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सरकार ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 15 राज्यों को 5,968 करोड़ रुपए का केंद्रीय अनुदान जारी किया

भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में जल जीवन मिशन लागू करने के लिए 15 राज्यों को 5,968 करोड़ रुपए जारी किया है। यह राशि इस वर्ष जारी की जाने वाली चार भागों की राशि में से पहले भाग की राशि है। अन्य 17 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया है कि वे कोष जारी करने के लिए अपने प्रस्ताव राष्ट्रीय जल जीवन मिशन को भेजें।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत आवंटित केंद्रीय कोष में से 93 प्रतिशत कोष  का उपयोग पेयजल आपूर्त संरचना विकसित करने, 5 प्रतिशत का उपयोग समर्थनकारी गतिविधियों तथा 2 प्रतिशत राशि का उपयोग जल गुणवत्ता मापन तथा निगरानी गतिविधियों में उपयोग के लिए है। केंद्रीय कोष भारत सरकार द्वारा राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों दिए गए नल के पानी के कनेक्शन और उपलब्ध केंद्रीय और समतुल्य राज्य हिस्सा के उपयोग के आधार पर जारी  किया जाता है।

राज्यों को केंद्रीय कोष जारी किए जाने के 15 दिनों के अंदर राज्य के समतुल्य हिस्से के साथ जारी केंद्रीय कोष को एकल नोडल खाते में अंतरित करना होगा।राजयों को समतुल्य राज्य हिस्से के लिए प्रावधान करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि लागू करने वाली एजेंसियों को धन की न हो, उचित व्यय योजना तैयार हो ताकि पूरे वर्ष समान रूप से व्यय हो सके।

 सरकार द्वारा उच्च प्राथमिकता दिए जाने के कारण जल जीवन मिशन का बजटीय आवंटन 2021-22 में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ कर 50,011 करोड़ रुपए हो गया है। इसके अतिरिक्त 15वें वित्त आयोग से जुड़ा 26,940 करोड़ रुपए का अनुदान  पीआरआई को जल तथा स्वचछता सेवाओं के लिए उपलब्ध होगा। कोष समतुल्य राज्य हिस्सा और बाह्य सहायता परियोजनाओं के माध्यम से भी उपलब्ध होगा।इस तरह 2021-22 में ग्रामीण घरों में नल से पानी की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक निवेश करने की योजना है। आशा है कि इस तरह का निवेश अगले तीन वर्षों तक जारी रहेगा ताकि ‘हर घर जल’ का लक्ष्य हासिल किया जा सके।

पेयजल सप्लाई के लिए अवसंचना सृजन, संचालन और रखरखाव, धूसर जल शोधन और पुनः उपयोग के संदर्भ में बढ़ाए गए बजटीय आवंटन का प्रभाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इससे विशाल अवसंचना गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगी जिससे गांवों में उत्पादक संपत्तियां पैदा होंगी। जेजेएम के अंतर्गत मोटरों, टोटियों, नलों तथा पाइप आदि की मांग में वृद्धि से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा क्योंकि सभी शेष गांवों में काम शुरु होंगे। गावों  में जलापूर्ति व्यवस्था के विकास एवं अनुरक्षण, रोजगार के विशाल अवसर उपलब्ध कराने के लिए राजमिस्त्री, पलंबर, पंप संचालकों आदि का संवर्ग तैयार करने के लिए ग्रामीण लोगों को कौशल प्रदान किया जाएगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को घोषित कार्यक्रम का उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है और जल जीवन मिशन को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की साथ साझेदारी में लागू किया जा रहा है। कोविड19 की चुनौतियों और उसके बाद के लॉकडाउन के वावजूद 4.17 करोड़ से अधिक परिवारों (21.76 प्रतिशत) को नल से पानी की सप्लाई दी गई है।अब देश में 7.41 करोड़ (38.62 प्रतिशत) से अधिक ग्रामीण परिवारों को उनके घरों में सुनिश्चित नल का पानी मिल रहा है। तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा पुड्डुचेरी ‘हर जल घर‘ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।  समानता तथा समावेश यानी गांव में कोई छूटे नहीं के सिद्धांत के पालन से जल जीवन मिशन के अंतर्गत 61 जिलों तथा 89 हजार से अधिक गावों के प्रत्येक परिवार को सुनिश्चित रूप में नल के पानी की आपूर्ति की जा रही है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अब एक-दूसरे से स्पर्धा कर रहे हैं और इस लक्ष्य पर फोकस कर रहे हैं कि देश के प्रत्येक घर में शुद्ध पेयजल सुनिश्चित हो सके ताकि गांव में कोई छूटे नहीं।

वर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट की घोषणा के बाद जल जीवन मिशन के  नियोजन और क्रियान्वयनपर विचार करने के लिए  केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण जल आपूर्ति मंत्री/ सभी पीएचईडीमंत्रियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। वित्त वर्ष 2021-22 का प्रारंभ 9 अप्रैल से शुरू होने वाली वार्षिक कार्य योजना को अंतिम रूप देने से हुआ। जेजेएम के लिए यह तीसरा वर्ष काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले दो वर्षों की प्रगति तथा संस्थागत तैयारियों के आधार पर मिशन को लागू करने में सघन नियोजन, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की क्षमताओं के मूल्यांकन की आवश्यकता है।

मिशन को लागू करते में राज्यों/ केंद्र सशासित प्रदेशों को जल गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों, सूखे से प्रभावित होने वाले राज्यों, मरूभूमि क्षेत्रों, अनुसूचित जाति/  जन जाति बहुल गांवों, आकांक्षी तथा जेईईएस प्रभावित जिलों, सांसद आदर्श ग्राम योजना को प्राथमिकता देनी होगी ताकि तेजी से सभी घरों को नल के पानी का कनेक्शन दिया जा सके।

जागरूकता, संचार और क्षमता निर्माण के अतिरिक्त समर्थन गतिविधियों में ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी)/ पानी समितियों को सशक्त बनाना, ग्राम कार्य योजनाओं (वीएपी) की तैयारी और अनुमोदन शामिल है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को स्थानीय समुदाय के सदस्यों जैसे राजमिस्त्री, पलंबर, इलेक्ट्रीशियन, मोटर मैकेनिक, फिटर, पंप ऑपरेटर आदि के लिए गहन प्रशिक्षण और कौशल कार्यक्रमों को भी लागू करना है।

जल गुणवत्ता मापन और निगरानी (डब्ल्यूक्यूएमएस) गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाती है जैसे प्रयोगशालाओं की स्थापना, इसकी मान्यता/उन्नयन, प्रशिक्षण/क्षमता निर्माण, आईईसी गतिविधियों को चलाना, पांच व्यक्तियों विशेष रूप से प्रत्येक गांव की महिलाओं को ग्रामीण स्तर, स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के स्तर पर  फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना है।

पारदर्शिता लाने और नागरिकों को जानकारी उपलब्ध कराने के लिए जेजेएम ने जेजेएम डैशबोर्ड विकसित किया है जिसमें क्रियान्वयन की ऑनलाइन प्रगति और नल के पानी की आपूर्ति की स्थिति सार्वजनिक रूप में उपलब्ध है। जेजेएम डैशबोर्ड न केवल देश की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है बल्कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर, जिला स्तर और ग्राम स्तर पर क्रियान्वयन  और प्रगति की स्थिति देखी जा सकती है। जेजेएम डैशबोर्ड विभिन्न गांवों में जारी सेंसर आधारित आओटी पायलट परियोजना को दिखाता है। इसमें मात्रा, गुणवत्ता, तथा नियमितता के संदर्भ में दैनिक जल आपूर्ति की स्थिति दिखती है। इन पायलटों में जल की गुणवत्ता तथा दैनिकआधार पर प्रति व्यक्ति आपूर्ति दिखती है। डैशबोर्ड पर https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx से पहुंचा जा सकता है।

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