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ई-नीलामी से होने वाली आय देश की जीवन रेखा के संरक्षण के नेक काम के लिए दी जाएगी: जी. किशन रेड्डी

केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री (डीओएनईआर) श्री जी. किशन रेड्डी ने 2 अक्टूबर को नई दिल्ली में राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा का दौरा किया और प्रधानमंत्री द्वारा प्राप्त विभिन्न उपहारों का निरीक्षण किया तथा ई-नीलामी की प्रगति की समीक्षा की। मंत्री महोदय के साथ संस्कृति सचिव, श्री गोविंद मोहन, महानिदेशक एनजीएमए श्री अद्वैत गडनायक और मंत्रालय तथा एनजीएमए के वरिष्ठ अधिकारी भी थे।

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती के उपलक्ष्य में, संस्कृति मंत्री ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की और अचानक ही कैनवास पर महात्मा गांधी के चश्मे का चित्र बनाया जो उनकी सादगी को प्रदर्शित करता है और इसके कैप्शन में “स्वच्छता” लिखा है।

यह भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को प्रदान किए गए प्रतिष्ठित और यादगार उपहारों की ई-नीलामी का तीसरा दौर है और 17 सितंबर से 7 अक्टूबर 2021 तक वेब पोर्टल https://pmmementos.gov.in के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है।

राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा में इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, “श्री नरेन्द्र मोदी जी भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने उन्हें प्राप्त हुए सभी उपहारों की नीलामी करने का फैसला किया है। ई-नीलामी से होने वाली आय देश की जीवन रेखा- नमामि गंगे के माध्यम से पवित्र नदी गंगा के संरक्षण के नेक काम के लिए दी जाएगी। श्री रेड्डी ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री ने अक्सर गंगा को देश के सांस्कृतिक गौरव और आस्था का प्रतीक बताया है।”

इस वर्ष 1348 स्मृति चिन्हों की ई-नीलामी की जा रही है। स्मृति चिन्हों में टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों और टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों के विजेताओं द्वारा प्रधानमंत्री को उपहार में दिए गए खेल उपकरण शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, “1 अक्टूबर को, 1081 वस्तुओं के लिए बोलियां प्राप्त हुई हैं और स्मृति चिन्ह राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा, नई दिल्ली में प्रदर्शित किए गए हैं।”

केंद्रीय मंत्री ने उन सभी लोगों को प्रोत्साहित किया जो देश की जीवन रेखा के संरक्षण में योगदान देने की भावना रखते हैं। उन्होंने कहा कि पवित्र गंगा नदी के संरक्षण के लिए “नमामि गंगे” अभियान में योगदान देने के लिए ई-नीलामी के माध्यम से भाग ले सकते हैं। श्री रेड्डी ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री ने अक्सर गंगा को देश के सांस्कृतिक गौरव और आस्था का प्रतीक बताया है। उत्तराखंड के गौमुख में नदी के उद्गम स्थल से लेकर पश्चिम बंगाल में समुद्र में मिल जाने तक; शक्तिशाली नदी देश की आधी आबादी के जीवन को समृद्ध बनाती है।”

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