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केन्‍द्र सरकार ने कोयला क्षेत्र में कारोबार सुगम बनाने को बढ़ावा देने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी संबंधी अनेक सुधार पेश किए

केन्‍द्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री, श्री प्रल्‍हाद जोशी ने राष्ट्रीय खनन मंत्रियों के सम्मेलन (एनएमएमसी) का कल 9 सितम्‍बर, 2022 को हयात हैदराबाद में उद्घाटन किया। यह सम्मेलन आज 10 सितंबर, 2022 को भी कोयला मंत्रालय के सत्र के साथ जारी रहा। राष्ट्रीय खनन मंत्रियों का सम्मेलन कोयला क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने और भारत में स्थायी खनन को बढ़ावा देने की दिशा में एक और कदम है।

इस कार्यक्रम में राज्यों के खनन मंत्रियों, प्रधान सचिवों/विशेष सचिवों और विभिन्न राज्यों के खनन से जुड़े डीजीएम/डीएमजी के साथ-साथ कोयला मंत्रालय, खान मंत्रालय के अधिकारी और विभिन्न सीपीएसई के सीएमडी शामिल थे।

सम्मेलन के दौरान कोयला क्षेत्र में सुधार और उनके प्रभाव, कोयला खनन के लिए भूमि अधिग्रहण, कोयला लॉजिस्टिक्‍स और आवंटित कोयला खदानों के संचालन पर चर्चा हुई।

केन्‍द्र सरकार ने कोयला क्षेत्र में कारोबार सुगम बनाने को बढ़ावा देने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी में कई सुधार पेश किए हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2014 में 204 कोयला ब्लॉकों को रद्द करने के बाद, 2015 में सुधारों का पहला सेट प्रस्‍तुत किया गया और कोयला ब्‍लॉकों का आवंटन शुरू हुआ। वाणिज्यिक बिक्री की अनुमति नहीं थी। सुधारों का दूसरा सेट 2020 में कानूनों में संशोधन करके, वाणिज्यिक खनन के उदारीकृत शासन की शुरुआत के साथ कोयले की बिक्री / उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया और कैप्टिव आवश्यकता को पूरा करने के बाद कैप्टिव उपयोगकर्ताओं को खुले बाजार में उत्पादन का 50 प्रतिशत बेचने की अनुमति दी गई।

हाल ही में, बैंक गारंटी के उपयोग के बिना सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा कोयला ब्लॉकों को सरेंडर करने के लिए एकमुश्त छूट की अनुमति देने वाली नीति जारी की गई है। मंत्रालय ने उन कोयला ब्लॉकों की रिवॉल्विंग नीलामी को अपनाया है जहां नियमित आधार पर कोयला ब्लॉकों की नीलामी की पेशकश की जाती है।

यह चर्चा की गई कि कोयला मंत्रालय ने सुधार करते समय राज्यों के हितों पर गौर किया है। पहले, निश्चित मूल्य के आधार पर ब्लॉक आवंटित किए जाते थे और अब बाजार द्वारा निर्धारित यथामूल्य पर इसकी नीलामी के माध्यम से। राष्ट्रीय कोयला सूचकांक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों में मूल्य की गति को दर्शाता है।

इस बात पर प्रकाश डाला गया कि विभिन्न सुधारों के अधिकतम लाभों का दोहन करने के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता है। कोयला मंत्रालय वाणिज्यिक समझौतों को निष्पादित करता है और परिचालन पहलुओं की देखभाल करना राज्य की जिम्मेदारी है। वाणिज्यिक नीलामी से राजस्व भी संबंधित राज्यों को जाता है। इस बारे में भी चर्चा की गई कि राज्य भूमि मुआवजा नीति तैयार करने के लिए स्वतंत्र हैं और केन्‍द्र राज्यों की नीति का पालन कर सकता है यदि यह बेहतर है। राज्य निकट भविष्य में संबंधित खान और भूविज्ञान निदेशालयों को कोयला क्षेत्र की भी देखभाल करने की सलाह दे सकते हैं, क्योंकि वाणिज्यिक खदानों की संख्या में और वृद्धि होने वाली है।

सम्मेलन में कोयला मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित अगली पीढ़ी के सुधारों का अवलोकन भी देखा गया। इसमें बाजार निर्धारित मूल्य निर्धारण तंत्र, कोयला गैसीकरण और ऊर्जा स्रोतों में बदलाव की जटिल प्रक्रिया से कोयले की बिक्री शामिल है। यह भी जानकारी दी गई कि मंत्रालय ने नीलामी बोली मूल्य में 50 प्रतिशत की छूट जैसे प्रोत्साहन सहित कोयला गैसीकरण को बढ़ावा देने के लिए, सीआईएल के साथ दीर्घकालिक सम्‍पर्क की अनुमति दी है और सार्वजनिक और निजी दोनों संस्थाओं द्वारा कोयला गैसीकरण में सहयोग करने के लिए एक पीएलआई योजना तैयार की जा रही है। साझेदारों को बताया गया कि देश का लक्ष्य 2070 तक उर्त्‍सजन को कम करके शुद्ध शून्य तक लाने का लक्ष्य है जो कोयला क्षेत्र पर न केवल अधिक टिकाऊ खनन प्रथाओं को अपनाने बल्कि बदलाव के लिए भी तैयार रहने का दबाव डाल सकता है। यह भी कहा गया कि सीआईएल का वृक्षारोपण क्षेत्र पिछले तीन वर्षों में दोगुना हो गया है। लिग्नाइट समृद्ध राज्यों को अवगत कराया गया कि उच्च क्षमता वाले लिग्नाइट-आधारित बिजली संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं।

सम्मेलन के दौरान, ओडिशा, महाराष्ट्र, असम, मिजोरम, उत्तराखंड जैसे राज्यों के माननीय मंत्री और सचिव (खान), जम्मू-कश्मीर, निदेशक (खान), झारखंड, एमडी, जीएमडीसी और संयुक्त निदेशक (खनन), छत्तीसगढ़ ने अपने विचार व्यक्त किए और अपने रचनात्मक सुझाव प्रस्तुत किए।

सम्‍मेलन का समापन सचिव (कोयला) डॉ. अनिल कुमार जैन और माननीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री, श्री प्रल्हाद जोशी की टिप्पणी से हुआ और सम्मेलन के अंत में धन्‍यवाद ज्ञापन एससीसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री एन. श्रीधर द्वारा दिया गया।

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