देश-विदेश

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रवासियों की सफलता ने भारत और भारतीयों के संदर्भ में दुनिया की धारणा बदल दी है

उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने गैबॉन, सेनेगल और कतर की अपनी 9 दिवसीय यात्रा को आज सफलतापूर्वक संपन्न किया, जिसके बाद श्री नायडू आज शाम स्वदेश लौट आए। उपराष्ट्रपति की गैबॉन और सेनेगल की यात्रा भारत द्वारा उन देशों में की गई पहली उच्च स्तरीय यात्रा थी, जबकि कतर की उनकी यात्रा किसी भी भारतीय उपराष्ट्रपति द्वारा की गई पहली यात्रा थी। अपनी यात्राओं के दौरान,  उपराष्ट्रपति ने सभी देशों के शीर्ष नेतृत्व से व्यापक चर्चा की। श्री नायडू के सम्मान में तीनों देशों की राजधानियों लिब्रेविल, डाकार और दोहा में स्वागत समारोहों का आयोजन किया गया जहां पर उन्होंने तीनों देशों की व्यावसायिक बिरादरी और भारतीय प्रवासियों से बातचीत की।

7 जून, 2022 को अपने तीन देशों की यात्रा पूरी करने के बाद दिल्ली वापस आने के लिए दोहा, कतर में हवाई यात्रा करते हुए उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने कल दोहा, कतर में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उनकी उपलब्धियों की सराहना करते हुए श्री नायडू ने कहा कि वे अपनी यात्रा के दौरान जिस कतर के नेतृत्व से मिले वे भारतीय समुदाय के लिए सकारात्मक दिखे और कतर के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “कतर में 7.80 लाख भारतीय प्रवासी दोनों देशों के बीच एक जीवंत सेतु के रूप में काम करते है।”

श्री नायडु ने कहा कि भारत और कतर के बीच संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं, और इसी का परिणाम है कि दोनों देशों के बीच पिछले वर्ष 15 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार हुआ है जो अबतक का सर्वाधिक है। उन्होंने यह भी कहा कि 50 से ज्यादा पूर्ण स्वामित्व वाली भारतीय कंपनियां कतर में अवसंरचना, सूचना प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे विविध क्षेत्रों में काम कर रही हैं जबकि संयुक्त स्वामित्व वाली लगभग 15,000 कंपनियां भारत-कतर की आर्थिक साझेदारी को गति प्रदान कर रही हैं।

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि भारत और कतर अगले वर्ष पूर्ण राजनयिक संबंध की 50वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है, श्री नायडू ने कहा कि “दोनों देश एक व्यापक ऊर्जा साझेदारी का निर्माण कर रहे हैं। भारत और कतर के बीच रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि दोनों देश कतर विश्वविद्यालय में एक भारतीय पीठ की स्थापना करने और खेल और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं। उन्होंने पिछले दिनों भारत और कतर के बीच स्टार्ट-अप ब्रिज लॉन्च किए जाने का भी उल्लेख किया, जो दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होते हुए संबंधों का एक उदाहरण है।

उपराष्ट्रपति ने हाल के दिनों में भारत सरकार द्वारा प्राप्त की गई विभिन्न उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिनमें कोविड महामारी का प्रबंधन, दुनिया में टीकों की आपूर्ति, बुनियादी संरचना और कनेक्टिविटी का निर्माण, गरीबों को स्वास्थ्य और लोक-कल्याण प्रदान करना, सतत विकास जैसे पहल शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि “सरकार लोगों का कल्याण करने के लिए अपने मूल कार्यों में प्रौद्योगिकी का एकीकरण शामिल कर रही है और गवर्नेंस में बदलाव करने और सेवाओं का वितरण करने के लिए इसे जन-केंद्रित बना रही है।”

भारत में विविधता में एकता का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयों को इस बात पर गर्व महसूस करना चाहिए कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां के सभी नागरिकों को संविधान के अंतर्गत समान अधिकार प्राप्त हैं, चाहे वे किसी भी जाति, पंथ, धर्म या क्षेत्र के क्यों न हों।

श्री नायडू ने प्रवासी भारतीयों से अपने देश की विकास गाथा में शामिल होने और “जन्म भूमि के साथ संबंध स्थापित रखने” का आह्वान किया। विदेश जाने वाले भारतीय युवाओं को दिए गए अपने संदेश में उपराष्ट्रपति ने उनसे अपनी मातृभूमि से समृद्धि साझा करने के लिए ‘लर्न, अर्न और रिटर्न’ की बात की। उन्होंने कहा, “आप में से प्रत्येक लोग भारत में तीव्रता से हो रही सामाजिक-आर्थिक विकास और परिवर्तन में अपना योगदान दे सकते हैं। हम प्रवासी भारतीयों के कौशल और प्रतिभा से बहुत ज्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आप इस पर विचार करें कि आप लोग भारतवासियों के जीवन में बदलाव लाने के राष्ट्रीय प्रयासों में किस प्रकार से शामिल हो सकते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि विदेशों में रह रहे भारतीय अपनी मातृभाषा को सुरक्षित और संरक्षित करें।

भारतीय प्रवासियों को आश्वासन देते हुए कि भारत सरकार उनके साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रही है और दुनिया में कहीं भी भारतीय प्रवासियों की देखभाल करती है, उन्होंने कहा, “आपकी शक्ति भारत की शक्ति है और भारत की शक्ति आपकी शक्ति है।” उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भारत सरकार द्वारा सफल निष्कासन के लिए किए गए प्रयासों में वंदे भारत मिशन, ऑपरेशन गंगा, ऑपरेशन देवी शक्ति का उदाहरण दिया।

श्री नायडू ने सभी प्रवासी भारतीयों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “आप में से प्रत्येक लोग और प्रवासी परिवारों के सदस्यों की सफलता ने भारत और भारतीयों के संदर्भ में दुनिया की धारणा को पूर्ण रूप से बदल दिया है।” यह बताते हुए कि भारत आज नवाचार, इन्क्यूबेशन और लीक से हटकर काम करने और सोच रखने के लिए जाना जाता है, श्री नायडू ने कहा कि हमारे युवा इन क्षेत्रों में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और पूरी दुनिया उनकी ओर देख रही है।

इस बात पर बल देते हुए कि प्रगति के लिए शांति एक पूर्व निर्धारित शर्त है, श्री नायडू ने कहा कि प्रत्येक देश को हिंसा से दूर रहना चाहिए और एक-दूसरे को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा अंतिम उद्देश्य लोगों के जीवन को खुशहाल बनाना है।

उपराष्ट्रपति के साथ उनकी इस यात्रा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, डॉ. भारती प्रवीण पवार, सांसद सुशील कुमार मोदी, सांसद श्री विजय पाल सिंह तोमर, सांसद श्री पी. रवींद्रनाथ और उपराष्ट्रपति सचिवालय और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

Related Articles

Back to top button