोजित की गई। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने शासी निकाय के बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में डॉ. एल. मुरुगन, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री और शासी निकाय के उपाध्यक्ष और डॉ. संजीव कुमार बालियान, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, विशेष रूप से आमंत्रित सदस्य, शासी निकाय के अन्य अधिकारी और  नीति आयोग के सदस्य (कृषि) ने हिस्सा लिया। इस बैठक में केरल, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम राज्यों के मंत्रियों ने शारिरिक रूप से हिस्सा लिया और हरियाणा और पुद्दुचेरी राज्यों के मंत्री वर्चुअल रूप से शामिल हुए। बैठक में श्री जतीन्द्र नाथ स्वैन, सचिव, मात्स्यिकी विभाग, भारत सरकार, प्रोफेसर रमेश चंद, नीति आयोग के सदस्य (कृषि) और अन्य विभागों के सचिव तथा विभिन्न राज्यों के नामित गैर-सरकारी शासी निकाय के 14 सदस्य भी शामिल हुए।

श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने 75वें स्वतंत्रता दिवस – आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के अवसर पर एनएफडीबी द्वारा प्रकाशित “भारतीय मात्स्यिकी से सुपर सक्सेस स्टोरीज” पर एक पुस्तक का विमोचन किया। यह एक आउटरीच गतिविधि है जिसमें इस पहल का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिसके माध्यम से प्रौद्योगिकियों का प्रसार, छोटे स्तर की कृषि क्षेत्र द्वारा शामिल किए गए अभिनव विचारों और पूरे देश की विशाल जनसंख्या, सफल मत्स्यपालन और जलीय कृषि प्रथाओं को बढ़ावा दिया जा सके। इसके पश्चात, पीएमएमएसवाई के अंतर्गत एनएफडीबी के वित्तीय समर्थन से आईसीएआर-सीआईएफए द्वारा विकसित किए गए एक ऑनलाइन मार्केट प्लेस फीचर “एक्वा बाजार” ऐप को जारी किया गया। यह ऐप मत्स्य किसानों और हितधारकों को मत्स्य संस्कृति के लिए आवश्यक सेवाएं और मछली के बीज, चारा, दवाओं जैसे इनपुट की प्राप्ति में मदद करेगा, साथ ही साथ इसमें किसानों द्वारा बिक्री के लिए टेबल आकार की मछली को सूचीबद्ध भी किया जा सकता है। यह एक व्यापार स्थल है जो जलीय कृषि क्षेत्र में शामिल विभिन्न हितधारकों को आपस में जोड़ता है।

राज्य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों में झींगा पालन करने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि अगर इन राज्यों में जलीय कृषि विकसित की जाती है, तो वे झींगा उत्पादन में आंध्र प्रदेश के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन राज्यों के किसानों को विस्तारित सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए पशु कल्याण बोर्ड की सुविधाओं का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि एनएफडीबी को आईसीएआर के सहयोग से इस क्षेत्र में झींगा पालन का विकास करने की एक योजना बनानी चाहिए।

राज्यमंत्री और शासी निकाय के उपाध्यक्ष डॉ. एल. मुरुगन ने कहा कि मत्स्यपालन विभागों को अवसंरचना विकास की परियोजनाओं जैसे फिशिंग बंदरगाहों, फिश लैंडिंग केंद्रों, बर्फ संयंत्रों और कोल्ड स्टोरेजों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने पहली बार आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत लक्षित मत्स्य उत्पादन प्राप्त करने के लिए उद्यमियों द्वारा स्टार्टअप को बढ़ावा देना शुरू किया है।

सचिव श्री जतीन्द्र नाथ स्वैन ने मात्स्यिकी क्षेत्र में एनएफडीबी की भूमिका, मत्स्यपालन विभाग की तकनीकी शाखा और देश में मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास में इसके योगदान के बारे में जानकारी प्रदान की।

डॉ. रमेश चंद, नीति आयोग के सदस्य (कृषि) ने कहा कि पिछले दशक से मत्स्यपालन क्षेत्र में लगभग 8 प्रतिशत की दर से नियमित रूप से रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की जा रही है। उन्होंने कहा कि बोर्ड को चाहिए कि वह बोर्ड द्वारा निर्धारित किए गए उद्देश्यों के अनुसार आउटपुट और परिणामों को दिखाए। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में लगभग 52 प्रतिशत योगदान देता है। उन्होंने कहा कि एक जिला, एक उत्पाद को बढ़ावा देना जरूरी है और मत्स्यपालन क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति की प्रौद्योगिकियों को लागू करना होगा।

राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) की स्थापना वर्ष 2006 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा हैदराबाद में मुख्यालय के साथ किया गया, जिससे अंतर्देशीय और समुद्री, मत्स्य संस्कृति, मछली पकड़ने, मत्स्य प्रसंस्करण और विपणन में मत्स्यपालन क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमता का पता लगाया जा सके और अनुसंधान एवं विकास के आधुनिक उपकरणों के अनुप्रयोग के साथ मत्स्यपालन क्षेत्र के समग्र विकास को गति प्रदान की जा सके।

एनएफडीबी का नेतृत्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा किया जाता है। बोर्ड का गठन समितियों के दो स्तरों, शासी निकाय और कार्यकारी समिति द्वारा किया जाता है, जिसके माध्यम से बोर्ड में होने वाले प्रशासनिक मामलों, बोर्ड की गतिविधियों और किसी भी प्रकार के नए संशोधनों/ नियमों के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके। वर्ष में एक बार शासी निकाय की बैठक आयोजित की जाती है और कार्यकारी समिति की बैठक त्रैमासिक आधार पर होती है। अब तक, केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में एनएफडीबी द्वारा शासी निकाय की 8 बैठकों का आयोजन किया जा चुका है।

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