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केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिए एनआईटी सिलचर के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) सिलचर के 18वें दीक्षांत समारोह कोवर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिए संबोधित किया। वे मुख्य आतिथि के तौर पर समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल विशिष्ट अतिथि थे। एआईसीटीई के प्रमुख प्रो. अनिल डी सहस्रबुद्धेविशिष्ट अतिथि थे। एनआईटी सिलचर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के प्रमुख श्री गौतम एन मेहराऔर गणमान्य पूर्व छात्र एवं डीआरडीओ के एसोसिएट डायरेक्टर (साइंटिस्ट जी) श्री संजय चौधरी भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री पोखरियाल ने उत्तीर्ण छात्रों को बधाई दी और कहा कि यह पल उन लोगों के जीवन के यादगार पलों में से एक है। उन्होंने एनआईआरएफ-2020 में 46वां रैंक हासिल करने के लिए एनआईटी सिलचर को बधाई दी और उल्लेख किया कि संस्थान एनआईआरएफ-2019 से इस बार पांच पायदान ऊपर चढ़ा है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हो रही है कि एनआईटी सिल्चर ने वैश्विक रैंकिंग प्लेटफॉर्म जैसे द रैंकिंग और यूएस न्यूज रैंकिंग में प्रमुख स्थान हासिल किए हैं। उन्होंने एनआईटी सिलचर को इस तरह की पहचान हासिल करने के लिए बधाई दी और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर राष्ट्रीय शिक्षा के उत्थान के लिए सभी आयामों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए कहा।

मंत्री ने प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की उत्कृष्टता उल्लेख किया है जब दुनिया भर के विद्वान नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला आदि विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए हमारे देश आते थे। उन्होंने बताया कि हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली पर गर्व करते हुए और विद्वता से भरे शिक्षकों एवं छात्रों के साथ भविष्य की तैयारी करते हुए गुणवत्ता आधारित शित्रा प्रणाली के साथ भारत खुद को विश्व गुरु के तौर पर स्थापित करेगा। श्री पोखरियाल ने नई शिक्षा नीति-2020 के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला जो पथ प्रवर्तक साबित होंगे और लाखों छात्रों की जीवन के सभी क्षेत्रों में बढ़ने और उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति के तहत सरकार न केवल अपने संस्थानों की स्थापना के लिए विश्व के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों/संस्थानों के साथ सहयोग कर रही है, बल्कि विभिन्न आयामों में भी सहयोग कर रही है। मंत्री ने पेटेंट को बढ़ाने के लिए टैलेंट को पेटेंट से जोड़ने का उल्लेख किया जो न केवल संस्थान को आगे बढ़ाएगा बल्कि देश के आर्थिक विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।

श्री पोखरियाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के नेतृत्व में राष्ट्रीय अनुसंधान कोष और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मंच की शुरूआत की गई है और यह देश के अनुसंधान एवं विकास परिदृश्य को एक बेहतर, समावेशी और उत्कृष्ट वातावरण में बदल देगा। उन्होंने उल्लेख किया कि एनईपी-2020के तीन स्तंभ-सुधार, परिवर्तन और प्रदर्शन, राष्ट्र की शिक्षा प्रणाली में क्रांति लाएंगे और इनमें हमारी शिक्षा प्रणाली को एक वैश्विक मंच पर स्थापित करने की क्षमता है। श्री पोखरियाल ने यह भी कहा कि संस्थान के लिए एक सतत भविष्य के निर्माण की खातिर पूर्व छात्रों को अपने संस्थान के साथ जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने समावेशी तरीके से संस्थान की बेहतरी के लिए एक एलुमनी टास्क फोर्स बनाने का विचार व्यक्त किया।

श्री पोखरियाल ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान, जय किसान की घोषणा ने देश को कृषि क्षेत्र में आत्म-निर्भर राष्ट्र में बदल दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस नारे में‘जय विज्ञान’को जोड़ा जिससे देश के वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण बदलाव आया और हमें वैश्विक रूप से दूसरी परमाणु महाशक्तियों के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े होने में मदद मिली। उसी नारे में हमारे वर्तमान प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘जय अनुसंधान’को जोड़ा जो राष्ट्र के अनुसंधान और विकास की प्रगति को और ऊंचाई पर लेकर जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के सपने और एनईपी-2020 के कार्यान्वयन के साथ हम शिक्षा और अनुसंधान में अपनातेजस्वी गौरव दोबारा हासिल कर लेंगे। मंत्री ने युक्ति 2.0 पोर्टल की पहल का भी उल्लेख किया जहां देश के सभी प्रतिष्ठित संस्थान अपने अभिनव विचार साझा करते हैं और समाज की बेहतरी के लिए तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराते हैं। अंत में उन्होंने भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया का उल्लेख किया और कहा कि ये नए भारत के निर्माण के लिए राष्ट्र के युवा प्रतिभाशाली संसाधन को पर्याप्त समर्थन और सहयोग प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। इनका उद्देश्य एक नये भारत का निर्माण करना है जो आत्मनिर्भर हो और बुद्धिमता एवं ज्ञान से सशक्त हो।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने अपने दीक्षांत संबोधन में युवा स्नातक छात्रों को बधाई दी। उन्होंने संस्थान की हालिया उपलब्धियों पर खुशी जतायी। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित रखें और उन्हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने सफलता हासिल करने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य को सभी शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों से जोड़ने के महत्व पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने सफल जीवन के लिए मन और स्वास्थ्य का सही संतुलन बनाए रखने के लिए जीवन में स्वामी विवेकानंद का अनुसरण करने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे छात्रों के सामूहिक प्रयास से नये भारत के प्रधानमंत्री के सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने उल्लेख किया कि स्नातक छात्रों जैसे युवा ही राष्ट्र को आगे बढ़ाने और सपनों के भारत का निर्माण करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र की अपार क्षमता और संभावनाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि इसमें प्रगतिशील भारत के निर्माण की दिशा में बड़ा प्रभाव डालने की क्षमता है।

एनआईटी सिलचर के निदेशक प्रो. शिवाजी बंद्योपाध्याय ने इस साल उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के पूरे शैक्षणिक सत्र में हुई सभी गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए संस्थान की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने सभी स्नातक छात्रों को बधाई दी और कहा कि 2020 के बैच को उसकी संभावनाओं और क्षमताओं के लिए इतिहास में याद किया। उन्होंने समारोह में शामिल होने के लिए शिक्षा मंत्री का आभार जताया और कहा कि शिक्षा मंत्रालय की मदद और समर्थन के साथ, एनआईटी सिलचर अपने संसाधनों की मदद से सरकार के सपने को पूरा करने के लिए हमेशा प्रयास करता रहेगा।

संस्थान के 18वें दीक्षांत समारोह में विभिन्न पदक विजेताओं के नाम की घोषणा की गयी। इस वर्ष पूरे संस्थान में सर्वाधिक सीपीआई हासिल करने के लिए संस्थान स्नातक वर्ग में स्वर्ण पदक श्री क्षितिज मेहरोत्रा को दिया गया। वे मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं। सर्वश्रेष्ठ स्नातक छात्र के लिए स्वर्ण पदक श्री प्रक्ष झा को दिया गया जो कि कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के छात्र हैं। स्नातकोत्तर वर्ग में स्वर्ण पदक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र श्री सुजीत टी को दिया गया। इस वर्ष, कालीकृष्णा मृणालिनी स्मारक स्वर्ण पदक, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की छात्रा सुश्री ह्लादिनी अग्निवेश को जबकि सास्वत पुरकायस्थ स्मारक स्वर्ण पदक, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र श्री आशीष रंजन को दिया गया। रसायनशास्त्र विभाग की पीएचडी छात्रा सुश्री कल्याणी राजकुमारी को सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरेट की डिग्री दी गयी। रजत पदक विजेताओं की भी घोषणा की गयी। असाधारण शिक्षक का पुरस्कार प्रोफेसर सौरभ चौधरी को दिया गया। यह घोषणा करते हुए खुशी महसूस की गयी कि संस्थान के 18वें दीक्षांत समारोह में कुल 881 छात्रों को डिग्री प्रदान की गयी जिनमें इंजीनियरिंग के अलग-अलग विषयों के 572 बी.टेक छात्र, 188 एम.टेक छात्र, 30 एम.एससी छात्र, 43 एमबीए छात्र और 48 पीएचडी छात्र हैं।

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